मोतिहारी: शताब्दी साहित्यकार के नाम से विख्यात जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली का विकास पर्यटक स्थल के रूप में किया जाएगा. राज्य सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी ने एक डीपीआर बनाकर पर्यटन विभाग को भेजा है. जिसकी मंजूरी मिलने के बाद इस स्थल को पर्यटकीय दृष्टि से विकसित करने का काम शुरु हो जाएगा.
ऐतिहासिक घर का होगा पर्यटकीय विकास
जॉर्ज ऑरवेल का जन्म जिस घर में हुआ था. वह घर वर्तमान समय में खंडहर हो चुका है. समय-समय पर इस घर की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम सरकार के स्तर पर होता रहा है. बावजूद इसके जॉर्ज ऑरवेल की जन्म स्थली की तस्वीर नहीं बदली. घर के खिड़की-दरवाजे से लेकर छत तक उजड़े पड़े हैं. एतिहासिक घर के पर्यटकीय विकास के लिए सरकार ने एक बार फिर से पहल की है और जिला प्रशासन को इसके विकास की रुपरेखा तैयार कर भेजने का निर्देश दिया है. लिहाजा, जिला प्रशासन ने सरकार के निर्देश के बाद डीपीआर बनाकर सरकार को भेज दिया है.
![george aorwel](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4463290_motihari.jpg)
अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल
दरअसल, जॉर्ज ऑरवेल की 1945 में प्रकाशित एनिमल फार्म और 1949 में प्रकाशित 'नाइनटीन एट्टी फोर' उपन्यास को शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की श्रेणी में रखा गया है. जिस कारण उन्हें शताब्दि लेखक की उपाधि दी गई है. बिहार में पुरातत्व महानिदेशालय के अनुसार ऑरवेल हाऊस को बिहार प्राचीन स्मारक, पुरातात्विक स्थल अवशेष और कला खजाना अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल घोषित किया गया है.
![raman kumar, dm](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4463290_motihari_1.jpg)
जॉर्ज ऑरवेल का जन्म मोतिहारी में हुआ
अंग्रेजी साहित्य के प्रेमचंद कहलाने वाले जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 में हुआ. उनके पिता रिचर्ड डब्ल्यू ब्लेयर बतौर अधिकारी यहां तैनात थे. ऑरवेल करीब एक साल के थे तब उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैंड चली गयी थीं. उसके बाद वह भारत लौटकर कभी नहीं आए. ऑरवेल की मृत्यु 21 जनवरी 1950 में लंदन में हुई थी. लेकिन उनकी यादें आज भी मोतिहारी में मौजूद हैं.
![george orwells](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4463290_motihari_3.jpg)
अंग्रेज पत्रकार इयान जैक ने खोजी जन्मस्थली
ऑरवेल की जन्मस्थली का तब पता तब चला जब 1983 में अंग्रेज पत्रकार इयान जैक उनकी जन्मस्थली की खोज में मोतिहारी पहुंचे. ऑरवेल के उपन्यास हाल के वर्षों में बेस्ट सेलर की श्रेणी में आ गये. उनके वर्ष 1948 में लिखे उपन्यास '1984' और 'एनिमल फॉर्म' पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय थे. ऑरवेल के उपन्यास '1984' पर फिल्म भी बन चुकी है.