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पूर्वी चंपारण: राधा मोहन लगा पाएंगे हैट्रिक या 'आंसूओं' के बीच आकाश जीतेंगे मैदान ? - सीट शेयरिंग

एक तरफ जहां बीजेपी इसे अपनी परंपरागत सीट मान तीसरी बार यहां से अपना उम्मीदवार उतार रही है. तो वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन यहां से नया प्रयोग कर रहा है.

लोकसभा चुनाव 2019
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Published : May 9, 2019, 11:21 PM IST

Updated : May 10, 2019, 3:42 PM IST

पूर्वी चंपारण: कभी मोतिहारी के नाम से जाना जाने वाला पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र 2002 में परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 में यहां पहली दफा चुनाव हुआ. ये सीट बिहार की सियासत में अहम किरदार निभाती नजर आती है. इस बार यहां छठें चरण के तहत 12 मई को मतदान होना है. ऐसा माना जा रहा है कि इस सीट पर महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच मुकाबला है.

यहां की धरती राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के अस्तित्व को अपने गर्भ में समेटे हुए है. एक तरफ जहां बीजेपी इसे अपनी परंपरागत सीट मान तीसरी बार यहां से अपना उम्मीदवार उतार रही है. तो वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन यहां से नया प्रयोग कर रहा है.

लोकसभा चुनाव 2019
कुशवाहा वोट बैंक पॉलिटिक्स
महागठबंधन ने यहां से रालोसपा उम्मीदवार आकाश कुमार सिंह को टिकट दिया है. इसकी वजह से राजद के कुनबे में काफी रोष है. इस सीट पर कुशवाहा वोट बैंक अधिक होने के कारण आकाश को टिकट देना कहीं न कहीं महागठबंधन का जातिगत वोट बैंक पॉलिटिक्स दिखाता है.
बीजेपी की विजयी पताका
2009 के लोकसभा चुनाव से अब तक यहां बीजेपी का वर्चस्व स्थापित रहा है. तीनों बार बीजेपी के राधामोहन सिंह ने यहां से विजय हासिल की है. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें यहां से टिकट देकर चंपारण का रण जितने की दावेदारी ठोक दी है.
मतदाताओं की संख्या
पूर्वी चंपारण में कुल 14 लाख 52 हजार 963 मतदाता हैं. इनमें महिला 6 लाख 64 हजार 402 हैं, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 88 हजार 561 हैं.
विधानसभा सीटें
  • यहां 6 विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीटें हैं.
  • हरसिद्धी, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा और मोतिहारी हैं.
  • 2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 बीजेपी ने, 2 आरजेडी ने और 1 सीट पर एलजेपी ने विजयी पताका लहरायी थी.

2014 का जनादेश
वहीं बात करें 2014 लोकसभा चुनाव के जनादेश की तो यहां से बीजेपी के राधामोहन सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 4 लाख 452 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर आरजेडी उम्मीदवार विनोद कुमार श्रीवास्तव रहे थे. उन्हें 2 लाख 08 हजार 289 मिले थे.

जब रो पड़े राजद के पूर्व उम्मीदवार
पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे विनोद कुमार इस बार भी अपनी उम्मीदवारी निश्चित मान रहे थे. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. लिहाजा उन्होंने इसपर जमकर गुस्सा भी निकाला. यही वजह है कि पूर्वी चंपारण सीट पर राजद कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति रोष कहीं न कहीं उन्हें लोकसभा सीट पर नुकसान पहुंचा सकता है.

वर्तमान सांसद की पृष्ठभूमि
बात करें वर्तमान सांसद के रिपोर्ट कार्ड की तो राधा मोहन सिंह पांच बार सांसद रहे हैं. वो 1989, 1996, 1999, 2009 व 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे. वर्तमान में वो मोदी सरकार में केंद्री कृषि मंत्री के पद पर आसीन हैं. राधा मोहन सिंह सांसद निधि का 100 फीसदी पैसा खर्च करने वाले चंद सांसदों में शामिल हैं. 16 वीं लोकसभा में उन्होंने संसद की 36 बहसों में हिस्सा लिया.

