गया: बिहार सरकार सात निश्चय पर काम कर रही है. इस योजना के तहत नल से हर घर तक जल पहुंचाने की योजना थी. इस योजना से कई गांव पेयजल संकट से उबर गए. वहीं कई गांव में आज भी नल जल योजना शोभा का वस्तु ही है.
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जिले के टनकुप्पा प्रखण्ड के आरोपुर गांव में नल जल योजना के तहत शत प्रतिशत काम हुआ है. लेकिन हर घर तक पानी नहीं पहुंचा है. मुखिया का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण भूमिगत जलस्रोत नहीं है. जिसकी वजह से पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही.
नल से नहीं टपकता पानी
दरअसल, सरकार ने सभी मुखिया को नल जल योजना को शत प्रतिशत सफल बनाने के लिए कहा है. मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर कह दिया कि जिस पंचायत में नल जल योजना सफल नहीं होगी उस पंचायत के मुखिया चुनाव नही लड़ेंगे. इस आदेश के बाद मुखिया दिन रात एक करके नल जल योजना को सफल बनाने में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में गया के आरोपुर गांव में नल जल योजना का शत प्रतिशत काम हो गया है. लेकिन नल से एक बूंद पानी नहीं टपकता है.
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'इसमें ना तो सरकार दोषी है, ना ही मुखिया'
ग्रामीण गुलाबचंद पासवान बताते हैं कि गांव तीन तरफ से पहाड़ से घिरा हुआ है. जमीन पूरा पथरीला है. जमीन के अंदर का पानी का लेयर दिन प्रतिदिन घटते जा रहा है. जिसकी वजह से पानी के लिए इस गांव में हाहाकार मचा हुआ है. पंचायत के मुखिया ने पानी के लिए खूब प्रयास किया जब जमीन में पानी नही है तो कैसे पानी आएगा.
'उम्मीदों पर फिरा पानी'
वहीं एक और ग्रामीण नन्हक रविदास ने बताया कि इस गांव में वर्षों से पानी की समस्या बनी हुई है. नल जल योजना के तहत पाइप बिछा और नल लगाया गया तो महसूस हुआ कि पेयजल संकट से आजादी मिल जाएगी. लेकिन आज तक एक बूंद पानी उस नल से नही गिरा. इस गांव में नल जल योजना बस शोभामात्र के लिए है. मुखिया ने अपने स्तर से प्रयास किया है लेकिन जमीन में पानी नही है. इसके लिए बड़े स्तर से प्रयास करना पड़ेगा.
DM से लेकर विधायक तक को पत्र
आरोपुर पंचायत के मुखिया कन्हैया पासवान ने बताया कि ये पंचायत पहाड़ों से घिरा है. इस पंचायत में भूमिगत जल स्त्रोत ना के बराबर है. नल जल योजना के तहत तीन बार बोरिंग किया गया लेकिन पानी कुछ दिन निकला फिर छोड़ दिया. हमने पूरा प्रयास किया है .इस संबंध में जिलाधिकारी और विधायक को पत्र लिखकर जानकारी दे दिया हूं.
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160 फिट पर मिलता है पानी
आपको बता दें कि गया जिला की भुमिगत भूगोलिक स्थिति पथरीली है. आरोपुर गांव अति पथरीला क्षेत्र है. इस क्षेत्र में पानी का ठहराव सीमित नहीं है. चापाकल के लिए 20 से 25 फिट पर पानी मिल जाएगा. लेकिन बोरिंग जब स्थायी किया जाता है तो 160 फिट पर पानी मिलता है वह भ कुछ दिन या माह के लिए. उसके बाद भूमिगत जल स्रोत लगातार घटता जाता है. इसी समस्या के कारण इस गांव में लोगों को नल जल योजना के तहत पानी नहीं मिल पा रहा है.