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Pitru Paksha Mela 2023 : पितृ पक्ष मेले का 10वां दिन आज, 16 में 5 वेदियों पर तर्पण का है विधान, पितरों को होती है ब्रह्म प्राप्ति

पितृपक्ष मेले के दसवें दिन विष्णुपद मंदिर की 16 वेदी में पांच वेदियों पर दूध से तर्पण का विधान है. इन वेदियों पर पिंडदान से पितरों को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है. पढ़ें पूरी खबर-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 7, 2023, 6:01 AM IST

गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले के दसवें दिन विष्णुपद मंदिर के सोलह वेदी स्थान में पिंडदान होता है. आश्विन कृष्ण अष्टमी यानी पितृपक्ष मेले के दसवें दिन विष्णुपद मंदिर में स्थित 16 वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड होता है. इनमें पांच वेदियों पर दूध से गजकर्ण-तर्पण किया जाता है. इससे पितरों को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें- एक विश्राम घाट...जहां लावारिसों की अस्थियां की यात्रा निकालकर कराते हैं विसर्जन, पितरों के लिए होता है पिंडदान

16 वेदी पर चार दिन करते हैं पिंडदान : त्रैपाक्षिक श्राद्ध कराने वालों के लिए तिथिवार पिंडदान का कर्मकांड करना होता है. पिछले तीन दिनों से विष्णु पद मंदिर में 16 वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड चल रहा है. आश्विन कृष्ण पंचमी को विष्णु पद मंदिर की तीन वेदियों पर, आश्विन कृष्ण षष्ठी को विष्णु पर मंदिर के 16 वेदी पर, आश्विन कृष्ण सप्तमी को भी सोलह वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड किया गया. वहीं, अश्विन कृष्ण अष्टमी को विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी में पिंडदान करने का विधान है. वहीं, इनमें से पांच वेदियों पर दूध से गजकर्ण-तर्पण होता है. दूध के अलावे गंगाजल या फल्गु नदी के पानी से तर्पण करना चाहिए.

विष्णुपद मंदिर
विष्णुपद मंदिर
पांच वेदियों पर होता है दूध से तर्पण : पांच वेदियों में दूध से तर्पण किया जाता है. ये पांच वेदियां हैं, अगस्त्य पद, मतंग पद वेदी, क्रांची पद वेदी, इंद्रपद वेदी और कश्यप पद वेदी. इन वेदियों पर दूध से तर्पण होता है. यहां पिंडवेदी के खंभे पर एक-एक पिंड चिपकाने का विधान है. इसके बाद पिंड को विष्णु चरण में अर्पित किया जाता है. माना जाता है, कि इन वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड पितरों के निमित करने से उन्हें ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है.
121 कुल का उद्धार : विष्णुपद मंदिर स्थित 16 बेदी में पिंडदान से सात गोत्र माता-पिता, नाना नानी, सास ससुर, गुरु में 121 कुल का का उद्धार हो जाता है. विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी नामक स्थान पर पिंडदान होता है. ये वेदियां हैं, कार्तिकपद दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्निपद, आवहनीयाग्निपद, संध्याग्निपद, आवसंंध्नियाग्निपद, सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, उधीचिपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्रपद, अगास्त्यपद व काश्यपद. इन सभी सोलह वेदियों पर पिंडदान के बाद श्री हरि विष्णु चरण के दर्शन करने से पितर तर जाते हैं.
विष्णुपद मंदिर
विष्णुपद मंदिर

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गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले के दसवें दिन विष्णुपद मंदिर के सोलह वेदी स्थान में पिंडदान होता है. आश्विन कृष्ण अष्टमी यानी पितृपक्ष मेले के दसवें दिन विष्णुपद मंदिर में स्थित 16 वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड होता है. इनमें पांच वेदियों पर दूध से गजकर्ण-तर्पण किया जाता है. इससे पितरों को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है.

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पांच वेदियों पर होता है दूध से तर्पण : पांच वेदियों में दूध से तर्पण किया जाता है. ये पांच वेदियां हैं, अगस्त्य पद, मतंग पद वेदी, क्रांची पद वेदी, इंद्रपद वेदी और कश्यप पद वेदी. इन वेदियों पर दूध से तर्पण होता है. यहां पिंडवेदी के खंभे पर एक-एक पिंड चिपकाने का विधान है. इसके बाद पिंड को विष्णु चरण में अर्पित किया जाता है. माना जाता है, कि इन वेदियों पर पिंडदान का कर्मकांड पितरों के निमित करने से उन्हें ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है.121 कुल का उद्धार : विष्णुपद मंदिर स्थित 16 बेदी में पिंडदान से सात गोत्र माता-पिता, नाना नानी, सास ससुर, गुरु में 121 कुल का का उद्धार हो जाता है. विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी नामक स्थान पर पिंडदान होता है. ये वेदियां हैं, कार्तिकपद दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्निपद, आवहनीयाग्निपद, संध्याग्निपद, आवसंंध्नियाग्निपद, सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, उधीचिपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्रपद, अगास्त्यपद व काश्यपद. इन सभी सोलह वेदियों पर पिंडदान के बाद श्री हरि विष्णु चरण के दर्शन करने से पितर तर जाते हैं.
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