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Motihari News: तीन दिन में काबू ने आया बंगाल टाइगर, वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया - बंगाल टाइगर

मोतिहारी (Motihari) में जंगल से भटक कर आए बंगाल टाइगर (Bengal Tiger) पर काबू पाने में वन विभाग की टीम (Forest Department) को तीसरे दिन सफलता मिली. गुरुवार देर शाम बाघ को ट्रेंकुलाइजर गन से बेहोश करके पकड़ने में सफलता मिली है.

जंगल से भटक कर आए बंगाल टाइगर को वन विभाग की टाम ने पकड़ा
जंगल से भटक कर आए बंगाल टाइगर को वन विभाग की टाम ने पकड़ा
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Published : Jun 18, 2021, 8:05 AM IST

मोतिहारी: वाल्मीकिनगर के जंगलों से भटक कर आए बंगाल टाइगर (Bengal Tiger) को पकड़ने में वन विभाग (Forest Department) की टीम को तीसरे दिन सफलता मिली.

गुरुवार देर शाम वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट से आये विशेष दल ने चिरैया के राघोपुर सरेह से बाघ को ट्रेंकुलाइजर गन (Tranquilizer Gun) से बेहोश करके पकड़ा.

ये भी पढ़ें- मोतिहारी: वाल्मीकिनगर के जंगलों से भटक कर पकड़ीदयाल पहुंचा बंगाल टाइगर, दहशत में लोग

पहली बार पकड़ीदयाल में दिखा था बाघ
बाघ को वाल्मीकिनगर के टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट में वन विभाग की टीम ने छोड़ दिया है. बंगाल टाइगर सबसे पहले 15 जून को पकड़ीदयाल प्रखंड स्थित डुमरबाना गांव के मक्के के खेत में दिखा था.

ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी सचेत हुए और पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान और वाल्मीकिनगर टाइगर प्रोजेक्ट की टीम को बुलाया गया. शाम हो जाने के कारण बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिली.

ये भी पढ़ें- मोतिहारी: आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर डाटा अपडेट करने की गति धीमी, SDM और सीओ से मांगा स्पष्टीकरण

तीसरे दिन काबू मे आया बंगाल टाइगर
बाघ लगातार अपना स्थान बदलता रहा और वन विभाग की टीम उसके पदचिन्हों के सहारे तलाश में जुटी रही. बंगाल टाइगर के स्थान बदलते रहने से आस-पड़ोस के गांवों में दहशत का माहौल बना रहा. गुरुवार की सुबह चिरैया थाना क्षेत्र के राघोपुर और बेला गांव के बीच सरेह में नहर के बांध के किनारे ग्रामीणों ने बाघ को देखा. इसकी सूचना चिरैया थाने को दी. पुलिस ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी.

वन विभाग के अधिकारी और रेस्क्यू टीम फिर सक्रिय हुई. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और सर्च अभियान शुरु किया. अभियान का नेतृत्व वाइल्ड लाइफ के निदेशक प्रभात कुमार गुप्ता कर रहे थे. टीम ने ट्रेंकुलाइजर गन के सहारे बाघ को बेहोश करके काबू पाया और फिर अपने साथ लेकर वाल्मीकिनगर चली गई.

ये भी पढ़ें- मोतिहारी: तीन शिक्षकों के खिलाफ डीपीओ स्थापना ने दर्ज कराई FIR

ये भी पढ़ें- मोतिहारी में चल रहे विकास कार्यों को लेकर DM ने की समीक्षा, 1 दिन में 50 हजार लोगों का होगा वैक्सीनेशन

बरसात में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं बाघ
लागातर बारिश से जंगलों में पानी भर जाता है. जिससे जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में अक्सर आ जाते हैं. उसमें बाघ भी भटकते-भटकते रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं. जिससे स्थानीय लोगों, ग्रामीणों में दहशत फैल जाती है. फिर वन विभाग को इसकी सूचना दी जाती है. वन विभाग की टीम जंगली जावनर को पकड़ कर फिर से जंगलों में छोड़ देते हैं. कभी-कभी वन्य जीव खुद पानी कम होने पर जंगल लौट जाते हैं.

मोतिहारी: वाल्मीकिनगर के जंगलों से भटक कर आए बंगाल टाइगर (Bengal Tiger) को पकड़ने में वन विभाग (Forest Department) की टीम को तीसरे दिन सफलता मिली.

गुरुवार देर शाम वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट से आये विशेष दल ने चिरैया के राघोपुर सरेह से बाघ को ट्रेंकुलाइजर गन (Tranquilizer Gun) से बेहोश करके पकड़ा.

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पहली बार पकड़ीदयाल में दिखा था बाघ
बाघ को वाल्मीकिनगर के टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट में वन विभाग की टीम ने छोड़ दिया है. बंगाल टाइगर सबसे पहले 15 जून को पकड़ीदयाल प्रखंड स्थित डुमरबाना गांव के मक्के के खेत में दिखा था.

ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी सचेत हुए और पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान और वाल्मीकिनगर टाइगर प्रोजेक्ट की टीम को बुलाया गया. शाम हो जाने के कारण बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिली.

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तीसरे दिन काबू मे आया बंगाल टाइगर
बाघ लगातार अपना स्थान बदलता रहा और वन विभाग की टीम उसके पदचिन्हों के सहारे तलाश में जुटी रही. बंगाल टाइगर के स्थान बदलते रहने से आस-पड़ोस के गांवों में दहशत का माहौल बना रहा. गुरुवार की सुबह चिरैया थाना क्षेत्र के राघोपुर और बेला गांव के बीच सरेह में नहर के बांध के किनारे ग्रामीणों ने बाघ को देखा. इसकी सूचना चिरैया थाने को दी. पुलिस ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी.

वन विभाग के अधिकारी और रेस्क्यू टीम फिर सक्रिय हुई. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और सर्च अभियान शुरु किया. अभियान का नेतृत्व वाइल्ड लाइफ के निदेशक प्रभात कुमार गुप्ता कर रहे थे. टीम ने ट्रेंकुलाइजर गन के सहारे बाघ को बेहोश करके काबू पाया और फिर अपने साथ लेकर वाल्मीकिनगर चली गई.

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बरसात में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं बाघ
लागातर बारिश से जंगलों में पानी भर जाता है. जिससे जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में अक्सर आ जाते हैं. उसमें बाघ भी भटकते-भटकते रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं. जिससे स्थानीय लोगों, ग्रामीणों में दहशत फैल जाती है. फिर वन विभाग को इसकी सूचना दी जाती है. वन विभाग की टीम जंगली जावनर को पकड़ कर फिर से जंगलों में छोड़ देते हैं. कभी-कभी वन्य जीव खुद पानी कम होने पर जंगल लौट जाते हैं.

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