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शतरंज का बादशाह निकला 5 साल का अतुल्य, कमिश्नर ने मुरीद होकर सौंप दी कुर्सी - बिहार सरकार

महज पांच साल के अतुल्य प्रकाश शह और मात के खेल को बाखूबी खेलना जानते हैं. यूकेजी में पढ़ने वाले अतुल्य का सपना है कि वो बड़े होकर कमिश्नर बनें. ये सपना जब उन्होंने खुद कमिश्नर साहब को बताया, तो कमिश्नर ने उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठा दिया.

कमिश्नर
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Published : Nov 19, 2019, 10:32 PM IST

गया: प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. सच्ची लगन और मेहनत से जीत और कामयाबी हासिल की जा सकती है. इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है महज पांच साल के अतुल्य प्रकाश ने. जैसा नाम वैसा ही अतुलनीय काम. छोटे से अतुल्य प्रकाश शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं.

गया जिला के खिजरसराय अंतर्गत जमुआवां गांव के रहने वाले अतुल्य ने शह और मात के खेल शतरंज में किला फतह कर कई टूर्नामेंट अपने नाम किये हैं. यही नहीं, अतुल्य ने पटना में हुई राज्य स्तरीय स्कूल शतरंज प्रतियोगिता के अंडर-6 ग्रुप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है.

क्या कहते हैं अतुल्य

इसके चलते विजेताओं को सम्मानित कर रहे मगध प्रमंडल कमिश्नर असंगबा चुबा आओ ने जैसे ही उनसे पूछा कि आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हो. तो अतुल्य ने मासूमियत में भरे लफ्जों में कहास 'कमिश्नर'. यह सुनते ही कमिश्नर असंगबा ने उन्हें गोद में उठा लिया और अपनी कुर्सी में ले जाकर बैठा दिया.

कमिश्नर के साथ अतुल्य
कमिश्नर के साथ अतुल्य

डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
इससे पहले डीएम भी अतुल्य को सम्मानित कर चुके हैं. अतुल्य ने बताया कि कमिश्नर साहब ने उनके साथ फोटो खिंचवाई है. उनसे कहा है कि और अच्छे से खेलो. बड़ा खिलाड़ी बनो. मैं बहुत खुश हूं.

डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित

क्या कहते हैं अतुल्य...
तोतली जुबां में आगे भी शतरंज का माहिर खिलाड़ी बनने की बात करते हुए अतुल्य कहते हैं कि बहुत मेडल मिले हैं. अतुल्य पटना में पढ़ाई करते हैं. वो इस यूकेजी के छात्र हैं. वहीं, उनके पिता ने बताया कि अतुल्य तीन साल से शतरंज खेल रहे हैं. उन्होंने इस छोटी सी उम्र में सात से आठ टूर्नामेंट खेले हैं, जिसमे दो अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट हैं.

अतुल्य अपने पिता और साथी खिलाड़ियों के साथ
अतुल्य अपने पिता और साथी खिलाड़ियों के साथ

कमिश्नर ने जिस अंदाज से अतुल्य की हौसलाअफजाई की है, उससे इस मासूम का आत्मविश्वास जरूर दुगुना हुआ है. ये कहना गलत नहीं कि भविष्य में अतुल्य प्रकाश की यह प्रतिभा उनके जिले के साथ-साथ प्रदेश और देश का नाम ऊंचा करेगी.

बहुत मेडल मिला है भाई
बहुत मेडल मिला है भाई

गया: प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. सच्ची लगन और मेहनत से जीत और कामयाबी हासिल की जा सकती है. इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है महज पांच साल के अतुल्य प्रकाश ने. जैसा नाम वैसा ही अतुलनीय काम. छोटे से अतुल्य प्रकाश शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं.

गया जिला के खिजरसराय अंतर्गत जमुआवां गांव के रहने वाले अतुल्य ने शह और मात के खेल शतरंज में किला फतह कर कई टूर्नामेंट अपने नाम किये हैं. यही नहीं, अतुल्य ने पटना में हुई राज्य स्तरीय स्कूल शतरंज प्रतियोगिता के अंडर-6 ग्रुप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है.

क्या कहते हैं अतुल्य

इसके चलते विजेताओं को सम्मानित कर रहे मगध प्रमंडल कमिश्नर असंगबा चुबा आओ ने जैसे ही उनसे पूछा कि आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हो. तो अतुल्य ने मासूमियत में भरे लफ्जों में कहास 'कमिश्नर'. यह सुनते ही कमिश्नर असंगबा ने उन्हें गोद में उठा लिया और अपनी कुर्सी में ले जाकर बैठा दिया.

