ETV Bharat / state

Bodhgaya Shanti Stupa: विश्व का ये अनोखा शांति स्तूप जो असलहों के अवशेषों से बना, श्रीलंका से लाया गया भारत - Gaya Shanti Stupa Made From Cartridge Case

आपने बोधगया का शांति स्तूप (Bodhgaya Shanti Stupa Built From Cannon Balls) जरूर देखा होगा, लेकिन इस स्तूप की खासियत और भारत में इसके स्थापित होने की कहानी बहुत कम ही लोग जानते होंगे. आईये आज हम आपको इसके निर्माण के पीछे की वजह और स्थान के बारे में बताते हैं..

Bodhgaya Shanti Stupa
Bodhgaya Shanti Stupa
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 27, 2023, 3:39 PM IST

बोधगया में अनोखा शांति स्तूप

गयाः बिहार के बोधगया में अनोखा शांति स्तूप स्थापित है. इस शांति स्तूप की खासियत ये है कि इसका निर्माण तोप के गोले, हथियारों के कारतूस और खोखे के अवशेषों से हुआ है. पीतल की परत से ढका यह स्तूप विश्व को शांति का संदेश देता है. 33 सालों तक श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच गृहयुद्ध चला था. उस युद्ध में तोप के गोले और जिन हथियारों के कारतूसों और खोखे के अवशेष मिले, उसी से यह शांति स्तूप तैयार किया गया था, जो आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है.

ये भी पढे़ंः Gaya News: बिहार से हिमाचल पैदल पहुंचा बौद्ध भिक्षु, 8 महीने में पूरी की 2100 KM की यात्रा

कैसे बना बोधगया का शांति स्तूप?: दरअसल श्रीलंका की सरकार ने इस तरह का दो शांति स्तूप बनवाया था, जिसमें से एक श्रीलंका में है और दूसरा बोधगया श्रीलंकाई मठ में है. विश्व का ये अनोखा स्तूप है, जो असलहों के अवशेषों से बना है. 2009 में युद्ध समाप्ति की घोषणा के बाद श्रीलंका सरकार ने सेना और लिट्टे के साथ चले युद्ध में तोप के गोले और हथियार के कारतूस-खोखे के अवशेषों को चुना और फिर विश्व भर में शांति का संदेश देने के मकसद से शांति स्तूप का निर्माण कराया.

विश्व में शांति स्थापित करना था मकसदः इसे बनवाने का मकसद यह भी था कि श्रीलंका में इस तरह का फिर कोई युद्ध न हो और विश्व में भी ऐसी हिंसा या युद्ध की नौबत ना आए. इसी को लेकर श्रीलंका सरकार के द्वारा इस तरह का अनोखा दो स्तूप तैयार कराया गया था, जिसमें एक स्तूप भारत को दिया गया. इस तरह का अनोखा शांति स्तूप विश्व में दो ही स्थान पर है, जिसमें एक बोधगया है और एक श्रीलंका में स्थित है.

श्रीलंका ने भारत को क्यों दिया ये स्तूप?: भारत के बोधगया में शांति स्तूप देने का बड़ा उद्देश्य ये था कि बोधगया बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का बड़ा केंद्र है और यहां पूरे विश्व से लोग भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है. ऐसे में विश्व के पटल पर इसकी महता को देखते हुए बोधगया में एक स्तूप महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंकाई मठ) में स्थापित किया गया. बोधगया में ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने ने सत्य अहिंसा और शांति का उपदेश दिया था.

'यहां से लोग शांति का पैगाम लेकर जाते हैं': इस संबंध में श्रीलंका मठ के इंचार्ज बताते हैं कि विश्व में यह स्तूप शांति, अहिंसा का संदेश देता है. श्रीलंका की सेना और लिट्टे बीच 33 वर्षों तक युद्ध चला था. जब युद्ध रूका तो श्रीलंका की सरकार ने तोप के गोले, कारतूस और खोखे के अवशेषों से इस तरह के दो स्तूप बनाए, जिसमें एक श्रीलंका में है और एक बोधगया में स्थापित है. पूरे विश्व में दो ही ऐसे शांति स्तूप हैं, जिसके निर्माण में तोप के गोले और कारतूस-खोखा के अवशेष का इस्तेमाल हुआ है. यहां आकर लोग शांति का पैगाम लेकर जाते हैं.

"बोधगया में ही भगवान बुद्ध ने सत्य अहिंसा और शांति का उपदेश दिया था. यहां पूरे विश्व से लोग भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है. यही वजह है कि श्रीलंका सरकार ने भारत सरकार को बोधगया में इस शांति स्तूप को स्थापित करने के लिए दान में दिया था, ताकि यहां से लोग शांति का पैगाम लेकर जाएं"- सेवाली थेरो, बीकू इंचार्ज, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया

युद्ध में हजारों की गई थी जान : आपको याद दिला दें कि श्रीलंकाई सेना और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल (लिट्टे) के बीच 33 वर्षों तक गृहयुद्ध चला था. इस गृहयुद्ध में हजारों जानें गईं थीं, जिसमें सेना के अफसर, जवान के अलावे आम नागरिक, बच्चे महिलाएं आदि शामिल थे. इस युद्ध को देखकर श्रीलंका की सरकार ने 2009 में अपने देश और विश्व में शांति देने का अनूठा फैसला लिया. इसके बाद दो शांति स्तूप बनाए गए, जिसमें युद्ध में चले असलहे के जखीरों का उपयोग किया गया. ये विश्व को शांति का संदेश देता है.

