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Raksha Bandhan 2021: भाईयों की कलाई पर केला फाइबर की सजेगी राखी

मोतिहारी जिले में इस बार भाईयों की कलाई पर केले के पेड़ के रेशे से बनी राखी सजेगी. रक्षाबंधन को लेकर बाजार में तरह-तरह की राखियां उपलब्ध हैं. लेकिन केले के फाइबर से बनी ईको फ्रेंडली राखी की सबसे अधिक बाजार में डिमांड हैं.

भाईयों के कलाई पर केला फाईबर की सजेगी राखी
भाईयों के कलाई पर केला फाईबर की सजेगी राखी
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Published : Aug 22, 2021, 4:31 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला में इस बार भाईयों की कलाई पर केले के पेड़ के रेशे से बनी राखी (Rakhi) सजेगी. हालांकि, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) को लेकर बाजार (Market) में तरह-तरह की राखियां उपलब्ध है. लेकिन इन राखियों में केला के पेड़ से निकाले गए फाइबर धागे की डिजाइनर राखियां खास है. बाजार में केले के फाइबर से बनी राखियां हाथों-हाथ बिक रही हैं. महिलाओं और युवतियों को भी यह राखियां खूब भा रही है.

ये भी पढ़ें- उड़ीसा में युवा कलाकार ने माचिस और आइसक्रीम स्टिक से बनाई अनूठी राखी

बाजार में इसकी विशेष मांग है. ईको फ्रेंडली इन राखियों को पूर्वी चंपारण जिला के हरसिद्धि प्रखंड में बनाया जा रहा है. केले के फाइबर की राखियों की खूब डिमांड है. हरसिद्धि प्रखंड के बैरियाडीह निवासी पवन कुमार श्रीवास्तव की देखरेख में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, केले के पेड़ से बने फाइबर धागे से रंग-बिरंगी राखियां तैयार करने में जुटी हैं.

देखें वीडियो

राखी की ब्रांडिंग से लेकर मार्केटिंग तक की जिम्मेदारी पवन श्रीवास्तव की है. पवन श्रीवास्तव बताते हैं कि मार्केट में इस राखी का काफी डिमांड है. डिमांड के अनुसार वह राखी की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. 15 से 20 रुपया में बाजार में उपलब्ध हैे ये राखियां.

ये भी पढ़ें- पटना में बिक रही हीरे और सोने से बनी राखी

राखी बनाने में जुटीं निक्की पांडेय बताती हैं कि, एक राखी को बनाने में करीब चार से पांच रुपये खर्च आता है और दुकानदार को 10 से रुपये में बेचा जाता है. जबकि ग्राहकों को प्रति राखी 15 से 20 रुपये में उपलब्ध होती है. इस काम से जुड़ी महिलाओं को प्रति राखी पांच से सात रुपये की दर से मुनाफा हो जाता है.

हालांकि, एक महिला करीब एक दिन में चालीस से पचास राखियां तैयार करती हैं. वहीं इस कारोबार से कई महिलाएं जुड़ी हुई हैं. जो प्रतिदिन लगभग तीन से चार सौ राखियां तैयार करती हैं. ईको फ्रेंडली है ये राखी. केले के पेड़ के फाइबर से बन रहा इको फ्रेंडली राखी, जिला के लोगों की पसंद बनी हुई है.

ये भी पढ़ें- रक्षाबंधन से पहले गंगा का जलस्तर घटने से बहाल हुआ गाड़ियों का परिचालन, खिले बहनों के चेहरे

इस कारोबार से दर्जनों महिलाएं जुड़ी हैं जो महिला पहले घर में खाली समय बिताती थी. अब ये महिलाएं अपने खाली समय का उपयोग राखी बनाने में करती हैं. जिससे इन्हें आमदनी भी हो रही है. बताते चलें की भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार रविवार, 22 अगस्त को मनाया जा रहा है. ज्योतिषविदों की माने तो रक्षा बंधन त्योहार इस बार बेहद खास है. रक्षा बंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होगा यानी पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी.

ये भी पढ़ें- Raksha Bandhan 2021: यहां जानिये रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त

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मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला में इस बार भाईयों की कलाई पर केले के पेड़ के रेशे से बनी राखी (Rakhi) सजेगी. हालांकि, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) को लेकर बाजार (Market) में तरह-तरह की राखियां उपलब्ध है. लेकिन इन राखियों में केला के पेड़ से निकाले गए फाइबर धागे की डिजाइनर राखियां खास है. बाजार में केले के फाइबर से बनी राखियां हाथों-हाथ बिक रही हैं. महिलाओं और युवतियों को भी यह राखियां खूब भा रही है.

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बाजार में इसकी विशेष मांग है. ईको फ्रेंडली इन राखियों को पूर्वी चंपारण जिला के हरसिद्धि प्रखंड में बनाया जा रहा है. केले के फाइबर की राखियों की खूब डिमांड है. हरसिद्धि प्रखंड के बैरियाडीह निवासी पवन कुमार श्रीवास्तव की देखरेख में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, केले के पेड़ से बने फाइबर धागे से रंग-बिरंगी राखियां तैयार करने में जुटी हैं.

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राखी की ब्रांडिंग से लेकर मार्केटिंग तक की जिम्मेदारी पवन श्रीवास्तव की है. पवन श्रीवास्तव बताते हैं कि मार्केट में इस राखी का काफी डिमांड है. डिमांड के अनुसार वह राखी की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. 15 से 20 रुपया में बाजार में उपलब्ध हैे ये राखियां.

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राखी बनाने में जुटीं निक्की पांडेय बताती हैं कि, एक राखी को बनाने में करीब चार से पांच रुपये खर्च आता है और दुकानदार को 10 से रुपये में बेचा जाता है. जबकि ग्राहकों को प्रति राखी 15 से 20 रुपये में उपलब्ध होती है. इस काम से जुड़ी महिलाओं को प्रति राखी पांच से सात रुपये की दर से मुनाफा हो जाता है.

हालांकि, एक महिला करीब एक दिन में चालीस से पचास राखियां तैयार करती हैं. वहीं इस कारोबार से कई महिलाएं जुड़ी हुई हैं. जो प्रतिदिन लगभग तीन से चार सौ राखियां तैयार करती हैं. ईको फ्रेंडली है ये राखी. केले के पेड़ के फाइबर से बन रहा इको फ्रेंडली राखी, जिला के लोगों की पसंद बनी हुई है.

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इस कारोबार से दर्जनों महिलाएं जुड़ी हैं जो महिला पहले घर में खाली समय बिताती थी. अब ये महिलाएं अपने खाली समय का उपयोग राखी बनाने में करती हैं. जिससे इन्हें आमदनी भी हो रही है. बताते चलें की भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार रविवार, 22 अगस्त को मनाया जा रहा है. ज्योतिषविदों की माने तो रक्षा बंधन त्योहार इस बार बेहद खास है. रक्षा बंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होगा यानी पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी.

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