कमिश्नर के साथ अतुल्य
कमिश्नर के साथ अतुल्य

डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
इससे पहले डीएम भी अतुल्य को सम्मानित कर चुके हैं. अतुल्य ने बताया कि कमिश्नर साहब ने उनके साथ फोटो खिंचवाई है. उनसे कहा है कि और अच्छे से खेलो. बड़ा खिलाड़ी बनो. मैं बहुत खुश हूं.

डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित

क्या कहते हैं अतुल्य...
तोतली जुबां में आगे भी शतरंज का माहिर खिलाड़ी बनने की बात करते हुए अतुल्य कहते हैं कि बहुत मेडल मिले हैं. अतुल्य पटना में पढ़ाई करते हैं. वो इस यूकेजी के छात्र हैं. वहीं, उनके पिता ने बताया कि अतुल्य तीन साल से शतरंज खेल रहे हैं. उन्होंने इस छोटी सी उम्र में सात से आठ टूर्नामेंट खेले हैं, जिसमे दो अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट हैं.

अतुल्य अपने पिता और साथी खिलाड़ियों के साथ
अतुल्य अपने पिता और साथी खिलाड़ियों के साथ

कमिश्नर ने जिस अंदाज से अतुल्य की हौसलाअफजाई की है, उससे इस मासूम का आत्मविश्वास जरूर दुगुना हुआ है. ये कहना गलत नहीं कि भविष्य में अतुल्य प्रकाश की यह प्रतिभा उनके जिले के साथ-साथ प्रदेश और देश का नाम ऊंचा करेगी.

बहुत मेडल मिला है भाई
बहुत मेडल मिला है भाई
Intro:राज्य स्तरीय स्कूल शतरंज प्रतियोगिता के अंडर 6 ग्रुप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त करने वाला पांच वर्षीय अतुल्य प्रकाश सिन्हा को मगध प्रमंडल आयुक्त असंगबा चुबा आओ ने प्रसन्न होकर अतुल्य को गोद में उठाकर अपनी कुर्सी पर बिठा दिया।


Body:प्रतिभा किसी के उम्र का मोहताज नहीं होता बस सच्ची लगन और मेहनत से हर चीज हासिल किया जा सकता है। इस कथन को चरितार्थ करके दिखाया है एक महज पांच साल का नन्हा सा अतुल्य जिसने शतरंज प्रतियोगिता में अव्वल लाकर मगध प्रमण्डल के कमिश्नर के कुर्सी पर जा बैठा है। कमिश्नर बैठने का वाक्य भी बड़ा दिलचस्प रहा , शतरंज विजेताओं को कमिश्नर सम्मानित कर रहे थे इसी बीच अतुल्य को जब कमिश्नर सम्मानित कर रहे थे उसे पूछो बड़ा होकर क्या बना चाहते हो अतुल्य ने हंसते हुए कमिश्नर बने का इच्छा जाहिर किया, कमिश्नर ने तुरंत अतुल्य को गोद मे लेकर अपने कुर्सी पर बैठाया। ये दृश्य देख हर कोई परसन्न हो चुका।

अतुल्य मूलतः गया जिला के खिजरसराय अंतर्गत जमुआवां ग्राम का रहने वाला है अतुल्य पटना स्थित हेलो किड्स स्कूल में यूकेजी में पढ़ाई करता है। कम उम्र में अतुल्य के नाम कई उपलब्धि प्राप्त है अतुल्य के घर में पूरा शतरंज का माहौल है उनके पापा और चाचा शतरंज खेल से जुड़े हैं। अतुल्य के दोनो बहन भी शतरंज खेलती हैं इस प्रतियोगिता उन्होंने ने भी सफलता हासिल की है।

अतुल्य ने बताया आज मुझे कमिश्नर ने अपने कुर्सी पर बैठाया, मुझे पूछे क्या बना चाहते हो मैं बोला कमिश्नर बना चाहता हूं तब उन्होंने मुझे अपने कुर्सी पर बैठाया। मुझे बैठकर बहुत अच्छा लगा। मैं चैस में खूब मेडल जितना चाहता हूँ, बड़ा होकर कमिश्नर बना चाहता हूं।

अतुल्य के पिता जय प्रकाश सिंह ने बताया अतुल्य तीन वर्ष के उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। पांच वर्ष के उम्र में सात से आठ टूर्नामेंट खेल चुके जिसमे दो अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट है। आज अतुल्य को कमिश्नर ने सर ने जो सम्मान दिए हैं उसे पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।



Conclusion:विसुअल और फ़ोटो wrap से भेज दे रहे हैं।
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