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किसानों की बढ़ी मुसीबत: कटनी के लिए नहीं मिल रहे मजदूर, बर्बादी के कगार पर गेहूं की फसल - डीएम शीर्षत कपिल अशोक

लॉक डाउन के कारण मजदूर खेतों में जाने से कतरा रहे हैं. वहीं, एक गांव से दुसरे गांव में जाने से रोक के कारण कटनी के लिए मशीन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. फसल कटाई का समय धीरे-धीरे गुजरने के साथ दाने भी झड़ रहे हैं. मजबूरन, किसान खुद ही गेहूं की कटाई कर रहे हैं.

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खेतों में झड़ रहे हैं गेहूं के दाने
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Published : Apr 17, 2020, 12:15 AM IST

मोतिहारी: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन को 3 मई तक बढ़ाया गया है. जिससे जिले के किसानों की समस्या भी बढ़ गई है. खेतों में गेंहू की फसल तैयार है. लेकिन मजदूर नहीं मिलने से किसानों के हौसले पस्त होते जा रहे हैं. गेहूं की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं.

किसानों के परेशानी को देखते हुए सरकार ने कृषि कार्य के लिए छूट तो दी है लेकिन कोरोना संक्रमण के डर से लोग काम नहीं कर रहे हैं. डीएम शीर्षत कपिल अशोक का कहना है कि देश की जनता को भूखमरी से किसान ही बचाते हैं. ऐसे में किसानों को खेती के लिए छुट मिली है. लेकिन कृषि कार्य के दौरान सामाजिक दूरी का भी पालन करना जरुरी है.

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जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक

खेतों में झर रहे हैं गेहूं के फसल के दाने
किसानों के तैयार गेहूं के फसल के दाने अब खेतों में झड़ने लगे हैं. जिससे परेशान किसान खुद ही खेत में गेहूं की कटनी कर रहे है. दूसरी तरफ दूसरे गांव में आवाजाही बंद होने के कारण कटनी के लिए मशीन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. फसल के तैयार होने और कोरोना महामारी के डर से किसान दोहरे पीड़ा को झेल रहे है. किसान बताते हैं कि पहले ही तीसी, मसूर के फसल बर्बाद हो चुके हैं. और अब गेहूं की फसल भी बर्बादी के कगार पर है.

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गेहूं का कटनी करता किसान

66 हजार हेक्टेयर में हुई है गेहूं की खेती
पूर्वी चम्पारण जिले में लगभग 66 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है. लेकिन किसानों को इस समय दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. ऐसे में लॉक डाउन के समाप्त होने के साथ खेतों में कटनी का समय भी समाप्त हो जाएगा. तीन मई तक किसानों के तैयार फसल खेतों में ही झड़ जाएंगे. बदले मौसम में आंधी और बारिश होने की संभावना बनी हुई है. ऐसे में किसानों को सुविधा के साथ मदद पहुंचाने की भी जरुरत है.

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खेत में बर्बाद हो रहा गेहूं का फसल

मोतिहारी: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन को 3 मई तक बढ़ाया गया है. जिससे जिले के किसानों की समस्या भी बढ़ गई है. खेतों में गेंहू की फसल तैयार है. लेकिन मजदूर नहीं मिलने से किसानों के हौसले पस्त होते जा रहे हैं. गेहूं की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं.

किसानों के परेशानी को देखते हुए सरकार ने कृषि कार्य के लिए छूट तो दी है लेकिन कोरोना संक्रमण के डर से लोग काम नहीं कर रहे हैं. डीएम शीर्षत कपिल अशोक का कहना है कि देश की जनता को भूखमरी से किसान ही बचाते हैं. ऐसे में किसानों को खेती के लिए छुट मिली है. लेकिन कृषि कार्य के दौरान सामाजिक दूरी का भी पालन करना जरुरी है.

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जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक

खेतों में झर रहे हैं गेहूं के फसल के दाने
किसानों के तैयार गेहूं के फसल के दाने अब खेतों में झड़ने लगे हैं. जिससे परेशान किसान खुद ही खेत में गेहूं की कटनी कर रहे है. दूसरी तरफ दूसरे गांव में आवाजाही बंद होने के कारण कटनी के लिए मशीन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. फसल के तैयार होने और कोरोना महामारी के डर से किसान दोहरे पीड़ा को झेल रहे है. किसान बताते हैं कि पहले ही तीसी, मसूर के फसल बर्बाद हो चुके हैं. और अब गेहूं की फसल भी बर्बादी के कगार पर है.

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गेहूं का कटनी करता किसान

66 हजार हेक्टेयर में हुई है गेहूं की खेती
पूर्वी चम्पारण जिले में लगभग 66 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई है. लेकिन किसानों को इस समय दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. ऐसे में लॉक डाउन के समाप्त होने के साथ खेतों में कटनी का समय भी समाप्त हो जाएगा. तीन मई तक किसानों के तैयार फसल खेतों में ही झड़ जाएंगे. बदले मौसम में आंधी और बारिश होने की संभावना बनी हुई है. ऐसे में किसानों को सुविधा के साथ मदद पहुंचाने की भी जरुरत है.

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खेत में बर्बाद हो रहा गेहूं का फसल
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