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नगर परिषद चुनाव जीता लेकिन तीसरी संतान के जन्मते ही खोना पड़ा पद.. EC ने घोषित किया अयोग्य

तीन संतान होने के कारण रक्सौल नगर परिषद की वार्ड 18 की पार्षद खुशबू देवी को अपना पद खोना पड़ गया है. कारण यह है कि वह तीन बच्चों की मां (Khushboo Devi disqualified due to three children) हैं. एक व्यक्ति ने राज्य निर्वाचन आयोग में इसकी शिकायत की थी. आयोग ने जिला प्रशासन से प्राप्त प्रतिवेदन और वादी के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अपना फैसला सुनाते हुए रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 18 की पार्षद को अयोग्य करार दिया. पढ़ें पूरी खबर.

Khushboo Devi disqualified
Khushboo Devi disqualified
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Published : Apr 9, 2022, 7:42 AM IST

मोतिहारी: रक्सौल नगर परिषद (Raxaul Municipal Council) की एक पार्षद नगरपालिका अधिनियम की शिकार हो गयी हैं. तीन संतान होने के कारण वार्ड संख्या 18 की पार्षद खुशबू देवी को अपना पद खोना (Ward councilor Khushboo Devi disqualified) पड़ा है. राज्य चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने खुशबू देवी पर लगे आरोपों की सत्यता की जांच की थी. साक्ष्यों के आधार पर जांच प्रतिवेदन राज्य चुनाव आयोग को सौंपा था. जिसकी सुनवाई के पश्चात चुनाव आयुक्त ने नगर पालिका अधिनियम 2007 की धाराओं के तहत खुशबू देवी को वार्ड सदस्य पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है.

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राज्य निर्वाचन आयोग से हुई थी शिकायत: रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के ब्लॉक रोड छोटा परौवा के रहने वाले सुरेश प्रसाद ने राज्य निर्वाचन आयोग में एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि खुशबू देवी वार्ड नंबर 18 से निर्वाचित वार्ड पार्षद हैं. उनकी तीन संतानें हैं. तीसरे और आखिरी संतान की जन्मतिथि 5 फरवरी 2019 है जो बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18(1)(m) में निर्धारित कटऑफ डेट 4 अप्रैल 2008 के बाद की है. शिकायतकर्ता सुरेश प्रसाद ने इससे संबंधित कई साक्ष्य भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये थे जो आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए थे.

जिला प्रशासन ने सौंपी थी रिपोर्ट: सुरेश प्रसाद की शिकायत के आधार पर राज्य चुनाव आयोग के निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन ने भी अपना जांच प्रतिवेदन आयोग को सौंपा था. इसकी अंतिम सुनवाई 24 फरवरी 2021 को हुई थी. सक्षम न्यायालय द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. इधर, कोविड 19 के दूसरे लहर से उत्पन्न स्थिति और उसके बाद पंचायत चुनाव की व्यस्तता के कारण न्यायालय द्वारा आदेश पारित नहीं हो सका था. इस मामले की सुनवाई 4 मार्च, 23 मार्च और 30 मार्च 2022 को हुई.

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पार्षद के वकील ने नहीं किया आरोपों का खंडन: इस दौरान पूर्व के साक्ष्यों और तथ्यों को ही पेश किया गया. कोई नया साक्ष्य और तथ्य न्यायालय के सामने पेश नहीं कराये गएय. खुशबू कुमारी के अधिवक्ता ने सुरेश प्रसाद के लगाये गए आरोपों का खंडन नहीं किया. आयोग द्वारा लगातार मौका दिए जाने के बावजूद खुशबू कुमारी के अधिवक्ता ने लिखित जवाब दाखिल नहीं किया. इसके बाद आयोग ने जिला प्रशासन से प्राप्त प्रतिवेदन और वादी सुरेश प्रसाद के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अपना फैसला सुनाते हुए रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 18 की पार्षद को अयोग्य करार दिया. वार्ड 18 के पार्षद का पद रिक्त घोषित कर राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के प्रति को नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव, जिला निर्वाचन पदाधिकारी और रक्सौल नगर परिषद प्रशासन को प्रेषित कर दिया गया है.

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मोतिहारी: रक्सौल नगर परिषद (Raxaul Municipal Council) की एक पार्षद नगरपालिका अधिनियम की शिकार हो गयी हैं. तीन संतान होने के कारण वार्ड संख्या 18 की पार्षद खुशबू देवी को अपना पद खोना (Ward councilor Khushboo Devi disqualified) पड़ा है. राज्य चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने खुशबू देवी पर लगे आरोपों की सत्यता की जांच की थी. साक्ष्यों के आधार पर जांच प्रतिवेदन राज्य चुनाव आयोग को सौंपा था. जिसकी सुनवाई के पश्चात चुनाव आयुक्त ने नगर पालिका अधिनियम 2007 की धाराओं के तहत खुशबू देवी को वार्ड सदस्य पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है.

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राज्य निर्वाचन आयोग से हुई थी शिकायत: रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के ब्लॉक रोड छोटा परौवा के रहने वाले सुरेश प्रसाद ने राज्य निर्वाचन आयोग में एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने बताया था कि खुशबू देवी वार्ड नंबर 18 से निर्वाचित वार्ड पार्षद हैं. उनकी तीन संतानें हैं. तीसरे और आखिरी संतान की जन्मतिथि 5 फरवरी 2019 है जो बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18(1)(m) में निर्धारित कटऑफ डेट 4 अप्रैल 2008 के बाद की है. शिकायतकर्ता सुरेश प्रसाद ने इससे संबंधित कई साक्ष्य भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये थे जो आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए थे.

जिला प्रशासन ने सौंपी थी रिपोर्ट: सुरेश प्रसाद की शिकायत के आधार पर राज्य चुनाव आयोग के निर्देश के आलोक में जिला प्रशासन ने भी अपना जांच प्रतिवेदन आयोग को सौंपा था. इसकी अंतिम सुनवाई 24 फरवरी 2021 को हुई थी. सक्षम न्यायालय द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. इधर, कोविड 19 के दूसरे लहर से उत्पन्न स्थिति और उसके बाद पंचायत चुनाव की व्यस्तता के कारण न्यायालय द्वारा आदेश पारित नहीं हो सका था. इस मामले की सुनवाई 4 मार्च, 23 मार्च और 30 मार्च 2022 को हुई.

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पार्षद के वकील ने नहीं किया आरोपों का खंडन: इस दौरान पूर्व के साक्ष्यों और तथ्यों को ही पेश किया गया. कोई नया साक्ष्य और तथ्य न्यायालय के सामने पेश नहीं कराये गएय. खुशबू कुमारी के अधिवक्ता ने सुरेश प्रसाद के लगाये गए आरोपों का खंडन नहीं किया. आयोग द्वारा लगातार मौका दिए जाने के बावजूद खुशबू कुमारी के अधिवक्ता ने लिखित जवाब दाखिल नहीं किया. इसके बाद आयोग ने जिला प्रशासन से प्राप्त प्रतिवेदन और वादी सुरेश प्रसाद के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अपना फैसला सुनाते हुए रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 18 की पार्षद को अयोग्य करार दिया. वार्ड 18 के पार्षद का पद रिक्त घोषित कर राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश के प्रति को नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव, जिला निर्वाचन पदाधिकारी और रक्सौल नगर परिषद प्रशासन को प्रेषित कर दिया गया है.

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