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मोतिहारी: धूमधाम से निकाली गई भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, सोशल डिस्टेंसिग का रखा गया ख्याल - प्रधान देवता श्री जगन्नाथ

रथ पर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभाद्रा सवार थी. रथ को खिंचने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लगी हुई थी. जगन्नाथ जी की रथयात्रा रुलही कॉलनी नंबर 2 से कॉलनी नंबर 1 तक निकाली गई.

जगन्नाथ रथयात्रा
जगन्नाथ रथयात्रा
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Published : Jun 24, 2020, 5:08 AM IST

मोतिहारी: शहर के रुलही कॉलनी नंबर 2 में मंगलवार को श्रद्धा पूर्वक भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. इस मौके पर कला संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार भी मौजूद रहे. हालांकि, इस भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में कोरोना संकट का असर देखने को मिला.

'महाप्रसाद का हुआ वितरण'
रथ पर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभाद्रा सवार थी. रथ को खिंचने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लगी हुई थी. जगन्नाथ जी की रथयात्रा रुलही कॉलनी नंबर 2 से कॉलनी नंबर 1 तक निकाली गई. मौके पर आयोजन समिति की ओर से माहाप्रसाद का वितरण भी किया गया. रथयात्रा में सोशल डिस्टेंसिग का खास ख्याल रखा गया.

'60 साल पहले हुई थी शुरुआत'
बता दें कि रुलही में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का शुरुआत 60 वर्ष पहले डॉ. कांतिलाल देवनाथ और उनकी पत्नी बसुधा देवी ने शुरु की थी. जिस परम्परा को उनके पुत्र ने स्थानीय ग्रामीणों के मदद से जारी रखा है.

सबसे पहले पुरी में शुरू हुई थी रथयात्रा
उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि वहीं से सबसे पहले रथ यात्रा की शुरूआत हुई थी. यह भूमी भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि के रूप में मशहूर है. उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं. यहां वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं.

भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को आयोजित की जाती है. यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है. इसमें भाग लेने के लिए हजारों संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं. धीरे-धीरे रथयात्रा निकालने की परंपरा देश के अन्य हिस्सों में भी शुरू हो गई है.

मोतिहारी: शहर के रुलही कॉलनी नंबर 2 में मंगलवार को श्रद्धा पूर्वक भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. इस मौके पर कला संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार भी मौजूद रहे. हालांकि, इस भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में कोरोना संकट का असर देखने को मिला.

'महाप्रसाद का हुआ वितरण'
रथ पर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभाद्रा सवार थी. रथ को खिंचने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लगी हुई थी. जगन्नाथ जी की रथयात्रा रुलही कॉलनी नंबर 2 से कॉलनी नंबर 1 तक निकाली गई. मौके पर आयोजन समिति की ओर से माहाप्रसाद का वितरण भी किया गया. रथयात्रा में सोशल डिस्टेंसिग का खास ख्याल रखा गया.

'60 साल पहले हुई थी शुरुआत'
बता दें कि रुलही में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का शुरुआत 60 वर्ष पहले डॉ. कांतिलाल देवनाथ और उनकी पत्नी बसुधा देवी ने शुरु की थी. जिस परम्परा को उनके पुत्र ने स्थानीय ग्रामीणों के मदद से जारी रखा है.

सबसे पहले पुरी में शुरू हुई थी रथयात्रा
उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि वहीं से सबसे पहले रथ यात्रा की शुरूआत हुई थी. यह भूमी भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि के रूप में मशहूर है. उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं. यहां वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं.

भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को आयोजित की जाती है. यह रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है. इसमें भाग लेने के लिए हजारों संख्या में बाल, वृद्ध, युवा, नारी देश के सुदूर प्रांतों से आते हैं. धीरे-धीरे रथयात्रा निकालने की परंपरा देश के अन्य हिस्सों में भी शुरू हो गई है.

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