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मोतिहारीः मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति का निधन, श्रद्धांजलि देने वालों का लगा तांता

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Published : Jan 15, 2020, 8:48 AM IST

विरेंद्र पांडेय का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नगदाहां में गंडक नदी के किनारे किया गया.

मोतिहारी
मोतिहारी

मोतिहारीः मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. विरेंद्र पांडेय के निधन से पूर्वी चंपारण में शोक की लहर है. इलाज के दौरान सोमवार को पटना के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. मंगलवार को उनके पार्थिव शरीर को मोतिहारी स्थित घर पर लाया गया. जहां श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा.

पत्रकारों ने किया नमन
विरेंद्र पांडेय के पार्थिव शरीर को पत्रकार भवन भी लाया गया. जहां जिले के पत्रकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. बता दें कि उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी. उसके बाद वह एक कॉलेज में प्रोफेसर भी रहे. उन्हें चंपारण में सांस्कृतिक उत्थान का जनक भी कहा जाता है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : पुदुचेरी के ग्रामीणों की पहल से आई स्वच्छता, पर्यटन के लिए हुआ लोकप्रिय

पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार
वरिष्ठ पत्रकार संजय ठाकुर ने विरेंद्र पांडेय के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि पूर्व कुलपति स्वयं में एक संस्थान थे. वह पत्रकार के साथ-साथ रंगकर्मी और सांस्कृतिकर्मी भी थे. संगीत में भी उनका खासी रुचि थी. बता दें कि विरेंद्र पांडेय का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नगदाहां में गंडक नदी के किनारे किया गया. विरेंद्र पांडे के बड़े पुत्र संजय पांडे ने उन्हें मुखाग्नि दी.

मोतिहारीः मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. विरेंद्र पांडेय के निधन से पूर्वी चंपारण में शोक की लहर है. इलाज के दौरान सोमवार को पटना के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. मंगलवार को उनके पार्थिव शरीर को मोतिहारी स्थित घर पर लाया गया. जहां श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा.

पत्रकारों ने किया नमन
विरेंद्र पांडेय के पार्थिव शरीर को पत्रकार भवन भी लाया गया. जहां जिले के पत्रकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. बता दें कि उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी. उसके बाद वह एक कॉलेज में प्रोफेसर भी रहे. उन्हें चंपारण में सांस्कृतिक उत्थान का जनक भी कहा जाता है.

पेश है रिपोर्ट

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पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार
वरिष्ठ पत्रकार संजय ठाकुर ने विरेंद्र पांडेय के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि पूर्व कुलपति स्वयं में एक संस्थान थे. वह पत्रकार के साथ-साथ रंगकर्मी और सांस्कृतिकर्मी भी थे. संगीत में भी उनका खासी रुचि थी. बता दें कि विरेंद्र पांडेय का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नगदाहां में गंडक नदी के किनारे किया गया. विरेंद्र पांडे के बड़े पुत्र संजय पांडे ने उन्हें मुखाग्नि दी.

Intro:"पूर्व कुलपति डॉ. विरेंद्र पांडे को दो संताने हैं।उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नगदाहां में गंडक नदी के किनारे हुआ।विरेंद्र पांडे के बड़े पुत्र संजय पांडे ने उन्हे मुखाग्नि दी।"


मोतिहारी।मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. विरेंद्र पांडेय के निधन से पूर्वी चंपारण जिला में शोक की लहर दौड़ गई है।पटना में ईलाज के दौरान विरेंद्र पांडे का कल शाम में निधन हो गया।जिनके पार्थिव शरीर को मंगलवार को मोतिहारी लाया गया।विरेंद्र पांडे को श्रद्धांजलि देने वालों का उनके यहां तांता लगा रहा।उनके पार्थिव शरीर को पत्रकार भवन लाया गया।जहां पर जिले के पत्रकारों ने उन्हे नमन किया और उन्हे अपनी श्रद्धांजलि दी।विरेंद्र पांडे ने अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकारिता से शुरु की थी।उसके बाद वह एक कॉलेज में प्रोफेसर रहे और चंपारण में सांस्कृतिक उत्थान का जनक विरेंद्र पांडे को कहा जाता है।


Body:"विरेंद्र पांडे पत्रकार भी थे"

वीओ...1....पत्रकार भवन में श्रद्धांजलि देने के बाद वरिष्ठ पत्रकार संजय ठाकुर ने विरेंद्र पांडेय के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि पूर्व कुलपति विरेंद्र पांडे स्वयं में एक संस्थान थे।वह एक पत्रकार के साथ-साथ रंगकर्मी,संस्कृतिकर्मी और एक संगीतज्ञ भी थे।

बाईट....संजय ठाकुर....वरिष्ठ पत्रकार

"पूर्व कुलपति के सहपाठी हैं दुःखी"

वीओ...2....विरेंद्र पाण्डेय के निधन से उनके सहपाठी और परिवार के लोग भी काफी दुःखी है।विरेंद्र पांडेय के दोस्तों की आंखे उन्हे याद कर नम हो जा रही है।जबकि उनके पौत्र उनके सपनो को साकार करने की बात कह रहे हैं।

बाईट....सुरेंद्र चौधरी....वकील सह सहपाठी
बाईट.....प्रतिक राजवीर....पौत्र




Conclusion:"गंडक नदी के किनारे हुआ अंतिम संस्कार"

वीओएफ...पूर्व कुलपति डॉ. विरेंद्र पांडे को दो संताने हैं।उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नगदाहां में गंडक नदी के किनारे हुआ।विरेंद्र पांडे के बड़े पुत्र संजय पांडे ने उन्हे मुखाग्नि दी।

पीटीसी
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