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मोतीझील पर भू-माफियाओं का कब्जा, अवैध सड़क को प्रशासन ने तुड़वाया

भूमाफियाओं के जरिए मोतीझील पर बनाये गए अवैध सड़क को जिलाप्रशासन ने तोड़ दिया है. डीएम रमण कुमार ने मोती झील के अतिक्रमण को लेकर शहरवासियों को भी जिम्मेदार ठहराया है.

मोती झील
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Published : Jul 8, 2019, 10:50 AM IST

मोतिहारीः जिले की ऐतिहासिक मोतीझील भूमाफियाओं के अतिक्रमण का शिकार है. स्थानीय लोगों की उदासीनता के कारण मोतीझील सिकुड़ती जा रही है. अब वह दिन दूर नहीं की जब यह झील से तालाब में तब्दील हो जाए. लेकिन अब जिला प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कमर कस ली है.

अवैध सड़क को प्रशासन ने तोड़ा
मोतीझील की छाती पर भूमाफियाओं के जरिए बनाये गए अवैध सड़क को जिला प्रशासन ने अपने तीसरे प्रयास में तोड़ने में सफलता पाई है. लिहाजा, स्थानीय लोगों का जिला प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है. मोतीझील को अतिक्रमित कर 165 मकान बनाये गए हैं. जिन्हें चिन्हित किया जा चुका है. जिनका दाखिल खारिज भी हो चुका है. लोगों का कहना है कि जिस अधिकारी की भूमिका मोतीझील के जमीन पर अतिक्रमण कराने में संदिग्ध है उन पर कार्रवाई हो.

moti jheel
मोती झील पर किए गए अतिक्रमण

सिकुड़ गया मोतीझील का रकबा
दरअसल, 487 एकड़ में फैले मोती झील पर भूमाफियाओं की नजर लग गई और भूमाफियाओं ने इसके जमीन को अंचल कार्यालय की मिलीभगत से बेचना शुरु किया. भूमाफियाओं ने झील की लगभग 187 एकड़ जमीन को बेच दिया. इस जमीन पर बड़े-बड़े मकान बन गए और मोतीझील का रकबा सिकुड़ कर 300 एकड़ हो गया.

moti jheel
ऐतिहासिक मोती झील पर बनी अवैध सड़क

दोषियों पर कार्रवाई की मांग
शहरवासी मोतीझील के अतिक्रमण से परेशान हैं. क्योंकि मोतीझील के अतिक्रमण के कारण जब उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो शहर के लोग पानी के लिए तरसने को मजबूर हो जाएंगे. मोतीझील के कारण ही शहर का अंडर ग्राउंड वाटर लेवल मेंटेन है. स्थानीय लोग मोतीझील के अतिक्रमण को खाली कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

ऐतिहासिक मोती झील पर अतिक्रमण

डीएम ने कहा होगी कार्रवाई
वहीं, जिला प्रशासन ने मोती झील के जमीन पर भूमाफियाओं के जरिए बनाये गए अवैध सड़क को तोड़कर अपनी मंशा जता दी है. हालांकि जिलाधिकारी रमण कुमार ने मोती झील के अतिक्रमण को लेकर शहरवासियों को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसके मूलस्वरुप में वापस लाने का दृढ़ संकल्प किया है. डीएम ने मोतीझील के अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की बात भी कही है.

मोतिहारीः जिले की ऐतिहासिक मोतीझील भूमाफियाओं के अतिक्रमण का शिकार है. स्थानीय लोगों की उदासीनता के कारण मोतीझील सिकुड़ती जा रही है. अब वह दिन दूर नहीं की जब यह झील से तालाब में तब्दील हो जाए. लेकिन अब जिला प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कमर कस ली है.

अवैध सड़क को प्रशासन ने तोड़ा
मोतीझील की छाती पर भूमाफियाओं के जरिए बनाये गए अवैध सड़क को जिला प्रशासन ने अपने तीसरे प्रयास में तोड़ने में सफलता पाई है. लिहाजा, स्थानीय लोगों का जिला प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है. मोतीझील को अतिक्रमित कर 165 मकान बनाये गए हैं. जिन्हें चिन्हित किया जा चुका है. जिनका दाखिल खारिज भी हो चुका है. लोगों का कहना है कि जिस अधिकारी की भूमिका मोतीझील के जमीन पर अतिक्रमण कराने में संदिग्ध है उन पर कार्रवाई हो.

