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बोले कृषि मंत्री- बायोफ्लॉक प्रक्रिया से मछली उत्पादन करना है बेहतर विकल्प, दें बढ़ावा

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने मत्स्य निर्देशक से बायोफ्लॉक के बारे में जाना. इस दौरान उन्होंने कहा कि बायोफ्लॉक प्रक्रिया के जरिए कम पानी और सीमित समय में मछली उत्पादन किया जा सकता है.

कृषि मंत्री प्रेम कुमार
कृषि मंत्री प्रेम कुमार
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Published : May 11, 2020, 3:40 PM IST

गया: लॉकडाउन में हो रहे क्राइम को लेकर बिहार सरकार के कृषि डॉ. मंत्री प्रेम कुमार ने चिंता जताई है. उन्होंने पुलिस को अपराधियों के साथ सख्ती से निपटे आदेश दिए हैं. इसके अलावा उन्होंने लॉकडाउन के कारण व्यापार और कृषि जगत पर पड़ रहे प्रभावों पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने मगध प्रमंडल के उप मत्स्य निर्देशक उदय प्रकाश से मत्स्य निर्देशालय के द्वारा क्रियांवित बायोफ्लॉक के बारे में जानकारी ली.

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि बायोफ्लॉक मछली उत्पादन की एक उन्नत और नई तकनीकी है. इस तकनीकी से सीमित जगह, कम पानी और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए मछलियों का गुणवत्तायुक्त उत्पादन किया जा सकता है. इस योजना के माध्यम से मत्स्य कृषकों को युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर मिलेंगे. उन्होंने कहा कि बायोफ्लॉक तकनीकी से 5 टैंक और 10 टैंक के मत्स्य उत्पादन इकाइयों को लगाने का प्रावधान है.

सरकार की ओर से दिया जाएगा अनुदान
जानकारी के मुताबिक 05 टैंक की इकाई लगाने के लिए 2400 वर्ग फीट और 10 टैंक की इकाई को लगाने के लिए 3500 वर्ग फुट की आवश्यकता है. निर्धारित मानकों के अनुसार 05 टैंक वाले बायोफ्लॉक यूनिट की इनपुट सहित लागत 8.5 लाख रुपये और 10 टैंक वाले बायोफ्लॉक की यूनिट 13.60 लाख रुपये निर्धारित की गई है. योजनांतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के लाभुक को 57 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा.

दो किश्तों में दी जाएगी अनुदान की राशि
सरकार की ओर से मिलने वाले इस अनुदान की राशि दो किश्तों में दी जाएगी. पहली किस्त टैंक स्थापित पर शेड के निर्माण के लिए और दूसरी किस्त मत्स्य बीज और उत्पादन के बाद दी जाएगी. योजनाओं के लिए आवेदन व्यक्तिगत रूप से जिला मत्स्य पदाधिकरी कार्यालय में सम्पर्क करके या ऑनलाइन करना होगा.

गया: लॉकडाउन में हो रहे क्राइम को लेकर बिहार सरकार के कृषि डॉ. मंत्री प्रेम कुमार ने चिंता जताई है. उन्होंने पुलिस को अपराधियों के साथ सख्ती से निपटे आदेश दिए हैं. इसके अलावा उन्होंने लॉकडाउन के कारण व्यापार और कृषि जगत पर पड़ रहे प्रभावों पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने मगध प्रमंडल के उप मत्स्य निर्देशक उदय प्रकाश से मत्स्य निर्देशालय के द्वारा क्रियांवित बायोफ्लॉक के बारे में जानकारी ली.

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि बायोफ्लॉक मछली उत्पादन की एक उन्नत और नई तकनीकी है. इस तकनीकी से सीमित जगह, कम पानी और पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए मछलियों का गुणवत्तायुक्त उत्पादन किया जा सकता है. इस योजना के माध्यम से मत्स्य कृषकों को युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर मिलेंगे. उन्होंने कहा कि बायोफ्लॉक तकनीकी से 5 टैंक और 10 टैंक के मत्स्य उत्पादन इकाइयों को लगाने का प्रावधान है.

सरकार की ओर से दिया जाएगा अनुदान
जानकारी के मुताबिक 05 टैंक की इकाई लगाने के लिए 2400 वर्ग फीट और 10 टैंक की इकाई को लगाने के लिए 3500 वर्ग फुट की आवश्यकता है. निर्धारित मानकों के अनुसार 05 टैंक वाले बायोफ्लॉक यूनिट की इनपुट सहित लागत 8.5 लाख रुपये और 10 टैंक वाले बायोफ्लॉक की यूनिट 13.60 लाख रुपये निर्धारित की गई है. योजनांतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के लाभुक को 57 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा.

दो किश्तों में दी जाएगी अनुदान की राशि
सरकार की ओर से मिलने वाले इस अनुदान की राशि दो किश्तों में दी जाएगी. पहली किस्त टैंक स्थापित पर शेड के निर्माण के लिए और दूसरी किस्त मत्स्य बीज और उत्पादन के बाद दी जाएगी. योजनाओं के लिए आवेदन व्यक्तिगत रूप से जिला मत्स्य पदाधिकरी कार्यालय में सम्पर्क करके या ऑनलाइन करना होगा.

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