मोतिहारी: प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र चौबे ने चरस तस्करी के मामले में दोषी पाते हुए नामजद अभियुक्त निरंजन पंडित को पंद्रह वर्षों का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. अर्थदंड नहीं देने पर नामजद को छह माह अतिरिक्त सजा काटनी होगी. निरंजन पंडित सीवान जिले के आनद्रा थाना क्षेत्र के चितौड़ टोला का रहने वाला है. जिसे रक्सौल के पनटोका बॉर्डर पर तैनात एसएसबी ने कौड़िहार चौक से चरस के साथ गिरफ्तार किया था.
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20 किलो चरस हुआ था बरामद
जानकारी के अनुसार 20 नवंबर 2011 को एसएसबी को सुबह में सात बजे सूचना मिली थी कि नेपाल से चरस की एक बड़ी खेप आने वाली है. सूचना मिलने के बाद एसएसबी ने रक्सौल के कौड़िहार चौक के पास जांच दल लगाया. लगभग साढ़े आठ बजे रिक्से पर तीन गैलन के साथ एक युवक आया. जिससे पूछताछ करने पर उसने गैलन में वनस्पति तेल होने की बात कही. लेकिन एसएसबी के जवानों ने जब जांच की तो गैलन से बीस किलो चरस बरामद हुआ. आरोपी को हिरासत में लेते हुए रक्सौल थाना में कांड संख्या 252/2011 दर्ज कराया.
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विभिन्न धाराओं में मिली सजा
इस मामले में एनडीपीएस वाद संख्या 184/2011 विचारण के दौरान विशेष लोक अभियोजक राकेश कुमार ने दस गवाहों न्यायालय में प्रस्तुत कर अभियोजन पक्ष रखा. वहीं, बचाव पक्ष की ओर से जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तरफ से नियुक्त अधिवक्ता रामसागर प्रसाद ने अपनी दलीलें दी. कोर्ट ने दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नामजद अभियुक्त निरंजन पंडित को धारा 20(बी)(सी) और 23 (सी) में सजा सुनाई है.