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मोती झील पर किए गए अतिक्रमण

सिकुड़ गया मोतीझील का रकबा
दरअसल, 487 एकड़ में फैले मोती झील पर भूमाफियाओं की नजर लग गई और भूमाफियाओं ने इसके जमीन को अंचल कार्यालय की मिलीभगत से बेचना शुरु किया. भूमाफियाओं ने झील की लगभग 187 एकड़ जमीन को बेच दिया. इस जमीन पर बड़े-बड़े मकान बन गए और मोतीझील का रकबा सिकुड़ कर 300 एकड़ हो गया.

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ऐतिहासिक मोती झील पर बनी अवैध सड़क

दोषियों पर कार्रवाई की मांग
शहरवासी मोतीझील के अतिक्रमण से परेशान हैं. क्योंकि मोतीझील के अतिक्रमण के कारण जब उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो शहर के लोग पानी के लिए तरसने को मजबूर हो जाएंगे. मोतीझील के कारण ही शहर का अंडर ग्राउंड वाटर लेवल मेंटेन है. स्थानीय लोग मोतीझील के अतिक्रमण को खाली कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

ऐतिहासिक मोती झील पर अतिक्रमण

डीएम ने कहा होगी कार्रवाई
वहीं, जिला प्रशासन ने मोती झील के जमीन पर भूमाफियाओं के जरिए बनाये गए अवैध सड़क को तोड़कर अपनी मंशा जता दी है. हालांकि जिलाधिकारी रमण कुमार ने मोती झील के अतिक्रमण को लेकर शहरवासियों को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसके मूलस्वरुप में वापस लाने का दृढ़ संकल्प किया है. डीएम ने मोतीझील के अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की बात भी कही है.

Intro:मोतिहारी।पूर्वी चंपारण का जिला मुख्यालय मोतिहारी है।मोतिहारी के ऐतिहासिकता से जुड़ा है शहर को दो भागों में बांटने वाला मोतीझील।जो भूमाफियाओं के कारण अतिक्रमण का शिकार होकर सिकुड़ता जा रहा है।बावजूद इसके स्थानीय लोगों की उदासीनता के कारण मोतीझील तालाब में बदलता जा रहा है।बावजूद इसके जिला प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अब कमर कस लिया है।


Body:वीओ...1...मोतीझील के छाती पर भूमाफियाओं द्वारा बनाये गए अवैध सड़क को जिला प्रशासन ने अपने तीसरे प्रयास में तोड़ने में सफलता पाई।लिहाजा,स्थानीय लोगों का विश्वास बढ़ा है कि अब मोतीझील का उद्धार होगा।दरअसल,487 एकड़ में फैले मोतीझील पर भूमाफियाओं की नजर लग गयी और भूमाफियाओं ने इसके जमीन को अंचल कार्यालय के मिलीभगत से बेचना शुरु किया।भूमाफियाओं ने मोतीझील के लगभग 187 एकड़ जमीन को बेच दिया।जिस जमीन पर बड़े-बड़े मकान बन गए और मोतीझील का रकबा सिकुड़ कर 300 एकड़ हो गया।शहरवासी मोतीझील के अतिक्रमण से परेशान हैं क्योंकि मोतीझील के अतिक्रमण के कारण जब उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।तो शहर पानी के लिए तरसने को मजबूर हो जाएगा।क्योंकि मोतीझील के कारण हीं शहर का अंडर ग्राउंड वाटर लेवल मेंटेन है।स्थानीय लोग मोतीझील के अतिक्रमण को खाली कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बाईट.....आनंद कुमार....स्थानीय


Conclusion:वीओ...2...इधर जिला प्रशासन ने मोतीझील के जमीन पर भूमाफियाओं द्वारा बनाये गए अवैध सड़क को तोड़कर अपनी मंशा जता दी है।हालांकि जिला पदाधिकारी ने मोतीझील के अतिक्रमण को लेकर शहर वासियों को भी जिम्मेवार ठहराया है।बावजूद इसके उन्होने मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराकर उसके मूलस्वरुप में वापस लाने के अपने दृढ़ संकलल्प को दोहराते हुए मोतीझील के अतिक्रमण के लिए जिम्मेवार लोगों पर कार्रवाई की बात भी कही है।
बाईट....रमण कुमार....जिला पदाधिकारी

वीओएफ.....बहरहाल,मोतीझील को अतिक्रमित कर 165 मकान बनाये गए हैं।जिन्हे चिन्हित किया जा चुका है।जिनका दाखिल खारिज भी हो चुका है।ऐसे में जरुरत इस बात की है कि जिस अधिकारी की भूमिका मोतीझील के जमीन पर अतिक्रमण कराने में संदिग्ध है।उनपर कार्रवाई हो।ताकि लोग मोतिहारी के पहचान से जुड़े मोतीझील की जमीन का अतिक्रमण करने से पहले सौ बार सोचे।
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