गया: उज्बेकिस्तान में भारत के राजदूत मनीष प्रभात बुधवार को गया पहुंचे. यहां उन्होंने तिलकुट निर्माण कार्य को देखते हुए जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुरुआ प्रखंड के इटहरी गांव पहुंचे. जहां पर विगत कई वर्षों से मशरूम की फार्मिंग की जा रही है. इस प्लांट में प्रतिदिन 4 सौ से 5 सौ किलो तक मशरूम का उत्पादन होता है.
ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती कर कटिहार की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, प्रशिक्षण लेकर कमा रहीं 10 से 15 हजार महीना
गया पहुंचे उजबेकिस्तान के राजदूत: जिले में हो रहे मशरूम के फॉर्मिंग में पराली का उपयोग होता है, जो इन दिनों बड़ी समस्या बनी हुई है. मशरूम निकालने के बाद वह पुनः उर्वरक के रूप में खेतों में काम आ जाता है. इस प्लांट के संचालक राजेश सिंह के द्वारा जिले के महिलाओं को मशरूम उत्पादन के लिए ट्रेनिंग भी दिया जाता है. अभी तक हजारो महिलाएं ट्रेनिंग पाकर स्वाबलंबी हो चुकी हैं.
मशरूम प्लांट का किया निरीक्षण: राजदूत मनीष प्रभात ने मशरूम उत्पादन की बारीकियों को समझा और कहा कि यह खुशी की बात है कि बिहार के गया जिले में प्रगतिशील कार्य हो रहा है. उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में रहे भारतीय राजदूतों को वार्षिक कॉन्फ्रेंस के लिए बुलाया गया है. गुजरात में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस को पीएम मोदी संबोधित करने वाले हैं.
वन डिस्ट्रीक वन प्रोडक्ट का कॉन्सेप्ट: राजदूत ने बताया कि सभी देशों के राजदूतों को निर्देशित किया गया है अपने-अपने गृह राज्य में सभी राजदूत वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत केंद्र सरकार द्वारा चयनित प्रोडक्ट का निरीक्षण करें और कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट दें. इसी के तहत वे यहां आए हैं और तिलकुट निर्माण तथा मशरूम उत्पादन का निरीक्षण किया है.
सरकार को सौंपेंगे अपनी रिपोर्ट: मनीष प्रभात ने बताया कि चूंकि वे लोग विदेश सेवा में हैं, भारतीय मशरूम का निर्यात विदेशों में कैसे हो? इस दिशा में वे काम करेंगे. साथ ही इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को सरकारी मदद ज्यादा से ज्यादा हो, इसके लिए प्रयास करेंगे और सरकार को भी अपनी रिपोर्ट में इन बातों को दर्शाएंगे.
"देखिए हमलोग, भारत के सभी राजदूत जो दुनियाभर में हैं, उनको वार्षिक कॉन्फ्रेंस के लिए बुलाया गया है. ये कॉन्फ्रेंस गुजरात में हो रहा है. पीएम मोदी इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. भारत सरकार ये चाहती थी कि सभी राजदूत अपने-अपने राज्यों में जाएं और देखकर आएं कि वन डिस्ट्रीक वन प्रोडक्ट के तहत क्या काम हो रहा है. जो एम्बेस्डर बिहार के हैं, उनका समूह बिहार आया हुआ है. कल पटना में मुख्यसचिव और राज्यपाल से मुलाकात हुई. इसी क्रम में पता चला कि गया में तिलकूट और मशरूम फार्मिंग हो रहा है. जिसके बाद आज यहां आए हुए हैं. मशरूम को लेकर यहां करीब 500 महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है. हमलोग चाहेंगे की बिहार सकरार लोगों को मदद करे. इस तरह के स्टार्टअप को हर जगह सफलता मिले, ये हमलोग चाहेंगे."- मनीष प्रभात, उजबेकिस्तान में भारत के राजदूत
"आज जो लोग आए हैं, हमलोगों ने उनका स्वागत किया है और हमारे बीच के लोग हमारे प्लांट पर पहुंचे हैं, इससे हमें खुशी हो रही है. जो पराली कभी बेस्ट मानी जाती थी, उसे मशरूम में कैसे कन्वर्ट करें? इस तरह का प्रयास हमलोगों ने किया है. आज 500 महिलाएं हम से जुड़ी हुई है और वे स्वावलंबी बन रही हैं. ज्यादा से ज्यादा किसान हमसे जुड़ें, हम इस बात का ख्याल रख रहे हैं. मशरूम की खेती कर लोगों की आय दुगनी हो, ऐसा हमारा प्रयास है. इस तरह की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है."- राजेश सिंह, मशरूम फार्मिंग करने वाले किसान
ये भी पढ़ें- गया: बेबी कॉर्न की खेती कर रहे किसान, बोले- आम के आम के साथ मिलता है गुठली का दाम