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लोगों को सुरक्षा देने वाली पुलिस खुद है भगवान भरोसे, ना रहने के लिए छत, न शौचालय

सरकारी योजना के तहत बिहार के कई थाने हाईटेक हो चुके हैं. लेकिन यहां का मेडिकल थाना देखकर आप हैरान हो जाएंगे.

बदहाल स्थिती में थाना
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Published : Feb 28, 2019, 1:20 PM IST

गयाः 54 गांवो व शहर के कुछ हिस्सों को सुरक्षा देनेवाले मगध मेडिकल थाना के सिपाही खुद भगवान भरोसे हैं. ना रहने का लिए बैरक है ना ही शौचालय. कहां तो सरकार थानों को हाईटेक बनाने की बात करती है, लेकिन यहां के मेडिकल थाना की स्थिति देखकर आप हैरान रह जाएंगे.

जिले के मेडिकल थाना में व्यवस्था का घोर अभाव है, मनुष्य के दिनचर्या के लिए उचित व्यवस्था भी नहीं है. ना ही थानाध्यक्ष के बैठने का समुचित व्यवस्था है ना मानक के अनुरूप हाजत है. जवानों के रहने के लिय कुछ बांस के सहारे त्रिपाल का शेड बनाकर रहने की व्यवस्था की गई है. जैसे-तैसे मेडिकल थाना दो कमरे में चल रहा है. मुंशी और एसएसआई को बैठने और काम करने के लिए टिन की छत का एक रूम और बरामदा बनाया गया है.

बदहाल स्थिती में थाना

महिला पुलिसकर्मियों को परेशानी
महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. थाने के बाहर अगर थाना का सूचक बोर्ड ना हो तो कोई अनजान आदमी थाना खोज नहीं पाएगा. थाना का मुख्य गेट बांस से बना हुआ है. अंदर जाते ही बांस के सहारे त्रिपाल से बना जवानों के लिए बैरक है. थाने के खाली जगह पर जब्त गाड़ियों ने कब्जा कर लिया है. टिन के छत वाले बरामद में मुंशी और सिपाही काम करते नजर आएंगे.

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बदहाल स्थिती में थाना

कार्यालय में पड़ी है जब्त शराब
थाना के मुख्य भवन का रास्ता छापेमारी में जब्त शराब की बोतलों से संकीर्ण हो गया है. थानाध्यक्ष के कार्यालय तक शराब ही भरी हुई है. खुद थानाध्यक्ष के कार्यालय में समुचित व्यवस्था नहीं है. महिला सिपाही बताती हैं कि हमलोगों को बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. रात्रि ड्यूटी में छापेमारी के सूचना या महिला को गिरफ्तार करना हो तो घर से थाना आना होता है. शौचालय जाने के लिए सोचना पड़ता है.

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बदहाल स्थिती में थाना

शौच के लिए जाते हैं बाहर
पुरूष जवान किसी तरह त्रिपाल में रह जाते हैं. यहां तक कि महिला बंदी को शौचालय के लिए बाहर ले जाना पड़ता है. पुरूष सिपाही बताते हैं कि बारिश हो या ओलावृष्टि रात बैठकर गुजरना पड़ता है. भगवान भरोसे रात बिताते हैं. कई बार वरीय अधिकारियों से बोला गया लेकिन जमीन के मामला को लेकर भवन नहीं बन पाया. शौचालय के लिए बाहर ही अंधेरा होने पर जाते हैं.

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डीएसपी का क्या है कहना
वहीं, प्रशिक्षु डीएसपी रंजीत कुमार रजक ने बताया कि थाना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की जमीन पर है. थाने की बिल्डिंग बनाए जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से एनओसी आवश्यक है. एनओसी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. त्रिपाल वाले शेड को हटाकर टिन का शेड लगवाया जाएगा और शौचालय की भी व्यवस्था जल्द ही होगी.

गयाः 54 गांवो व शहर के कुछ हिस्सों को सुरक्षा देनेवाले मगध मेडिकल थाना के सिपाही खुद भगवान भरोसे हैं. ना रहने का लिए बैरक है ना ही शौचालय. कहां तो सरकार थानों को हाईटेक बनाने की बात करती है, लेकिन यहां के मेडिकल थाना की स्थिति देखकर आप हैरान रह जाएंगे.

जिले के मेडिकल थाना में व्यवस्था का घोर अभाव है, मनुष्य के दिनचर्या के लिए उचित व्यवस्था भी नहीं है. ना ही थानाध्यक्ष के बैठने का समुचित व्यवस्था है ना मानक के अनुरूप हाजत है. जवानों के रहने के लिय कुछ बांस के सहारे त्रिपाल का शेड बनाकर रहने की व्यवस्था की गई है. जैसे-तैसे मेडिकल थाना दो कमरे में चल रहा है. मुंशी और एसएसआई को बैठने और काम करने के लिए टिन की छत का एक रूम और बरामदा बनाया गया है.

बदहाल स्थिती में थाना

महिला पुलिसकर्मियों को परेशानी
महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. थाने के बाहर अगर थाना का सूचक बोर्ड ना हो तो कोई अनजान आदमी थाना खोज नहीं पाएगा. थाना का मुख्य गेट बांस से बना हुआ है. अंदर जाते ही बांस के सहारे त्रिपाल से बना जवानों के लिए बैरक है. थाने के खाली जगह पर जब्त गाड़ियों ने कब्जा कर लिया है. टिन के छत वाले बरामद में मुंशी और सिपाही काम करते नजर आएंगे.

