मोतिहारीः जिले की ऐतिहासिक मोतीझील भूमाफियाओं के अतिक्रमण का शिकार है. स्थानीय लोगों की उदासीनता के कारण मोतीझील सिकुड़ती जा रही है. अब वह दिन दूर नहीं की जब यह झील से तालाब में तब्दील हो जाए. लेकिन अब जिला प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कमर कस ली है.
अवैध सड़क को प्रशासन ने तोड़ा
मोतीझील की छाती पर भूमाफियाओं के जरिए बनाये गए अवैध सड़क को जिला प्रशासन ने अपने तीसरे प्रयास में तोड़ने में सफलता पाई है. लिहाजा, स्थानीय लोगों का जिला प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है. मोतीझील को अतिक्रमित कर 165 मकान बनाये गए हैं. जिन्हें चिन्हित किया जा चुका है. जिनका दाखिल खारिज भी हो चुका है. लोगों का कहना है कि जिस अधिकारी की भूमिका मोतीझील के जमीन पर अतिक्रमण कराने में संदिग्ध है उन पर कार्रवाई हो.
सिकुड़ गया मोतीझील का रकबा
दरअसल, 487 एकड़ में फैले मोती झील पर भूमाफियाओं की नजर लग गई और भूमाफियाओं ने इसके जमीन को अंचल कार्यालय की मिलीभगत से बेचना शुरु किया. भूमाफियाओं ने झील की लगभग 187 एकड़ जमीन को बेच दिया. इस जमीन पर बड़े-बड़े मकान बन गए और मोतीझील का रकबा सिकुड़ कर 300 एकड़ हो गया.
दोषियों पर कार्रवाई की मांग
शहरवासी मोतीझील के अतिक्रमण से परेशान हैं. क्योंकि मोतीझील के अतिक्रमण के कारण जब उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो शहर के लोग पानी के लिए तरसने को मजबूर हो जाएंगे. मोतीझील के कारण ही शहर का अंडर ग्राउंड वाटर लेवल मेंटेन है. स्थानीय लोग मोतीझील के अतिक्रमण को खाली कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
डीएम ने कहा होगी कार्रवाई
वहीं, जिला प्रशासन ने मोती झील के जमीन पर भूमाफियाओं के जरिए बनाये गए अवैध सड़क को तोड़कर अपनी मंशा जता दी है. हालांकि जिलाधिकारी रमण कुमार ने मोती झील के अतिक्रमण को लेकर शहरवासियों को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसके मूलस्वरुप में वापस लाने का दृढ़ संकल्प किया है. डीएम ने मोतीझील के अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की बात भी कही है.