मोतिहारी: जिले के रविन्द्र नाथ मुखर्जी आयुर्वेद कॉलेज का परिसर वर्ष 2007 से पहले हमेशा गुलजार रहता था. लेकिन वर्ष 2007 के बाद से कॉलेज में छायी विरानगी के दूर होने की कुछ उम्मीदें जगी है, तो इसके 16 एकड़ की कीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर टिकी हुई है.
1955 में रविन्द्र नाथ मुखर्जी आयुर्वेद की स्थापना हुई थी, जिसका उद्घाटन बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने किया था. इस कॉलेज से जिले के अलावा आस-पड़ोस के राज्यों के कई विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश के कई संस्थाओं में योगदान किया है. कॉलेज के स्थापना काल से समाज के लोग कॉलेज के संचालक मंडली में रहते थे, लेकिन वर्ष 2005 के बाद नई सरकार ने कॉलेज के संचालक मंडल का राजनीतिकरण करते हुए अध्यक्ष की कुर्सी पर स्थानीय विधायक को बैठा दिया, जिसके बाद ही कॉलेज की दुर्दशा शुरू हो गई. साल 2007 में भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् नई दिल्ली ने कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी.
मूल्यांकन के बाद मान्यता रद्द
मान्यता रद्द होने के बाद बंद आयुर्वेद कॉलेज हर चुनाव में मुद्दा बनता रहा. लेकिन कॉलेज को मान्यता दिलाने की दिशा में किसी ने भी प्रयास नहीं किया. कॉलेज के कर्मचारी कुमार सुधीर बताते हैं कि भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद हर वर्ष कॉलेज का मूल्यांकन करती है. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् के मानकों पर वर्ष 2007 में नहीं उतर पाया, जिसके बाग कॉलेज की मान्यता रद्द हो गई. उन्होंने बताया कि उसके बाद काफी प्रयास हुआ. लेकिन सफलता नहीं मिल पाई.
कॉलेज को पुनर्जीवित करने के लिए बना ट्रस्ट
कॉलेज की दुर्दशा को देख कॉलेज के एक पूर्ववर्ती छात्र राहुल राज ने महाविद्यालय के पुराने रौनक को लौटाने का प्रयास शुरू किया है. कॉलेज के कर्मचारियों ने मिलकर एक ट्रस्ट बनाया है, जिसका अध्यक्ष राहुल राज को बनाया गया है. कॉलेज के मिश्रक रामेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि कॉलेज के लिए बेतिया राज से जमीन मिला था, जिसके डीड के अनुसार कॉलेज को पुनर्जीवित करने के लिए एक ट्रस्ट बनाकर कॉलेज का संचालन शुरू किया गया है.आगे कर्रवाई भी हो रही है.