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बदहाल स्थिती में थाना

कार्यालय में पड़ी है जब्त शराब
थाना के मुख्य भवन का रास्ता छापेमारी में जब्त शराब की बोतलों से संकीर्ण हो गया है. थानाध्यक्ष के कार्यालय तक शराब ही भरी हुई है. खुद थानाध्यक्ष के कार्यालय में समुचित व्यवस्था नहीं है. महिला सिपाही बताती हैं कि हमलोगों को बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. रात्रि ड्यूटी में छापेमारी के सूचना या महिला को गिरफ्तार करना हो तो घर से थाना आना होता है. शौचालय जाने के लिए सोचना पड़ता है.

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बदहाल स्थिती में थाना

शौच के लिए जाते हैं बाहर
पुरूष जवान किसी तरह त्रिपाल में रह जाते हैं. यहां तक कि महिला बंदी को शौचालय के लिए बाहर ले जाना पड़ता है. पुरूष सिपाही बताते हैं कि बारिश हो या ओलावृष्टि रात बैठकर गुजरना पड़ता है. भगवान भरोसे रात बिताते हैं. कई बार वरीय अधिकारियों से बोला गया लेकिन जमीन के मामला को लेकर भवन नहीं बन पाया. शौचालय के लिए बाहर ही अंधेरा होने पर जाते हैं.

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डीएसपी का क्या है कहना
वहीं, प्रशिक्षु डीएसपी रंजीत कुमार रजक ने बताया कि थाना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की जमीन पर है. थाने की बिल्डिंग बनाए जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से एनओसी आवश्यक है. एनओसी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. त्रिपाल वाले शेड को हटाकर टिन का शेड लगवाया जाएगा और शौचालय की भी व्यवस्था जल्द ही होगी.

Intro:54 गाँवो व शहर के कुछ हिस्सों को सुरक्षा देनेवाला मगध मेडिकल थाना के सिपाही खुद भगवान भरोसे हैं। ना रहने का बैरक हैं ना ही शौचालय हैं। सरकार थानों को हाईटेक बनाने का योजना बना रही है वही मेडिकल थाना बदहाल स्थिति में है।


Body:मेडिकल थाना मुकम्मल व्यवस्था का घोर अभाव है, मनुष्य के दिनचर्या के लिए उचित व्यवस्था नही है। मानक के अनुरूप हाजत भी नही है। थानाध्यक्ष को बैठने का समुचित व्यवस्था नहीं है। जवानों के रहने के लिय कुछ बाँस के सहारे त्रिपाल से शेड बनाकर रहने की व्यवस्था है। जैसे तैसे अवस्था मे मेडिकल थाना दो कमरे में चल रहा है। मुंशी और एसएसआई को बैठने और काम करने के लिए टिन के छत का एक रूम और बरामदा बनाया गया है। महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग कोई व्यवस्था नही है कभी त्रिपाल शेड में तो टिन वाले बरामदे में अपना काम निपटा ती हैं।

थाने के बाहर अगर थाना का सूचक बोर्ड ना हो तो कोई अनजान थाना खोज नही पायेगा। थाना का मुख्य गेट बांस से बना हुआ है। अंदर जाते ही बांस के सहारे त्रिपाल से बना जवानों के लिए बैरक है। थाने के खाली जगह पर जब्त गाड़ियों ने कब्जा कर लिया है। टिन के छत वाले बरामद में मुंशी और सिपाही काम करते नजर आए गए। आगे थाना का मुख्य भवन है। जब्त शराब ने रास्ता को संकीर्ण कर दिया हैं। थानाध्यक्ष के कार्यालय तक शराब ही भरा हुआ है। खुद थानाध्यक्ष के कार्यालय में समुचित व्यवस्था नही है।

महिला सिपाही बताती हैं हमलोग को रहने के लिए दूर की बात है बैठने का व्यवस्था नही है। रात्रि ड्यूटी में छापेमारी के सूचना या महिला को गिरफ्तार करना रहता हैं तो घर से थाना आती हुँ। पुरूष जवान किसी तरह त्रिपाल में रह जाते है। रहने के लिए हमलोग भी रह जाये पर यहां शौचालय नही है । महिला बंदी को शौचालय के लिए बाहर ले जाना पड़ता हैं। 12 घण्टा कभी कभी 15 घण्टा ड्यूटी करके आती हू कही बैठकर आराम कर लूं उसके लिए व्यवस्था नही है पुरूष बैरक में जो त्रिपाल से इनलोगों ने बनाया है उसी में रह लेते हैं।

पुरूष सिपाही बताते हैं जिले मे लगातार दो दिन से बारिश हो रहा है बारिश के साथ ओलावृष्टि और व्रजपात हो रहा है। बीती रात बैठकर गुजरना पड़ा। त्रिपाल वाला शेड बरसात के पानी को बर्दाश्त नही किया और जहां तहां फट गया। भगवान भरोसे रात बिता हैं। वरीय अधिकारियों से बोला गया है पर जमीन के मामला को लेकर भवन नही बन रहा है। शौचालय के लिए बाहर ही अंधेरा होने पड़ जाते हैं।


Conclusion:प्रशिक्षु डीएसपी रंजीत कुमार रजक ने बताया थाना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जमीन पर हैं। थाने की बिल्डिंग बनाए जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से एनओसी आवश्यक है एनओसी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। त्रिपाल वाले शेड को हटाकर टिन का शेड लगवाए गए और शौचालय का व्यवस्था जल्द ही होगा।
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