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बाढ़ प्रभावितों के लिए NH-28 बना नया ठिकाना, मुश्किलों में यूं गुजार रहे जिंदगी

जिले में इन दिनों प्रलयकारी बाढ़ आई हुई है. डुमरिया गांव के लोग बांध पर शरण लिए हुए हैं. जहां पर उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jul 28, 2020, 7:33 AM IST

Updated : Jul 28, 2020, 8:51 AM IST

People affected by floods have taken shelter on NH in Motihari
People affected by floods have taken shelter on NH in Motihari

मोतिहारी: जिले में आई प्रलयकारी बाढ़ के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं. वो सभी एनएच-28 पर शरण लिए हुए हैं. लोग एनएच पर टेंट लगाकर जीवन गुजार रहे हैं. इन लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने सामुदायिक किचेन की शुरूआत की है, लेकिन वहां भी समय से खाना नहीं मिलता है.

People affected by floods have taken shelter on NH in Motihari
बांध पर शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ित

एनएच पर शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि वो सभी पिछले 15 दिनों से एनएच पर शरण लिए हुए हैं. जब वे लोग गांव छोड़कर आए थे, उस समय एक प्लास्टिक और थोड़ा सा चूड़ा मिला था. उसके कुछ दिन बाद सामुदायिक किचेन की शुरुआत हुई, लेकिन खाना मिलने का कोई समय निर्धारित नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

'हर साल गांव में आती है बाढ़'
बाढ़ पीड़ित परमा सहनी ने बताया कि उनके गांव में हर साल बाढ़ आती है और वे लोग गांव छोड़कर एनएच पर शरण लेते हैं. हर साल घर में रखा अनाज बाढ़ में बर्बाद होता है, लेकिन उनलोगों के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है. एनएच पर उनका परिवार रहता है और गाड़ियां चलती है. बच्चों की जान को खतरा रहता है. डर के साये में जी रहे हैं. एक बाढ़ पीड़ित महिला ज्ञानती देवी ने बताया कि बाढ़ में सब कुछ डूब गया. जब वो सभी बांध पर शरण लिए थे तभी स्थानीय पंचायत के मुखिया ने रहने के लिए प्लास्टिक दिए थे, लेकिन उसके बाद से कोई भी खोज-खबर लेने नहीं आता है.

मोतिहारी: जिले में आई प्रलयकारी बाढ़ के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं. वो सभी एनएच-28 पर शरण लिए हुए हैं. लोग एनएच पर टेंट लगाकर जीवन गुजार रहे हैं. इन लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने सामुदायिक किचेन की शुरूआत की है, लेकिन वहां भी समय से खाना नहीं मिलता है.

People affected by floods have taken shelter on NH in Motihari
बांध पर शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ित

एनएच पर शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि वो सभी पिछले 15 दिनों से एनएच पर शरण लिए हुए हैं. जब वे लोग गांव छोड़कर आए थे, उस समय एक प्लास्टिक और थोड़ा सा चूड़ा मिला था. उसके कुछ दिन बाद सामुदायिक किचेन की शुरुआत हुई, लेकिन खाना मिलने का कोई समय निर्धारित नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

'हर साल गांव में आती है बाढ़'
बाढ़ पीड़ित परमा सहनी ने बताया कि उनके गांव में हर साल बाढ़ आती है और वे लोग गांव छोड़कर एनएच पर शरण लेते हैं. हर साल घर में रखा अनाज बाढ़ में बर्बाद होता है, लेकिन उनलोगों के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है. एनएच पर उनका परिवार रहता है और गाड़ियां चलती है. बच्चों की जान को खतरा रहता है. डर के साये में जी रहे हैं. एक बाढ़ पीड़ित महिला ज्ञानती देवी ने बताया कि बाढ़ में सब कुछ डूब गया. जब वो सभी बांध पर शरण लिए थे तभी स्थानीय पंचायत के मुखिया ने रहने के लिए प्लास्टिक दिए थे, लेकिन उसके बाद से कोई भी खोज-खबर लेने नहीं आता है.

Last Updated : Jul 28, 2020, 8:51 AM IST
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