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मोतिहारी में दिखने लगा है नीली क्रांति का असर, मछली पालकों की आय कई गुणा बढ़ी - मोतिहारी में नीली क्रांति का असर

संस्थान ने लोगों में मछली पालन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए रविवार को रुलही मन के किनारे मत्स्य उत्सव के तहत एकदिवसीय फिशिंग मेला का आयोजन किया.

Income of fishermen increased in motihar
मोतिहारी में मछली पालकों की आय पांच गुणी बढ़ी
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Published : Feb 9, 2020, 8:52 PM IST

मोतिहारी: जिले में नीली क्रांति का असर मछली के उत्पादन में अब दिखने लगा है. इससे मछली का उत्पादन तीन गुणा बढ़ा है. जिसका लाभ जिले के मछुआरों और अन्य मछली पालकों को होने लगा है. लिहाजा जिले में नीली क्रांति के अंतर्गत मछली पालकों की बढ़ती आय को देखकर अब यहां के किसान भी मछली पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

नर्सरी तालाब का निर्माण
जिले में मछली उत्पादन बढ़ाने में बैरकपुर कोलकाता की केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान सहयोग कर रही है. संस्थान ने लोगों में मछली पालन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए रविवार को रुलही मन के किनारे मत्स्य उत्सव के तहत एकदिवसीय फिशिंग मेला का आयोजन किया. इस मौके पर उपस्थित जिला मत्स्य पदाधिकारी संत कुमार सिंह ने बताया कि बड़ी योजनाओं के अंतर्गत सिफरी तकनीक के साथ नर्सरी तलाब का निर्माण कराया गया है.

देखें ये रिपोर्ट

हजारों मछली पालक लाभान्वित
संत कुमार सिंह ने कहा कि इन तकनीकों का उपयोग कर मछुआरे साल भर मछली के बच्चे की पैदावार कर सकते हैं. बता दें भारत सरकार की एनएफडीबी की मदद से रुलही, कररिया, सिरसा, मंझरिया, सहित कोठिया मन का विकास कर उसमें मछली पालन किया जा रहा है. जिससे हजारों मछली पालक परिवार लाभान्वित हो रहे हैं. जिले के पांच मन का विकास कर उसमें मत्स्य पालन करने से उसका लाभ अब सीधे मछुआरों को मिलने लगा है.

मोतिहारी: जिले में नीली क्रांति का असर मछली के उत्पादन में अब दिखने लगा है. इससे मछली का उत्पादन तीन गुणा बढ़ा है. जिसका लाभ जिले के मछुआरों और अन्य मछली पालकों को होने लगा है. लिहाजा जिले में नीली क्रांति के अंतर्गत मछली पालकों की बढ़ती आय को देखकर अब यहां के किसान भी मछली पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

नर्सरी तालाब का निर्माण
जिले में मछली उत्पादन बढ़ाने में बैरकपुर कोलकाता की केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान सहयोग कर रही है. संस्थान ने लोगों में मछली पालन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए रविवार को रुलही मन के किनारे मत्स्य उत्सव के तहत एकदिवसीय फिशिंग मेला का आयोजन किया. इस मौके पर उपस्थित जिला मत्स्य पदाधिकारी संत कुमार सिंह ने बताया कि बड़ी योजनाओं के अंतर्गत सिफरी तकनीक के साथ नर्सरी तलाब का निर्माण कराया गया है.

देखें ये रिपोर्ट

हजारों मछली पालक लाभान्वित
संत कुमार सिंह ने कहा कि इन तकनीकों का उपयोग कर मछुआरे साल भर मछली के बच्चे की पैदावार कर सकते हैं. बता दें भारत सरकार की एनएफडीबी की मदद से रुलही, कररिया, सिरसा, मंझरिया, सहित कोठिया मन का विकास कर उसमें मछली पालन किया जा रहा है. जिससे हजारों मछली पालक परिवार लाभान्वित हो रहे हैं. जिले के पांच मन का विकास कर उसमें मत्स्य पालन करने से उसका लाभ अब सीधे मछुआरों को मिलने लगा है.

Intro:"मत्स्य पदाधिकारी संत कुमार सिंह ने बताया कि बड़ी योजनाओं के अंतर्गत सिफरी तकनीक के साथ साथ नर्सरी तलाब का निर्माण कराया गया है।जिससे जिले में मछली का उत्पादन तीन गुणा बढ़ा है"

मोतिहारी।पूर्वी चम्पारण जिले में नीली क्रांति का असर मछली के उत्पादन में अब दिखने लगा है।जिले में मछली का उत्पादन तीन गुणा बढ़ा है।जिसका लाभ जिले के मछुआरों और अन्य मछली पालकों को होने लगा है।लिहाजा,जिले में नीली क्रांति के अंतर्गत मछली पालकों की बढ़ती आय को देखकर अब यहां के किसान भी मछली पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं।जिले में मछली उत्पादन बढ़ाने में बैरकपुर कोलकाता की केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान सहयोग कर रही है।संस्थान ने लोगों में मछली पालन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए रविवार को रुलही मन के किनारे मत्स्य उत्सव के तहत एक दिवसीय फिसिंग मेला का आयोजन किया।Body:"नर्सरी तालाब का भी कराया गया है निर्माण"

वीओ...1....इस मौके पर उपस्थित जिला मत्स्य पदाधिकारी संत कुमार सिंह ने बताया कि बड़ी योजनाओं के अंतर्गत सिफरी तकनीक के साथ साथ नर्सरी तलाब का निर्माण कराया गया है।उन्होने बताया कि इन तकनीकों का उपयोग कर मछुआरें साल भर मछली के बच्चें की पैदावार कर सकते हैं।

बाईट.......संत कुमार सिंह .....जिला मत्स्य पदाधिकारीConclusion:"मछुआरों को मिलने लगा है लाभ"

वीओएफ....दरअसल,भारत सरकार की NFDB के मदद से रुलही, कररिया, सिरसा, मंझरिया, सहित कोठिया मन का विकास कर उसमें मछली पालन किया जा रहा है।जिससे हजारों मछली पालक परिवार लाभान्वित हो रहें हैं। जिले के पांच मन का विकास कर उसमें मत्स्यपालन करने से उसका लाभ अब सीधे मछुआरों को मिलने लगा है।
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