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Gaya Pitru Paksha Mela: गया पितृपक्ष मेले का 12वां दिन आज, गयासिर और गयाकूप में पिंडदान का विधान, मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति

पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन गयासिर और गयाकूप में पिंडदान का विधान है. इन वेदियों पर गयासुर का सिर और नाभि होने का स्थान है. यहां पिंडदान करने से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है. पढे़ं स्पेशल खबर-

12th Day of Gaya Pitru Paksha Mela
गया पितृपक्ष मेले का 12वां दिन आज
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 9, 2023, 6:00 AM IST

गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन आश्विन कृष्ण दशमी को गया सिर और गयाकूप पर पिंडदान का विधान है. इन वेदियों पर पिंडदान से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. गयाकूप में प्रेत बाधा को दूर किया जाता है. मान्यता है कि यहां सिकड़ों में प्रेत को कैद कर इस बाधा से पीड़ित पितर को मोक्ष दिलाई जाती है. गयाकूप में स्थित कुएं में नारियल को अर्पित करने के बाद मुड़ कर नहीं देखने का विधान है.

गया विष्णुपद मंदिर
गया विष्णुपद मंदिर

ये भी पढ़ें- Pitru Paksha 2023 : राज्यपाल ने सात गोत्र में 121 कुल के उद्धार के लिए किया पिंडदान, विष्णुपद में 2 घंटे रुके


ये है गया सिर और गयाकूप की मान्यता : दोनों ही वेदियां प्रमुख वेदियों में से एक है. गया जी में त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने जो कोई आते हैं, वह पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन गया सिर और गयाकूप में पिंडदान करते हैं. 12वें दिन यानी आश्विन कृष्ण दशमी को इन्हीं दो वेदियों पर पिंडदान का विधान है. मान्यता है कि गया सिर में गयासुर का सिर का स्थान है. वहीं, गया कूप में गयासुर के नाभि का स्थान है. इस तरह इन दोनों ही वेेदियों की काफी मान्यता है.

गया सिर वेदी जहां होता है पिंडदान
गया सिर वेदी जहां होता है पिंडदान
विष्णु पद मंदिर से दक्षिण में स्थित है
: विश्व प्रसिद्ध विष्णु पद मंदिर से दक्षिण में गयासिर स्थान है. वहीं पर समीप में ही गयाकूप स्थित है. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए यहां पिंडदान किया जाता है. गयाकूप के संबंध में मान्यता है, कि यहां पितृ दोष दूर करने के लिए इस वेदी में पिंडदान किया जाता है. प्राचीन काल से गयाकूप में पितृ दोष, त्रिपिंडी दोष को दूर करने के लिए यहां पिंडदान करने की परंपरा रही है.
पिंडदान कराते श्रद्धालु
पिंडदान कराते श्रद्धालु
गयाकूप में पिंडदान से घर की बाधाएं होती है दूर : गयाकूप के संबंध में कई तरह की मान्यताएं हैं. गयाकूप के संबंध में यह भी मान्यता है, कि यहां पिंडदान से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसके साथ ही यहां पिंडदान से घर की बाधाएं दूर होती है. यहां नारायण बलि श्राद्ध भी तीर्थयात्री करते हैं. इसी स्थान पर प्रेत को शांत कराया जाता है. जिनके घर में प्रेत बाधा होती है, उनके पितर को पिंडदान के उपरांत प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और घर में सुुख शांति आती है.
गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति
गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति

पीछे मुड़कर न देखने का विधान : मान्यता है, कि लोहे की जंजीर में प्रेत को बांध दिया जाता है और पिंडदान कर्मकांड के बाद पितर को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसी प्रकार गयाकूप में पिंडदान और नारियल डालकर पीछे मुड़कर नहीं देखने का विधान है. गयाकूप में पिंड और नारियल डालने से पितरों को हर तरह के प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और वह मोक्ष प्राप्त करते हुए ब्रह्मलोक को प्राप्त होते हैं.

गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति
गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति
अब तक 7 लाख के करीब पहुंच चुके हैं तीर्थ यात्री : गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पपितृपक्ष मेला चल रहा है. विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन तक करीब 7 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आगमन और पिंडदान कर लेने की जानकारी है. पिंडदानियों के आने और पिंडदान कर लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. गौरतलब हो कि गया जी में एक दिन, तीन दिन, 5 दिन, 7 दिन और 17 दिनों के पिंडदान का विधान है. त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले 17 दिनों तक रुकते हैं.

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गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन आश्विन कृष्ण दशमी को गया सिर और गयाकूप पर पिंडदान का विधान है. इन वेदियों पर पिंडदान से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. गयाकूप में प्रेत बाधा को दूर किया जाता है. मान्यता है कि यहां सिकड़ों में प्रेत को कैद कर इस बाधा से पीड़ित पितर को मोक्ष दिलाई जाती है. गयाकूप में स्थित कुएं में नारियल को अर्पित करने के बाद मुड़ कर नहीं देखने का विधान है.

गया विष्णुपद मंदिर
गया विष्णुपद मंदिर

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ये है गया सिर और गयाकूप की मान्यता : दोनों ही वेदियां प्रमुख वेदियों में से एक है. गया जी में त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने जो कोई आते हैं, वह पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन गया सिर और गयाकूप में पिंडदान करते हैं. 12वें दिन यानी आश्विन कृष्ण दशमी को इन्हीं दो वेदियों पर पिंडदान का विधान है. मान्यता है कि गया सिर में गयासुर का सिर का स्थान है. वहीं, गया कूप में गयासुर के नाभि का स्थान है. इस तरह इन दोनों ही वेेदियों की काफी मान्यता है.

गया सिर वेदी जहां होता है पिंडदान
गया सिर वेदी जहां होता है पिंडदान
विष्णु पद मंदिर से दक्षिण में स्थित है : विश्व प्रसिद्ध विष्णु पद मंदिर से दक्षिण में गयासिर स्थान है. वहीं पर समीप में ही गयाकूप स्थित है. प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए यहां पिंडदान किया जाता है. गयाकूप के संबंध में मान्यता है, कि यहां पितृ दोष दूर करने के लिए इस वेदी में पिंडदान किया जाता है. प्राचीन काल से गयाकूप में पितृ दोष, त्रिपिंडी दोष को दूर करने के लिए यहां पिंडदान करने की परंपरा रही है.
पिंडदान कराते श्रद्धालु
पिंडदान कराते श्रद्धालु
गयाकूप में पिंडदान से घर की बाधाएं होती है दूर : गयाकूप के संबंध में कई तरह की मान्यताएं हैं. गयाकूप के संबंध में यह भी मान्यता है, कि यहां पिंडदान से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसके साथ ही यहां पिंडदान से घर की बाधाएं दूर होती है. यहां नारायण बलि श्राद्ध भी तीर्थयात्री करते हैं. इसी स्थान पर प्रेत को शांत कराया जाता है. जिनके घर में प्रेत बाधा होती है, उनके पितर को पिंडदान के उपरांत प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और घर में सुुख शांति आती है.
गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति
गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति

पीछे मुड़कर न देखने का विधान : मान्यता है, कि लोहे की जंजीर में प्रेत को बांध दिया जाता है और पिंडदान कर्मकांड के बाद पितर को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसी प्रकार गयाकूप में पिंडदान और नारियल डालकर पीछे मुड़कर नहीं देखने का विधान है. गयाकूप में पिंड और नारियल डालने से पितरों को हर तरह के प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है और वह मोक्ष प्राप्त करते हुए ब्रह्मलोक को प्राप्त होते हैं.

गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति
गया कूप जहां मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति
अब तक 7 लाख के करीब पहुंच चुके हैं तीर्थ यात्री : गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पपितृपक्ष मेला चल रहा है. विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले के 12 वें दिन तक करीब 7 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आगमन और पिंडदान कर लेने की जानकारी है. पिंडदानियों के आने और पिंडदान कर लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. गौरतलब हो कि गया जी में एक दिन, तीन दिन, 5 दिन, 7 दिन और 17 दिनों के पिंडदान का विधान है. त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले 17 दिनों तक रुकते हैं.

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