प्रमुख मुद्दे...
यहां के प्रमुख मुद्दे बंद चीनी मिलों को शुरू करना और गन्ना किसानों को बकाया भुगतान देना है. वहीं लोगों में इसी बात का रोष है कि यहां कृषि मंत्री होने के बावजूद भी राधामोहन सिंह चीनी मिलों को शुरू नहीं करवा सके.

लोगों ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय और आयुर्वेदिक विवि की भी मांग की है. वहीं, धरातल पर कोई भी योजना सही से काम नहीं कर पायी. दूसरी तरफ लोगों ने राधामोहन सिंह के कई कार्यों को सरहानीय भी बताया है.

आखिरी चुनाव जीतूंगा जरूर
राधा मोहन सिंह ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि मैं आखिरी बार चुनाव लड़ रहा हूं जीतूंगा जरूर.

क्या कहते हैं आकाश
दूसरी तरफ महागठबंधन प्रत्याशी आकाश सिंह अपनी जीत को लेकर कहा कि मैं महागठबंधन की आवाज हूं. युवा प्रत्याशी हूं. राधा मोहन सिंह कहीं लड़ाई में हैं ही नहीं. मैं उन्हें 3 लाख वोट से हराऊंगा.

स्याही छूटने से पहले मिलेगा प्रतिनिधि
अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां के लोग किसे अपना प्रतिनिधि बनाते हैं. छठें चरण के चुनाव के 11 दिन बाद 23 मई को, मतदाताओं की उंगली में लगी स्याही छूटी भी ना होगी कि उनका चुना प्रत्याशी सामने होगा.

पूर्वी चंपारण: कभी मोतिहारी के नाम से जाना जाने वाला पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र 2002 में परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 में यहां पहली दफा चुनाव हुआ. ये सीट बिहार की सियासत में अहम किरदार निभाती नजर आती है. इस बार यहां छठें चरण के तहत 12 मई को मतदान होना है. ऐसा माना जा रहा है कि इस सीट पर महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच मुकाबला है.

यहां की धरती राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के अस्तित्व को अपने गर्भ में समेटे हुए है. एक तरफ जहां बीजेपी इसे अपनी परंपरागत सीट मान तीसरी बार यहां से अपना उम्मीदवार उतार रही है. तो वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन यहां से नया प्रयोग कर रहा है.

लोकसभा चुनाव 2019
कुशवाहा वोट बैंक पॉलिटिक्स
महागठबंधन ने यहां से रालोसपा उम्मीदवार आकाश कुमार सिंह को टिकट दिया है. इसकी वजह से राजद के कुनबे में काफी रोष है. इस सीट पर कुशवाहा वोट बैंक अधिक होने के कारण आकाश को टिकट देना कहीं न कहीं महागठबंधन का जातिगत वोट बैंक पॉलिटिक्स दिखाता है.
बीजेपी की विजयी पताका
2009 के लोकसभा चुनाव से अब तक यहां बीजेपी का वर्चस्व स्थापित रहा है. तीनों बार बीजेपी के राधामोहन सिंह ने यहां से विजय हासिल की है. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें यहां से टिकट देकर चंपारण का रण जितने की दावेदारी ठोक दी है.
मतदाताओं की संख्या
पूर्वी चंपारण में कुल 14 लाख 52 हजार 963 मतदाता हैं. इनमें महिला 6 लाख 64 हजार 402 हैं, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 88 हजार 561 हैं.
विधानसभा सीटें
  • यहां 6 विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीटें हैं.
  • हरसिद्धी, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा और मोतिहारी हैं.
  • 2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 बीजेपी ने, 2 आरजेडी ने और 1 सीट पर एलजेपी ने विजयी पताका लहरायी थी.

2014 का जनादेश
वहीं बात करें 2014 लोकसभा चुनाव के जनादेश की तो यहां से बीजेपी के राधामोहन सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 4 लाख 452 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर आरजेडी उम्मीदवार विनोद कुमार श्रीवास्तव रहे थे. उन्हें 2 लाख 08 हजार 289 मिले थे.

