गया: बिहार में यास तूफान (Yaas Cyclone In Bihar) ने भारी तबाही मचाई थी. बिहार में लगभग एक सप्ताह तक यास तूफान (Yaas Cyclone) का असर देखने को मिला था. तूफान के कारण बारिश होने से समय से समय से पहले ही ईंट भट्ठा (Brick Kiln) को बंद करना पड़ा. इससे ईंट भट्ठा संचालकों से लेकर मजदूर तक को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. इतना ही नहीं कई मजदूर भूखमरी के कागार पर भी आ चुके हैं.
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दरअसल, यास तूफान के कारण समय से पहले मानसून (Monsoon In Bihar) आने से ईंट भट्ठा को बड़ा नुकसान पहुंचा है. एक तरह से यास तूफान ईंट भट्ठा संचालक और मजदूरों के लिए इस साल भुखमरी का बड़ा घाव दे गया है. ईंट भट्ठा पर जुलाई माह तक हर दिन 100 लोग काम करते थे. उसके बाद सितंबर और अधिकतम अक्टूबर तक ईंट भट्ठा को बंद किया जाता था.
'पानी की वजह से 10 लाख ईंट बर्बाद हो चुका है. समय से पहले भट्ठा बंद होने से लगभग 100 लोग बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में बेरोजगार हुए लोग किसी तरह खेता-बाड़ी करके दो वक्त पेट भर रहे हैं.' -भूटिया मांझी, मजदूर
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इस साल दो माह पहले बारिश आ जाने से भट्ठा पर काम बन्द हो गया है. ईंट भठ्ठा समय से पहले बंद होने से 100 से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. उनके पास दो वक्त के भोजन के लिए अनाज तक नहीं बचा है. वर्तमान समय में भट्ठा पर बस दो लोग ही काम कर रहे हैं.
'यास तूफान, समय से पूर्व मानसून का दस्तक और लॉकडाउन के चलते इस साल ईंट का व्यापार घाटे में जा रहा है. यास तूफान से साढ़े 9 लाख ईंट सिर्फ मेरा बर्बाद हुआ है. हर दिन काम करने वाले 100 मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. अभी बचा हुआ ईंट निकलवा रहे हैं. हम सरकार को टैक्स देते हैं लेकिन सरकार हमारे नुकसान का आंकलन तक नहीं करती है. मुआवजा तो दूर की बात है.' -संजय कुमार, ईंट भट्ठा संचालक
बता दें कि गया जिले में लगभग पांच हजार ईंट भट्ठा हैं. सभी ईंट भट्ठे तीन माह के लिए बन्द होते थे. लेकिन यास तूफान के चलते दो माह पहले ही बंद कर दिया गया है. जिससे हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. ईंट भट्टा बरसात के दिनों में इसलिए बंद होता है क्योंकि उसके चिमनी में पानी घुस जाता है. कच्चा ईंट बनाने का काम नहीं हो पाता है.