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मोतिहारी: शताब्दी लेखक जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली पर्यटक स्थल के रूप में होगी विकसित - बिहार में पुरातत्व महानिदेशालय

जॉर्ज ऑरवेल का जन्म जिस घर मे हुआ था. वह घर वर्तमान समय में खंडहर हो चुका है. समय-समय पर इस घर के मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम सरकार के स्तर पर होता रहा है. एतिहासिक घर के पर्यटकीय विकास के लिए सरकार ने एक बार फिर से पहल की है.

शताब्दी लेखक जार्ज ऑरवेल की जन्म स्थली
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Published : Sep 17, 2019, 12:50 PM IST

मोतिहारी: शताब्दी साहित्यकार के नाम से विख्यात जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली का विकास पर्यटक स्थल के रूप में किया जाएगा. राज्य सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी ने एक डीपीआर बनाकर पर्यटन विभाग को भेजा है. जिसकी मंजूरी मिलने के बाद इस स्थल को पर्यटकीय दृष्टि से विकसित करने का काम शुरु हो जाएगा.

शताब्दी लेखक जार्ज ऑरवेल की जन्म स्थली बनेगा पर्यटक स्थल

ऐतिहासिक घर का होगा पर्यटकीय विकास
जॉर्ज ऑरवेल का जन्म जिस घर में हुआ था. वह घर वर्तमान समय में खंडहर हो चुका है. समय-समय पर इस घर की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम सरकार के स्तर पर होता रहा है. बावजूद इसके जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली की तस्वीर नहीं बदली. घर के खिड़की-दरवाजे से लेकर छत तक उजड़े पड़े हैं. एतिहासिक घर के पर्यटकीय विकास के लिए सरकार ने एक बार फिर से पहल की है और जिला प्रशासन को इसके विकास की रुपरेखा तैयार कर भेजने का निर्देश दिया है. लिहाजा, जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देश के बाद डीपीआर बनाकर सरकार को भेज दिया है.

george aorwel
शिलालेख, जार्ज आरवेल

अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल
दरअसल, जॉर्ज ऑरवेल की 1945 में प्रकाशित एनिमल फार्म और 1949 में प्रकाशित 'नाइनटीन एट्टी फोर' उपन्यास को शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की श्रेणी में रखा गया है. जिस कारण उन्हें शताब्दि लेखक की उपाधि दी गई है. बिहार में पुरातत्व महानिदेशालय के अनुसार ऑरवेल हाऊस को बिहार प्राचीन स्मारक, पुरातात्विक स्थल अवशेष और कला खजाना अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल घोषित किया गया है.

raman kumar, dm
रमण कुमार, जिलाधिकारी

जॉर्ज ऑरवेल का जन्म मोतिहारी में हुआ
अंग्रेजी साहित्य के प्रेमचंद कहलाने वाले जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 में हुआ. उनके पिता रिचर्ड डब्ल्यू ब्लेयर बतौर अधिकारी यहां तैनात थे. ऑरवेल करीब एक साल के थे तब उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैंड चली गयी थीं. उसके बाद वह भारत लौटकर कभी नहीं आए. ऑरवेल की मृत्‍यु 21 जनवरी 1950 में लंदन में हुई थी. लेकिन उनकी यादें आज भी मोतिहारी में मौजूद हैं.

george orwells
अंग्रेजी साहित्य के प्रेमचंद कहलाने वाले जॉर्ज ऑरवेल

अंग्रेज पत्रकार इयान जैक ने खोजी जन्मस्थली
ऑरवेल की जन्मस्थली का तब पता तब चला जब 1983 में अंग्रेज पत्रकार इयान जैक उनकी जन्मस्थली की खोज में मोतिहारी पहुंचे. ऑरवेल के उपन्‍यास हाल के वर्षों में बेस्ट सेलर की श्रेणी में आ गये. उनके वर्ष 1948 में लिखे उपन्यास '1984' और 'एनिमल फॉर्म' पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय थे. ऑरवेल के उपन्यास '1984' पर फिल्म भी बन चुकी है.

मोतिहारी: शताब्दी साहित्यकार के नाम से विख्यात जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली का विकास पर्यटक स्थल के रूप में किया जाएगा. राज्य सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी ने एक डीपीआर बनाकर पर्यटन विभाग को भेजा है. जिसकी मंजूरी मिलने के बाद इस स्थल को पर्यटकीय दृष्टि से विकसित करने का काम शुरु हो जाएगा.