बोधगया में अनोखा शांति स्तूप

गयाः बिहार के बोधगया में अनोखा शांति स्तूप स्थापित है. इस शांति स्तूप की खासियत ये है कि इसका निर्माण तोप के गोले, हथियारों के कारतूस और खोखे के अवशेषों से हुआ है. पीतल की परत से ढका यह स्तूप विश्व को शांति का संदेश देता है. 33 सालों तक श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच गृहयुद्ध चला था. उस युद्ध में तोप के गोले और जिन हथियारों के कारतूसों और खोखे के अवशेष मिले, उसी से यह शांति स्तूप तैयार किया गया था, जो आज भी विश्व को शांति का संदेश दे रहा है.

ये भी पढे़ंः Gaya News: बिहार से हिमाचल पैदल पहुंचा बौद्ध भिक्षु, 8 महीने में पूरी की 2100 KM की यात्रा

कैसे बना बोधगया का शांति स्तूप?: दरअसल श्रीलंका की सरकार ने इस तरह का दो शांति स्तूप बनवाया था, जिसमें से एक श्रीलंका में है और दूसरा बोधगया श्रीलंकाई मठ में है. विश्व का ये अनोखा स्तूप है, जो असलहों के अवशेषों से बना है. 2009 में युद्ध समाप्ति की घोषणा के बाद श्रीलंका सरकार ने सेना और लिट्टे के साथ चले युद्ध में तोप के गोले और हथियार के कारतूस-खोखे के अवशेषों को चुना और फिर विश्व भर में शांति का संदेश देने के मकसद से शांति स्तूप का निर्माण कराया.

विश्व में शांति स्थापित करना था मकसदः इसे बनवाने का मकसद यह भी था कि श्रीलंका में इस तरह का फिर कोई युद्ध न हो और विश्व में भी ऐसी हिंसा या युद्ध की नौबत ना आए. इसी को लेकर श्रीलंका सरकार के द्वारा इस तरह का अनोखा दो स्तूप तैयार कराया गया था, जिसमें एक स्तूप भारत को दिया गया. इस तरह का अनोखा शांति स्तूप विश्व में दो ही स्थान पर है, जिसमें एक बोधगया है और एक श्रीलंका में स्थित है.

श्रीलंका ने भारत को क्यों दिया ये स्तूप?: भारत के बोधगया में शांति स्तूप देने का बड़ा उद्देश्य ये था कि बोधगया बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का बड़ा केंद्र है और यहां पूरे विश्व से लोग भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है. ऐसे में विश्व के पटल पर इसकी महता को देखते हुए बोधगया में एक स्तूप महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंकाई मठ) में स्थापित किया गया. बोधगया में ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने ने सत्य अहिंसा और शांति का उपदेश दिया था.

'यहां से लोग शांति का पैगाम लेकर जाते हैं': इस संबंध में श्रीलंका मठ के इंचार्ज बताते हैं कि विश्व में यह स्तूप शांति, अहिंसा का संदेश देता है. श्रीलंका की सेना और लिट्टे बीच 33 वर्षों तक युद्ध चला था. जब युद्ध रूका तो श्रीलंका की सरकार ने तोप के गोले, कारतूस और खोखे के अवशेषों से इस तरह के दो स्तूप बनाए, जिसमें एक श्रीलंका में है और एक बोधगया में स्थापित है. पूरे विश्व में दो ही ऐसे शांति स्तूप हैं, जिसके निर्माण में तोप के गोले और कारतूस-खोखा के अवशेष का इस्तेमाल हुआ है. यहां आकर लोग शांति का पैगाम लेकर जाते हैं.

"बोधगया में ही भगवान बुद्ध ने सत्य अहिंसा और शांति का उपदेश दिया था. यहां पूरे विश्व से लोग भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है. यही वजह है कि श्रीलंका सरकार ने भारत सरकार को बोधगया में इस शांति स्तूप को स्थापित करने के लिए दान में दिया था, ताकि यहां से लोग शांति का पैगाम लेकर जाएं"- सेवाली थेरो, बीकू इंचार्ज, महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया

युद्ध में हजारों की गई थी जान : आपको याद दिला दें कि श्रीलंकाई सेना और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल (लिट्टे) के बीच 33 वर्षों तक गृहयुद्ध चला था. इस गृहयुद्ध में हजारों जानें गईं थीं, जिसमें सेना के अफसर, जवान के अलावे आम नागरिक, बच्चे महिलाएं आदि शामिल थे. इस युद्ध को देखकर श्रीलंका की सरकार ने 2009 में अपने देश और विश्व में शांति देने का अनूठा फैसला लिया. इसके बाद दो शांति स्तूप बनाए गए, जिसमें युद्ध में चले असलहे के जखीरों का उपयोग किया गया. ये विश्व को शांति का संदेश देता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.