मोतिहारी: जिले में आई प्रलयकारी बाढ़ के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं. वो सभी एनएच-28 पर शरण लिए हुए हैं. लोग एनएच पर टेंट लगाकर जीवन गुजार रहे हैं. इन लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने सामुदायिक किचेन की शुरूआत की है, लेकिन वहां भी समय से खाना नहीं मिलता है.
एनएच पर शरण लिए हुए बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि वो सभी पिछले 15 दिनों से एनएच पर शरण लिए हुए हैं. जब वे लोग गांव छोड़कर आए थे, उस समय एक प्लास्टिक और थोड़ा सा चूड़ा मिला था. उसके कुछ दिन बाद सामुदायिक किचेन की शुरुआत हुई, लेकिन खाना मिलने का कोई समय निर्धारित नहीं है.
'हर साल गांव में आती है बाढ़'
बाढ़ पीड़ित परमा सहनी ने बताया कि उनके गांव में हर साल बाढ़ आती है और वे लोग गांव छोड़कर एनएच पर शरण लेते हैं. हर साल घर में रखा अनाज बाढ़ में बर्बाद होता है, लेकिन उनलोगों के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है. एनएच पर उनका परिवार रहता है और गाड़ियां चलती है. बच्चों की जान को खतरा रहता है. डर के साये में जी रहे हैं. एक बाढ़ पीड़ित महिला ज्ञानती देवी ने बताया कि बाढ़ में सब कुछ डूब गया. जब वो सभी बांध पर शरण लिए थे तभी स्थानीय पंचायत के मुखिया ने रहने के लिए प्लास्टिक दिए थे, लेकिन उसके बाद से कोई भी खोज-खबर लेने नहीं आता है.