शताब्दी लेखक जार्ज ऑरवेल की जन्म स्थली बनेगा पर्यटक स्थल

ऐतिहासिक घर का होगा पर्यटकीय विकास
जॉर्ज ऑरवेल का जन्म जिस घर में हुआ था. वह घर वर्तमान समय में खंडहर हो चुका है. समय-समय पर इस घर की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम सरकार के स्तर पर होता रहा है. बावजूद इसके जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली की तस्वीर नहीं बदली. घर के खिड़की-दरवाजे से लेकर छत तक उजड़े पड़े हैं. एतिहासिक घर के पर्यटकीय विकास के लिए सरकार ने एक बार फिर से पहल की है और जिला प्रशासन को इसके विकास की रुपरेखा तैयार कर भेजने का निर्देश दिया है. लिहाजा, जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देश के बाद डीपीआर बनाकर सरकार को भेज दिया है.

george aorwel
शिलालेख, जार्ज आरवेल

अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल
दरअसल, जॉर्ज ऑरवेल की 1945 में प्रकाशित एनिमल फार्म और 1949 में प्रकाशित 'नाइनटीन एट्टी फोर' उपन्यास को शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की श्रेणी में रखा गया है. जिस कारण उन्हें शताब्दि लेखक की उपाधि दी गई है. बिहार में पुरातत्व महानिदेशालय के अनुसार ऑरवेल हाऊस को बिहार प्राचीन स्मारक, पुरातात्विक स्थल अवशेष और कला खजाना अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल घोषित किया गया है.

raman kumar, dm
रमण कुमार, जिलाधिकारी

जॉर्ज ऑरवेल का जन्म मोतिहारी में हुआ
अंग्रेजी साहित्य के प्रेमचंद कहलाने वाले जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 में हुआ. उनके पिता रिचर्ड डब्ल्यू ब्लेयर बतौर अधिकारी यहां तैनात थे. ऑरवेल करीब एक साल के थे तब उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैंड चली गयी थीं. उसके बाद वह भारत लौटकर कभी नहीं आए. ऑरवेल की मृत्‍यु 21 जनवरी 1950 में लंदन में हुई थी. लेकिन उनकी यादें आज भी मोतिहारी में मौजूद हैं.

george orwells
अंग्रेजी साहित्य के प्रेमचंद कहलाने वाले जॉर्ज ऑरवेल

अंग्रेज पत्रकार इयान जैक ने खोजी जन्मस्थली
ऑरवेल की जन्मस्थली का तब पता तब चला जब 1983 में अंग्रेज पत्रकार इयान जैक उनकी जन्मस्थली की खोज में मोतिहारी पहुंचे. ऑरवेल के उपन्‍यास हाल के वर्षों में बेस्ट सेलर की श्रेणी में आ गये. उनके वर्ष 1948 में लिखे उपन्यास '1984' और 'एनिमल फॉर्म' पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय थे. ऑरवेल के उपन्यास '1984' पर फिल्म भी बन चुकी है.

Intro:मोतिहारी।शताब्दी साहित्यकार के रुप घोषित जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली का विकास पर्यटक स्थल के रुप में किया जाएगा।राज्य सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी ने एक डीपीआर बनाकर पर्यटन विभाग को भेजा है।जिसकी मंजूरी मिलने के बाद इस स्थल के पर्यटकीय दृष्टि से विकसित करने का काम शुरु हो जाएगा।


Body:जॉर्ज ऑरवेल का जन्म जिस घर मे हुआ था।वह घर खंडहर हो चुका है।समय समय पर इस घर के मरम्मति और पुनर्निर्माण का काम सरकार के स्तर पर हुआ।बावजूद इसके जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली की तस्वीर नहीं बदली।घर के खिड़की दरवाजा से लेकर छत तक उजाड़ पड़े है।जिसके पर्यटकीय विकास के लिए सरकार ने एक बार फिर से पहल की है और जिला प्रशासन को इसके विकास की रुपरेखा तैयार करके भेजने का निर्देश दिया है।लिहाजा,जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देश के आलोक में डीपीआर बनाकर सरकार को भेज दिया है।



Conclusion:दरअसल,जॉर्ज ऑरवेल की 1945 में प्रकाशित एनिमल फार्म और 1949 में प्रकाशित नाईनटीन एट्टी फोर उपन्यास को शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ पुस्तक की श्रेणी में रखा गया।जिसकारण उन्हे शताब्दी लेखक की उपाधी दी गई।जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 1903 में मोतिहारी में हुआ था।उनके पिता भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी थे।जॉर्ज ऑरवेल के जन्म के एक साल बाद वह अपनी माँ के साथ इंगलैंड चले गए।उसके बाद वह भारत लौटकर नहीं आए।लेकिन उनकी यादें मोतिहारी में मौजूद है।
बाईट.....रमण कुमार.....जिलाधिकारी
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