मोतिहारी: मेहनत अच्छी हो तो रंग लाती है, मेहनत गहरी हो तो सबको भाती है पर अगर मेहनत ईमानदारी और लगन से की हो तो इतिहास रच देती है. कुछ ऐसा ही कमाल बिहार के मोतिहारी के रहने वाले सुशील कुमार ने एक बार फिर कर दिखाया है. पहले कौन बनेगा KBC में उन्होंने पांच करोड़ रुपये की इनामी राशि जीतकर पूरे देश में कमाल कर दिया था. वहीं, इस बार पहले ही प्रयास में वह बीपीएससी शिक्षक बन गए हैं. बिहार बीपीएससी की परीक्षा में सूबे में उन्होंने 119वीं रैंक हासिल की है.
केबीसी विजेता सुशील बने बीपीएससी गुरू जी: सुशील कुमार ने 6 से आठ वर्ग के लिए आयोजित परीक्षा में सोशल साइंस में और प्लस टू की परीक्षा में मनोविज्ञान में सफलता प्राप्त की है. लेकिन सुशील प्लस टू के शिक्षक बनेंगे. उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. सुशील के घर में भी खुशियों का माहौल है. सुशील मोतिहारी के हनुमानगढ़ी मुहल्ला में रहते हैं. हाल के दिनों में उन्होंने कई सामाजिक और जनोपयोगी कार्य शुरू किया था.
बीपीएससी परीक्षा में सफलता मिलने के बाद सुशील कुमार ने कहा कि "केबीसी जीतने के बाद जिम्मेवारी थी, लेकिन एक शिक्षक बनना ज्यादा बड़ी जिम्मेवारी है. मेरा प्रयास रहेगा कि इस जिम्मेवारी को अच्छे से निभाये. हर आदमी सफलता के पीछे दौड़ता है. मैं भी सफलता के पीछे दौड़ा और मेहनत भी किए. आम बिहारी परिवार के घर में सरकारी नौकरी का बड़ा महत्व होता है. बिहार में हो रहे शिक्षक बहाली की चर्चा पूरे देश में हो रही है."
केबीसी में जीते पांच करोड़: बता दें कि सुशील कुमार काफी साधारण परिवार से आते हैं और वह मनरेगा में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्य कर रहे थे. इसी दौरान वह केबीसी में जाने के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे थे, लेकिन वर्ष 2011 में किस्मत ने सुशील कुमार का साथ दिया. सुशील केबीसी सीजन पांच के हॉट सीट पर बैठे और उन्होंने पांच करोड़ रुपया जीता. केबीसी विजेता बनने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. लेकिन कुछ वर्षों बाद सुशील ने यूपीएससी की तैयारी छोड़ दिया और मोतिहारी आ गए.
पर्यावरण से जुड़े सुशील: मोतिहारी आने के बाद सुशील ने स्थानीय संगीत विद्यालय में सितार वादन सीखा. उसके बाद सुशील ने सामाजिक कार्यों के तरफ रुख किया. उन्होंने चंपा से चंपारण के तहत अपने खर्च पर चंपा का पौधा लगाना शुरू किया. पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक हजारों चंपा का पौधा लगाये. इसी अभियान के तहत पीपल, बरगद और नीम का पौधा भी लगाना शुरू किया. लगभग चार साल पहले सुशील ने अपने खर्च पर गौरैया के घोंसला को घर-घर लगना शुरू किया अबतक हजारों गौरैया का घोंसला लोगों के घरों में लगा चुके हैं.
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