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पपीता की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्री ने की बैठक - पपीती की खेती

कृषि मंत्री ने गया अधिकारियों के साथ बैठक में पपीता की खेती को बढ़ावा देने पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में बाहर से आ रहे किसानों के लिए रोजगार का माध्यम बन सकता है.

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Published : May 3, 2020, 2:25 PM IST

गया: बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने पपीता की खेती को बढ़ावा देने के लिए बैठक की. इस बैठक में गया के सहायक निदेशक ओम प्रकाश मिश्रा भी मौजूद रहे. मंत्री प्रेम कुमार ने बिहार के सहायक निर्देशक ओम प्रकाष मिश्रा से उद्यान निदेषालय की ओर से चलाए जा रहे बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम अन्तर्गत गया जिला के लिए विशेष फसल के रुप में चिन्हित पपीता की खेती सहित अन्य चीजों की जानकारी ली.

प्रवासियों को मिलेगी नौकरी
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि लाॅकडाउन में बिहार के बाहर और अन्य राज्यों से वापस लौटे मजदूरों और किसानों को रोजगार देने और उन्हें बेहतर आय के साधन उपलब्ध कराने के लिए गया में पपीता की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पपीता औषधीय गुणों से युक्त फल होता है. इसके फल को पका और कच्चा दोनो रुपों में प्रयोग किया जाता है. प्रेम कुमार ने आगे कहा कि इसके अतिरिक्त पपीता से मिलने वाले पेपेन (पपीता के दूध) से विभिन्न त्वचा और पेट संबंधी रोगों की दवाईयां भी बनती हैं. बता दें कि यह योजना पांच साल के लिए है.

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पपीता की खेती

50 हेक्टेयर का होगा समूह
प्रेम कुमार ने कहा कि पहले साल में समूह का गठन कर मशीन आदि संस्थापना हेतु राषि उपलब्ध कराई जाएगी. एक समूह 50 हेक्टेयर का होगा. दूसरे और तीसरे साल में गुड एग्रीकल्चरल प्रैकटिसेस, पैकेजिंग मटेरियल और गुड हायजेनिक प्रैक्टिसेस के लिए राशि दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि समूह से प्राप्त प्रस्ताव के आलोक में चौथे और पांचवे साल आवश्यकता अनुसार मरम्मती और आकस्मिता हेतु राशि उपलब्ध कराई जाएगी.

मजदूरों का पलायन दर होगा कम
मंत्री ने सहायक निर्देशक को निर्देश दिया कि गया जिला के लिए चिन्हित फसल पपीता की खेती से किसानों को जोड़ने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार कर जागरूक किया जाए. योजना के लक्ष्य को शत प्रतिशत प्राप्त करने पर निश्चित ही गया जिला को एक पहचान मिलेगी. इससे मजूदरों और किसानों का पलायन रुकेगा और रोजगार के अवसर बढे़गा.

गया: बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने पपीता की खेती को बढ़ावा देने के लिए बैठक की. इस बैठक में गया के सहायक निदेशक ओम प्रकाश मिश्रा भी मौजूद रहे. मंत्री प्रेम कुमार ने बिहार के सहायक निर्देशक ओम प्रकाष मिश्रा से उद्यान निदेषालय की ओर से चलाए जा रहे बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम अन्तर्गत गया जिला के लिए विशेष फसल के रुप में चिन्हित पपीता की खेती सहित अन्य चीजों की जानकारी ली.

प्रवासियों को मिलेगी नौकरी
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि लाॅकडाउन में बिहार के बाहर और अन्य राज्यों से वापस लौटे मजदूरों और किसानों को रोजगार देने और उन्हें बेहतर आय के साधन उपलब्ध कराने के लिए गया में पपीता की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पपीता औषधीय गुणों से युक्त फल होता है. इसके फल को पका और कच्चा दोनो रुपों में प्रयोग किया जाता है. प्रेम कुमार ने आगे कहा कि इसके अतिरिक्त पपीता से मिलने वाले पेपेन (पपीता के दूध) से विभिन्न त्वचा और पेट संबंधी रोगों की दवाईयां भी बनती हैं. बता दें कि यह योजना पांच साल के लिए है.

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पपीता की खेती

50 हेक्टेयर का होगा समूह
प्रेम कुमार ने कहा कि पहले साल में समूह का गठन कर मशीन आदि संस्थापना हेतु राषि उपलब्ध कराई जाएगी. एक समूह 50 हेक्टेयर का होगा. दूसरे और तीसरे साल में गुड एग्रीकल्चरल प्रैकटिसेस, पैकेजिंग मटेरियल और गुड हायजेनिक प्रैक्टिसेस के लिए राशि दी जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि समूह से प्राप्त प्रस्ताव के आलोक में चौथे और पांचवे साल आवश्यकता अनुसार मरम्मती और आकस्मिता हेतु राशि उपलब्ध कराई जाएगी.

मजदूरों का पलायन दर होगा कम
मंत्री ने सहायक निर्देशक को निर्देश दिया कि गया जिला के लिए चिन्हित फसल पपीता की खेती से किसानों को जोड़ने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार कर जागरूक किया जाए. योजना के लक्ष्य को शत प्रतिशत प्राप्त करने पर निश्चित ही गया जिला को एक पहचान मिलेगी. इससे मजूदरों और किसानों का पलायन रुकेगा और रोजगार के अवसर बढे़गा.

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