गया: प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. सच्ची लगन और मेहनत से जीत और कामयाबी हासिल की जा सकती है. इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है महज पांच साल के अतुल्य प्रकाश ने. जैसा नाम वैसा ही अतुलनीय काम. छोटे से अतुल्य प्रकाश शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं.
गया जिला के खिजरसराय अंतर्गत जमुआवां गांव के रहने वाले अतुल्य ने शह और मात के खेल शतरंज में किला फतह कर कई टूर्नामेंट अपने नाम किये हैं. यही नहीं, अतुल्य ने पटना में हुई राज्य स्तरीय स्कूल शतरंज प्रतियोगिता के अंडर-6 ग्रुप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है.
इसके चलते विजेताओं को सम्मानित कर रहे मगध प्रमंडल कमिश्नर असंगबा चुबा आओ ने जैसे ही उनसे पूछा कि आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हो. तो अतुल्य ने मासूमियत में भरे लफ्जों में कहास 'कमिश्नर'. यह सुनते ही कमिश्नर असंगबा ने उन्हें गोद में उठा लिया और अपनी कुर्सी में ले जाकर बैठा दिया.
डीएम भी कर चुके हैं सम्मानित
इससे पहले डीएम भी अतुल्य को सम्मानित कर चुके हैं. अतुल्य ने बताया कि कमिश्नर साहब ने उनके साथ फोटो खिंचवाई है. उनसे कहा है कि और अच्छे से खेलो. बड़ा खिलाड़ी बनो. मैं बहुत खुश हूं.
क्या कहते हैं अतुल्य...
तोतली जुबां में आगे भी शतरंज का माहिर खिलाड़ी बनने की बात करते हुए अतुल्य कहते हैं कि बहुत मेडल मिले हैं. अतुल्य पटना में पढ़ाई करते हैं. वो इस यूकेजी के छात्र हैं. वहीं, उनके पिता ने बताया कि अतुल्य तीन साल से शतरंज खेल रहे हैं. उन्होंने इस छोटी सी उम्र में सात से आठ टूर्नामेंट खेले हैं, जिसमे दो अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट हैं.
कमिश्नर ने जिस अंदाज से अतुल्य की हौसलाअफजाई की है, उससे इस मासूम का आत्मविश्वास जरूर दुगुना हुआ है. ये कहना गलत नहीं कि भविष्य में अतुल्य प्रकाश की यह प्रतिभा उनके जिले के साथ-साथ प्रदेश और देश का नाम ऊंचा करेगी.