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कोरोना संकट में बिहार के भंता ने पकड़ी भगवान 'बुद्ध' की राह! - bihar corona news

बौद्घ भिक्षु भंता विशाल को बचपन से ही गरीबों, लाचारों की सेवा करने में प्रसन्नता का अनुभव होता था. यहीं कारण है कि बचपन में ही घर का त्यागकर वे बोधगया महाबोधि मंदिर पहुंच गए और दीक्षा लेकर भिक्षु बन गए.

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Published : Apr 16, 2020, 7:01 PM IST

गया: मान्यता है कि महात्मा बुद्घ का ज्ञान बिहार के बोधगया में महाबोधि वृक्ष के नीचे हुआ था. एक बार फिर इसी 'ज्ञानस्थली' से एक बौद्घ भिक्षु त्याग और दान का पाठ पूरी दुनिया को पढ़ा रहा है. बौद्घ भिक्षु दान में मिले पैसों से गांव-गांव घूम-घूमकर जरूरतमंदों को जहां खाना खिला रहे है, वहीं जरूरत पड़ने पर राशन भी उपलब्ध करा रहे हैं.

जरूरतमंदों को भोजन
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश में लागू लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों, रिक्शा चालाकों के घरों में चूल्हे नहीं जल रहे थे. बौद्घ भिक्षु विशाल को जब इसकी जानकारी मिली तब उनका मन द्रवित हो गया और अपने कुछ साथी को लेकर गांव में पहुंच गए. जहां खाना बनवाकर उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन करवाना प्रारंभ कर दिया.

Gaya
बौद्घ भिक्षु भंता विशाल

कई गांवों में चला चुके हैं रसोई
बौद्घ भिक्षु भंता विशाल को बचपन से ही गरीबों, लाचारों की सेवा करने में प्रसन्नता का अनुभव होता था. यहीं कारण है कि बचपन में ही घर का त्यागकर वे बोधगया महाबोधि मंदिर पहुंच गए और दीक्षा लेकर भिक्षु बन गए. भंता विशाल बताते हैं कि वे अब तक खजवती, दुमुहान, भागलपुर, सरस्वती, बसाड़ी, कॉलोनी, सलौंजा सहित कई गांवों में रसोई बनाकर लोगों को भोजन करा चुके हैं.

लोगों को खुशी देने के लिए एक छोटी कोशिश
विशाल बताते हैं, 'मेरे पास दान में मिले करीब 50 हजार रुपये जमा थे. इस स्थिति में इन पैसों का सदुपयोग करने का मेरे पास अच्छा मौका था. मैंने इन्हीं पैसों से लोगों को खुशी देने के लिए एक छोटी कोशिश की.'उन्होंने बताया कि इस दौरान रसोई बनाने में जब कुछ कठिनाइयां सामने आने लगी, तब सूखा राशन जरूरतमंदों के घरों तक दे आता हूं.

Gaya
गरीबों को खाना खिलाते बौद्ध भिक्षु

स्थानीय लोग भी कर रहे मदद
18 वर्षीय विशाल कहते हैं कि भगवान बुद्घ ने त्याग और शांति का ही संदेश दिया है. पूरा देश आज कठिन दौर से गुजर रहा है, अगर आज हम थोड़े-थोड़े त्याग कर सकें तो न केवल देश की सेवा हो सकेगी बल्कि गुरु की भी सेवा हो जाएगी. भंते विशाल कहते हैं कि यह कार्य उन्होंने लॉक डाउन प्रारंभ होने के साथ ही शुरू किया था और आगे भी जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि अब कुछ स्थानीय लोग भी उनकी मदद करने के लिए सामने आ रहे हैं. इससे गरीब मानव का कल्याण हो सकेगा.

'गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा'
भविष्य की योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा,'ऐसे तो कई योजनाएं हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता गरीबों की सेवा करने की है. ऐसे में मैं एक ऐसे विद्यालय की स्थापना करना चाहता हूं, जिसमें गरीब, निर्धन, लाचारों के बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर सके.' भंते का कहना है कि गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है.

