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मोतिहारीः 108 साल से यहां बंगाली विधि-विधान से होती है मां दुर्गा की पूजा - motihari latest news

108 साल पुरानी भवानी मंडप पूजा समिति की खासियत है कि यहां बंगाली रीति-रिवाज से पूजा होती आ रही है. इस मंडप में ढ़ोल की थाप पर पूरे विधि-विधान से होने वाली पूजा आकर्षण का केंद्र है.

मोतिहारी
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Published : Oct 7, 2019, 11:12 AM IST

मोतिहारीः पूरे देश और प्रदेश के साथ पूर्वी चंपारण जिले में भी दुर्गा पूजा की धूम है. श्रद्धालुओं में दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. कई पूजा समितियां यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा कर रही हैं. जिले की सबसे पुरानी पूजा समिति बंगाली समुदाय की भवानी मंडप पूजा समिति है, जिसने लगातार 108वें साल मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की है.

मोतिहारी
माता के दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं श्रद्धालु

बंगाली विधि-विधान से होती है पूजा
भवानी मंडप पूजा समिति की खासियत है कि यहां बंगाली रीति-रिवाज से पूजा होती आ रही है. इस मंडप में ढ़ोल की थाप पर पूरे विधि-विधान से होने वाली पूजा आकर्षण का केंद्र है. जिसमें महिला-पुरुष सभी शामिल होते हैं. इसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि ये मोतिहारी जिले की सबसे प्राचीनतम पूजा समिति है.

पेश है रिपोर्ट

1912 से होती आ रही है पूजा
बताया जाता है कि डेढ़ सौ साल पहले गुलाम भारत में बंगाली समुदाय के लोग कोलकाता से काम की तलाश में यहां आए थे. उन्हीं लोगों ने 1912 में तुरकौलिया में भवानी मंडप पूजा समिति की स्थापना कर यहां पर दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. तभी से ये पूजा समिति यहां अनवरत पूजा करती आ रही है. बाद के दिनों में समिति ने शहर में स्थाई मंडप का निर्माण करवाया, जिसमें हर साल प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

मोतिहारीः पूरे देश और प्रदेश के साथ पूर्वी चंपारण जिले में भी दुर्गा पूजा की धूम है. श्रद्धालुओं में दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. कई पूजा समितियां यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा कर रही हैं. जिले की सबसे पुरानी पूजा समिति बंगाली समुदाय की भवानी मंडप पूजा समिति है, जिसने लगातार 108वें साल मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की है.

मोतिहारी
माता के दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं श्रद्धालु

बंगाली विधि-विधान से होती है पूजा
भवानी मंडप पूजा समिति की खासियत है कि यहां बंगाली रीति-रिवाज से पूजा होती आ रही है. इस मंडप में ढ़ोल की थाप पर पूरे विधि-विधान से होने वाली पूजा आकर्षण का केंद्र है. जिसमें महिला-पुरुष सभी शामिल होते हैं. इसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि ये मोतिहारी जिले की सबसे प्राचीनतम पूजा समिति है.

पेश है रिपोर्ट

1912 से होती आ रही है पूजा
बताया जाता है कि डेढ़ सौ साल पहले गुलाम भारत में बंगाली समुदाय के लोग कोलकाता से काम की तलाश में यहां आए थे. उन्हीं लोगों ने 1912 में तुरकौलिया में भवानी मंडप पूजा समिति की स्थापना कर यहां पर दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. तभी से ये पूजा समिति यहां अनवरत पूजा करती आ रही है. बाद के दिनों में समिति ने शहर में स्थाई मंडप का निर्माण करवाया, जिसमें हर साल प्रतिमा स्थापित की जा रही है.

Intro:मोतिहारी।पूर्वी चंपारण जिले में दुर्गा पूजा की धूम है।श्रद्धालुओं में दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह है।कई पूजा समितियों द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है।लेकिन जिले का सबसे पुराना पूजा समिति बंगालियों द्वारा स्थापित भवानी मंडप पूजा समिति हैं।जहां बंगाली रीति रिवाज से आज भी पूजा होती है।


Body:बंगाली समुदाय के लोग माँ दुर्गा की पूजा काफी श्रद्धा से करते हैं और महिला-पुरुष सभी श्रद्धालुओं ढ़ोल के थाप पर पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं।जिसे देखने और माँ दुर्गा को नमन करने काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं।


Conclusion:दरअसल,डेढ़ सौ बर्ष पूर्व गुलाम भारत में कोलकाता से बंगाली समुदाय के लोग काम की तलाश में जिले में आए थे।उन्ही लोगो ने 1912 में तुरकौलिया में भवानी मंडप पूजा समिति की स्थापना कर दुर्गा पूजा करना शुरु किया।जिस पूजा समिति द्वारा लगातार दुर्गा पूजा होता आ रहा है।बाद के दिनों में बंगाली समुदाय के लोगों ने शहर में इस पूजा समिति के लिए स्थायी मंडप बनाया और हर साल प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा करना शुरु कर दिया।जो आज तक जारी है।
बाईट.....नवलीन चक्रवर्ती.....सचिव,भवानी मंडप पूजा समिति
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