जब रो पड़े राजद के पूर्व उम्मीदवार
पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे विनोद कुमार इस बार भी अपनी उम्मीदवारी निश्चित मान रहे थे. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. लिहाजा उन्होंने इसपर जमकर गुस्सा भी निकाला. यही वजह है कि पूर्वी चंपारण सीट पर राजद कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति रोष कहीं न कहीं उन्हें लोकसभा सीट पर नुकसान पहुंचा सकता है.

वर्तमान सांसद की पृष्ठभूमि
बात करें वर्तमान सांसद के रिपोर्ट कार्ड की तो राधा मोहन सिंह पांच बार सांसद रहे हैं. वो 1989, 1996, 1999, 2009 व 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे. वर्तमान में वो मोदी सरकार में केंद्री कृषि मंत्री के पद पर आसीन हैं. राधा मोहन सिंह सांसद निधि का 100 फीसदी पैसा खर्च करने वाले चंद सांसदों में शामिल हैं. 16 वीं लोकसभा में उन्होंने संसद की 36 बहसों में हिस्सा लिया.

प्रमुख मुद्दे...
यहां के प्रमुख मुद्दे बंद चीनी मिलों को शुरू करना और गन्ना किसानों को बकाया भुगतान देना है. वहीं लोगों में इसी बात का रोष है कि यहां कृषि मंत्री होने के बावजूद भी राधामोहन सिंह चीनी मिलों को शुरू नहीं करवा सके.

लोगों ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय और आयुर्वेदिक विवि की भी मांग की है. वहीं, धरातल पर कोई भी योजना सही से काम नहीं कर पायी. दूसरी तरफ लोगों ने राधामोहन सिंह के कई कार्यों को सरहानीय भी बताया है.

आखिरी चुनाव जीतूंगा जरूर
राधा मोहन सिंह ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि मैं आखिरी बार चुनाव लड़ रहा हूं जीतूंगा जरूर.

क्या कहते हैं आकाश
दूसरी तरफ महागठबंधन प्रत्याशी आकाश सिंह अपनी जीत को लेकर कहा कि मैं महागठबंधन की आवाज हूं. युवा प्रत्याशी हूं. राधा मोहन सिंह कहीं लड़ाई में हैं ही नहीं. मैं उन्हें 3 लाख वोट से हराऊंगा.

स्याही छूटने से पहले मिलेगा प्रतिनिधि
अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां के लोग किसे अपना प्रतिनिधि बनाते हैं. छठें चरण के चुनाव के 11 दिन बाद 23 मई को, मतदाताओं की उंगली में लगी स्याही छूटी भी ना होगी कि उनका चुना प्रत्याशी सामने होगा.

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पूर्वी चंपारण: राधा मोहन लगा पाएंगे हैट्रिक या 'आंसूओं' के बीच आकाश जीतेंगे मैदान ? 





पूर्वी चंपारण: कभी मोतिहारी के नाम से जाना जाने वाला पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र 2002 में परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आया. 2009 में यहां पहली दफा चुनाव हुआ. ये सीट बिहार की सियासत में अहम किरदार निभाती नजर आती है. इस बार यहां छठें चरण के तहत 12 मई को मतदान होना है. ऐसा माना जा रहा है कि इस सीट पर महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच मुकाबला है. 

यहां की धरती राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के अस्तित्व को अपने गर्भ में समेटे हुए है. एक तरफ जहां बीजेपी इसे अपनी परंपरागत सीट मान तीसरी बार यहां से अपना उम्मीदवार उतार रही है. तो वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन यहां से नया प्रयोग कर रहा है. 

कुशवाहा वोट बैंक बैंक पॉलिटिक्स 

महागठबंधन ने यहां से रालोसपा उम्मीदवार आकाश कुमार सिंह को टिकट दिया है. इसकी वजह से राजद के कुनबे में काफी रोष है. इस सीट पर कुशवाहा वोट बैंक अधिक होने के कारण आकाश को टिकट देना कहीं न कहीं महागठबंधन का जातिगत वोट बैंक पॉलिटिक्स दिखाता है.

