मोतिहारीः बिहार विश्वविद्यालय के अधीन पूर्वी चंपारण जिले में संचालित सरकारी और अंगीभूत कॉलेजों में बीए प्रथम वर्ष में लगभग तीन हजार बच्चों का नामांकन नहीं हो सका है. सरकार की नई शिक्षा नीति और विश्वविद्यालय की कार्य शैली के कारण इन बच्चों का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है. जिले के ज्यादातर कॉलेजों ने सीट फूल का बोर्ड टांग दिया गया है.
कॉलेजों का दौड़ लगा रहे छात्र
नामांकन से वंचित छात्र और छात्राएं इस कॉलेज से उस कॉलेज दौड़ लगा रहे हैं. जिस कॉलेज में बच्चों को नामांकन की सूचना मिल रही है, वहां नामांकन कराने वालों की भीड़ इकट्ठी हो जा रही है. जिससे वहां हंगामा भी हो जाता है. दरअसल, जिले में नौ सरकारी और एक अंगीभूत डिग्री कॉलेज हैं. जबकि जिले की छह अंगीभूत डिग्री कॉलेजों की मान्यता खत्म कर दी गई है. लिहाजा कॉलेजों की संख्या घटने से इंटर पास बहुत से बच्चों को डिग्री कोर्स में नामांकन के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है.
'एक साल हो जाएगा बर्बाद'
नामांकन के लिए विभिन्न कॉलेज का चक्कर लगा रहे छात्र-छात्राओं ने बताया कि अचानक सभी कॉलेजों ने सीट फूल हो जाने का बोर्ड लगा दिया है. छात्रों को अब अपना एक साल बर्बाद होता दिख रहा है. स्थिति यह है कि जिस कॉलेज से बच्चों ने इंटरमीडिएट पास किया है, उस कॉलेज में भी उनका नामांकन नहीं हो पा रहा है. छात्रों का कहना है कि कोई कुछ नहीं बता रहा है, ऐसे में हमारा एक साल बर्बाद हो जाएगा.
एकजुट होने लगे छात्र संगठन
इधर, छात्रों की परेशानी को देखते हुए विभिन्न छात्र संगठनों को एक मंच पर लाने की कवायद एनएसयूआई ने शुरू कर दी है. एसएनएस कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष आशीष कुमार ने बताया कि बिहार यूनिवर्सिटी में लगभग बारह हजार छात्र नामांकन से वंचित रह जायेंगे. जिसके लिए सभी छात्र संगठनों को एकजुट करके आंदोलन की तैयारी की जा रही है. वैसे छात्रों के सामने अब समस्या यह है कि उन लोगों ने दूसरी जगह अप्लाई भी नहीं किया है.