हर साल पहुंचते हैं लाखों पर्यटक
बता दें कि गया जिले के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर बौद्घ संप्रदायों का मुख्य तीर्थस्थल है. मान्यता है कि यहीं स्थित बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्घ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. प्रतिवर्ष यहां देश और विदेश के लाखों पर्यटक पहुंचते हैं.

गया: मान्यता है कि महात्मा बुद्घ का ज्ञान बिहार के बोधगया में महाबोधि वृक्ष के नीचे हुआ था. एक बार फिर इसी 'ज्ञानस्थली' से एक बौद्घ भिक्षु त्याग और दान का पाठ पूरी दुनिया को पढ़ा रहा है. बौद्घ भिक्षु दान में मिले पैसों से गांव-गांव घूम-घूमकर जरूरतमंदों को जहां खाना खिला रहे है, वहीं जरूरत पड़ने पर राशन भी उपलब्ध करा रहे हैं.

जरूरतमंदों को भोजन
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश में लागू लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों, रिक्शा चालाकों के घरों में चूल्हे नहीं जल रहे थे. बौद्घ भिक्षु विशाल को जब इसकी जानकारी मिली तब उनका मन द्रवित हो गया और अपने कुछ साथी को लेकर गांव में पहुंच गए. जहां खाना बनवाकर उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन करवाना प्रारंभ कर दिया.

Gaya
बौद्घ भिक्षु भंता विशाल

कई गांवों में चला चुके हैं रसोई
बौद्घ भिक्षु भंता विशाल को बचपन से ही गरीबों, लाचारों की सेवा करने में प्रसन्नता का अनुभव होता था. यहीं कारण है कि बचपन में ही घर का त्यागकर वे बोधगया महाबोधि मंदिर पहुंच गए और दीक्षा लेकर भिक्षु बन गए. भंता विशाल बताते हैं कि वे अब तक खजवती, दुमुहान, भागलपुर, सरस्वती, बसाड़ी, कॉलोनी, सलौंजा सहित कई गांवों में रसोई बनाकर लोगों को भोजन करा चुके हैं.

लोगों को खुशी देने के लिए एक छोटी कोशिश
विशाल बताते हैं, 'मेरे पास दान में मिले करीब 50 हजार रुपये जमा थे. इस स्थिति में इन पैसों का सदुपयोग करने का मेरे पास अच्छा मौका था. मैंने इन्हीं पैसों से लोगों को खुशी देने के लिए एक छोटी कोशिश की.'उन्होंने बताया कि इस दौरान रसोई बनाने में जब कुछ कठिनाइयां सामने आने लगी, तब सूखा राशन जरूरतमंदों के घरों तक दे आता हूं.

Gaya
गरीबों को खाना खिलाते बौद्ध भिक्षु

स्थानीय लोग भी कर रहे मदद
18 वर्षीय विशाल कहते हैं कि भगवान बुद्घ ने त्याग और शांति का ही संदेश दिया है. पूरा देश आज कठिन दौर से गुजर रहा है, अगर आज हम थोड़े-थोड़े त्याग कर सकें तो न केवल देश की सेवा हो सकेगी बल्कि गुरु की भी सेवा हो जाएगी. भंते विशाल कहते हैं कि यह कार्य उन्होंने लॉक डाउन प्रारंभ होने के साथ ही शुरू किया था और आगे भी जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि अब कुछ स्थानीय लोग भी उनकी मदद करने के लिए सामने आ रहे हैं. इससे गरीब मानव का कल्याण हो सकेगा.

'गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा'
भविष्य की योजनाओं के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा,'ऐसे तो कई योजनाएं हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता गरीबों की सेवा करने की है. ऐसे में मैं एक ऐसे विद्यालय की स्थापना करना चाहता हूं, जिसमें गरीब, निर्धन, लाचारों के बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर सके.' भंते का कहना है कि गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है.

हर साल पहुंचते हैं लाखों पर्यटक
बता दें कि गया जिले के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर बौद्घ संप्रदायों का मुख्य तीर्थस्थल है. मान्यता है कि यहीं स्थित बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्घ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. प्रतिवर्ष यहां देश और विदेश के लाखों पर्यटक पहुंचते हैं.

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