बीजेपी की विजयी पताका

2009 के लोकसभा चुनाव से अब तक यहां बीजेपी का वर्चस्व स्थापित रहा है. तीनों बार बीजेपी के राधामोहन सिंह ने यहां से विजय हासिल की है. इस बार भी बीजेपी ने उन्हें यहां से टिकट देकर चंपारण का रण जितने की दावेदारी ठोक दी है.

मतदाताओं की संख्या

पूर्वी चंपारण में कुल 14 लाख 52 हजार 963 मतदाता हैं. इनमें महिला 6 लाख 64 हजार 402 हैं, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 88 हजार 561 हैं.

विधानसभा सीटें 

यहां 6 विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीटें हैं. 

हरसिद्धी, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा और मोतिहारी हैं. 

2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 बीजेपी ने, 2 आरजेडी ने और 1 सीट पर  एलजेपी ने विजयी पताका लहरायी थी.

2014 का जनादेश 

वहीं बात करें 2014 लोकसभा चुनाव के जनादेश की तो यहां से बीजेपी के राधामोहन सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 4 लाख 452 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर आरजेडी उम्मीदवार विनोद कुमार श्रीवास्तव रहे थे. उन्हें 2 लाख 08 हजार 289 मिले थे. 

जब रो पड़े राजद के पूर्व उम्मीदवार

पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे विनोद कुमार इस बार भी अपनी उम्मीदवारी निश्चित मान रहे थे. लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. लिहाजा उन्होंने इसपर जमकर गुस्सा भी निकाला. यही वजह है कि पूर्वी चंपारण सीट पर राजद कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति रोष कहीं न कहीं उन्हें लोकसभा सीट पर नुकसान पहुंचा सकता है. 



वर्तमान सांसद की पृष्ठभूमि

बात करें वर्तमान सांसद के रिपोर्ट कार्ड की तो राधा मोहन सिंह पांच बार सांसद रहे हैं. वो 1989, 1996, 1999, 2009 व 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे. वर्तमान में वो मोदी सरकार में केंद्री कृषि मंत्री के पद पर आसीन हैं. राधा मोहन सिंह सांसद निधि का 100 फीसदी पैसा खर्च करने वाले चंद सांसदों में शामिल हैं. 16 वीं लोकसभा में उन्होंने संसद की 36 बहसों में हिस्सा लिया. 



प्रमुख मुद्दे... 

यहां के प्रमुख मुद्दे बंद चीनी मिलों को शुरू करना और गन्ना किसानों को बकाया भुगतान देना है. वहीं लोगों में इसी बात का रोष है कि यहां कृषि मंत्री होने के बावजूद भी राधामोहन सिंह चीनी मिलों को शुरू नहीं करवा सके. 

लोगों ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय और आयुर्वेदिक विवि की भी मांग की है. वहीं, धरातल पर कोई भी योजना सही से काम नहीं कर पायी. दूसरी तरफ लोगों ने राधामोहन सिंह के कई कार्यों को सरहानीय भी बताया है. 

आखिरी चुनाव जीतूंगा जरूर

राधा मोहन सिंह ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि मैं आखिरी बार चुनाव लड़ रहा हूं जीतूंगा जरूर. 

क्या कहते हैं आकाश

दूसरी तरफ महागठबंधन प्रत्याशी आकाश सिंह अपनी जीत को लेकर कहा कि मैं महागठबंधन की आवाज हूं. युवा प्रत्याशी हूं. राधा मोहन सिंह कहीं लड़ाई में हैं ही नहीं. मैं उन्हें 3 लाख वोट से हराऊंगा. 

स्याही छूटने से पहले मिलेगा प्रतिनिधि

अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां के लोग किसे अपना प्रतिनिधि बनाते हैं. छठें चरण के चुनाव के 11 दिन बाद 23 मई को, मतदाताओं की उंगली में लगी स्याही छूटी भी ना होगी कि उनका चुना प्रत्याशी सामने होगा. 


Conclusion:
Last Updated : May 10, 2019, 3:42 PM IST
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