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मोतिहारी: उद्धार की उम्मीद में है ये आयुर्वेद कॉलेज, इस साल बनेगा चुनावी मुद्दा - सीसीआईएम

मोतिहारी शहर में स्थापित रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज का उद्घाटन बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने किया था. लेकिन समय के साथ परिस्थिति बदलने पर कॉलेज राजनीति का अखड़ा बन गया. सीसीआईएम ने कॉलेज की मान्यता 2007 में रद्द कर दी. उसके बाद से ये कॉलेज हर चुनाव में केवल राजनीतिक मुद्दा बनकर रह जाता है.

रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज
रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज
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Published : Sep 14, 2020, 8:42 PM IST

मोतिहारी: जिले के रविन्द्र नाथ मुखर्जी आयुर्वेद कॉलेज का परिसर वर्ष 2007 से पहले हमेशा गुलजार रहता था. लेकिन वर्ष 2007 के बाद से कॉलेज में छायी विरानगी के दूर होने की कुछ उम्मीदें जगी है, तो इसके 16 एकड़ की कीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर टिकी हुई है.

1955 में रविन्द्र नाथ मुखर्जी आयुर्वेद की स्थापना हुई थी, जिसका उद्घाटन बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने किया था. इस कॉलेज से जिले के अलावा आस-पड़ोस के राज्यों के कई विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश के कई संस्थाओं में योगदान किया है. कॉलेज के स्थापना काल से समाज के लोग कॉलेज के संचालक मंडली में रहते थे, लेकिन वर्ष 2005 के बाद नई सरकार ने कॉलेज के संचालक मंडल का राजनीतिकरण करते हुए अध्यक्ष की कुर्सी पर स्थानीय विधायक को बैठा दिया, जिसके बाद ही कॉलेज की दुर्दशा शुरू हो गई. साल 2007 में भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् नई दिल्ली ने कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी.

पेश है रिपोर्ट

मूल्यांकन के बाद मान्यता रद्द

मान्यता रद्द होने के बाद बंद आयुर्वेद कॉलेज हर चुनाव में मुद्दा बनता रहा. लेकिन कॉलेज को मान्यता दिलाने की दिशा में किसी ने भी प्रयास नहीं किया. कॉलेज के कर्मचारी कुमार सुधीर बताते हैं कि भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद हर वर्ष कॉलेज का मूल्यांकन करती है. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् के मानकों पर वर्ष 2007 में नहीं उतर पाया, जिसके बाग कॉलेज की मान्यता रद्द हो गई. उन्होंने बताया कि उसके बाद काफी प्रयास हुआ. लेकिन सफलता नहीं मिल पाई.

कॉलेज भवन
कॉलेज भवन
65 विद्यार्थियों का परीक्षा भी लंबित
कॉलेज की मान्यता रद्द होने के बाद कॉलेज में नामांकन में रोक लग गया. साथ ही वर्ष 2005 से 2007 के बीच के 65 विद्यार्थियों का परीक्षा भी लंबित हो गया. इसके बाद के दिनों में कॉलेज प्रशासन ने हाईकोर्ट के साथ ही राजभवन का दरवाजा खटखटाया. साथ ही भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद में भी विद्यार्थियों के लंबित परीक्षा को लेने की गुहार लगाई है. कॉलेज के लाईब्रेरियन सतीश जय कुमार ने बताया कि परीक्षा से वंचित छात्रों की स्थिति को देखकर कॉलेज प्रशासन बिहार यूनिवर्सिटी से लेकर दिल्ली के भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद के यहां कागजात को बढ़ाया गया है. इधर छात्रों को उम्मीद है कि जल्द हीं उनकी लंबित परीक्षा होगी.
बंद पड़े कक्षा
बंद पड़े कक्षा


कॉलेज को पुनर्जीवित करने के लिए बना ट्रस्ट
कॉलेज की दुर्दशा को देख कॉलेज के एक पूर्ववर्ती छात्र राहुल राज ने महाविद्यालय के पुराने रौनक को लौटाने का प्रयास शुरू किया है. कॉलेज के कर्मचारियों ने मिलकर एक ट्रस्ट बनाया है, जिसका अध्यक्ष राहुल राज को बनाया गया है. कॉलेज के मिश्रक रामेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि कॉलेज के लिए बेतिया राज से जमीन मिला था, जिसके डीड के अनुसार कॉलेज को पुनर्जीवित करने के लिए एक ट्रस्ट बनाकर कॉलेज का संचालन शुरू किया गया है.आगे कर्रवाई भी हो रही है.

रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज
रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज
'जल्द होंगे छात्रों के लंबित परीक्षा'
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि कॉलेज प्रशासन विद्यार्थियों का लंबित परीक्षा को लेकर प्रयत्नशील है. बहुत जल्द विद्यार्थियों का लंबित परीक्षा होगा. उन्होंने बताया कि नए नामांकन के लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् से पत्राचार हो रहा है. गौरतलब है कि महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान चंपारण से शिक्षा का अलख जगाया था. कई बुनियादी विद्यालयों की स्थापना की थी, जिससे प्रेरित होकर चंपारण के लोगों ने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की थी. इस क्रम में समाज के लोगों ने रविंद्रनाथ मुखर्जी आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना की, जो आज एक उद्धार का रास्ता देख रहा है, जबकि सरकार ने भी इस महाविद्यालय से अपनी नजरें फेर ली है.

मोतिहारी: जिले के रविन्द्र नाथ मुखर्जी आयुर्वेद कॉलेज का परिसर वर्ष 2007 से पहले हमेशा गुलजार रहता था. लेकिन वर्ष 2007 के बाद से कॉलेज में छायी विरानगी के दूर होने की कुछ उम्मीदें जगी है, तो इसके 16 एकड़ की कीमती जमीन पर भूमाफियाओं की नजर टिकी हुई है.

1955 में रविन्द्र नाथ मुखर्जी आयुर्वेद की स्थापना हुई थी, जिसका उद्घाटन बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने किया था. इस कॉलेज से जिले के अलावा आस-पड़ोस के राज्यों के कई विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद देश के कई संस्थाओं में योगदान किया है. कॉलेज के स्थापना काल से समाज के लोग कॉलेज के संचालक मंडली में रहते थे, लेकिन वर्ष 2005 के बाद नई सरकार ने कॉलेज के संचालक मंडल का राजनीतिकरण करते हुए अध्यक्ष की कुर्सी पर स्थानीय विधायक को बैठा दिया, जिसके बाद ही कॉलेज की दुर्दशा शुरू हो गई. साल 2007 में भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् नई दिल्ली ने कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी.

पेश है रिपोर्ट

मूल्यांकन के बाद मान्यता रद्द

मान्यता रद्द होने के बाद बंद आयुर्वेद कॉलेज हर चुनाव में मुद्दा बनता रहा. लेकिन कॉलेज को मान्यता दिलाने की दिशा में किसी ने भी प्रयास नहीं किया. कॉलेज के कर्मचारी कुमार सुधीर बताते हैं कि भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद हर वर्ष कॉलेज का मूल्यांकन करती है. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् के मानकों पर वर्ष 2007 में नहीं उतर पाया, जिसके बाग कॉलेज की मान्यता रद्द हो गई. उन्होंने बताया कि उसके बाद काफी प्रयास हुआ. लेकिन सफलता नहीं मिल पाई.

कॉलेज भवन
कॉलेज भवन
65 विद्यार्थियों का परीक्षा भी लंबित
कॉलेज की मान्यता रद्द होने के बाद कॉलेज में नामांकन में रोक लग गया. साथ ही वर्ष 2005 से 2007 के बीच के 65 विद्यार्थियों का परीक्षा भी लंबित हो गया. इसके बाद के दिनों में कॉलेज प्रशासन ने हाईकोर्ट के साथ ही राजभवन का दरवाजा खटखटाया. साथ ही भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद में भी विद्यार्थियों के लंबित परीक्षा को लेने की गुहार लगाई है. कॉलेज के लाईब्रेरियन सतीश जय कुमार ने बताया कि परीक्षा से वंचित छात्रों की स्थिति को देखकर कॉलेज प्रशासन बिहार यूनिवर्सिटी से लेकर दिल्ली के भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद के यहां कागजात को बढ़ाया गया है. इधर छात्रों को उम्मीद है कि जल्द हीं उनकी लंबित परीक्षा होगी.
बंद पड़े कक्षा
बंद पड़े कक्षा


कॉलेज को पुनर्जीवित करने के लिए बना ट्रस्ट
कॉलेज की दुर्दशा को देख कॉलेज के एक पूर्ववर्ती छात्र राहुल राज ने महाविद्यालय के पुराने रौनक को लौटाने का प्रयास शुरू किया है. कॉलेज के कर्मचारियों ने मिलकर एक ट्रस्ट बनाया है, जिसका अध्यक्ष राहुल राज को बनाया गया है. कॉलेज के मिश्रक रामेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि कॉलेज के लिए बेतिया राज से जमीन मिला था, जिसके डीड के अनुसार कॉलेज को पुनर्जीवित करने के लिए एक ट्रस्ट बनाकर कॉलेज का संचालन शुरू किया गया है.आगे कर्रवाई भी हो रही है.

रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज
रविन्द्र नाथ आयुर्वेद कॉलेज
'जल्द होंगे छात्रों के लंबित परीक्षा'
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि कॉलेज प्रशासन विद्यार्थियों का लंबित परीक्षा को लेकर प्रयत्नशील है. बहुत जल्द विद्यार्थियों का लंबित परीक्षा होगा. उन्होंने बताया कि नए नामांकन के लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् से पत्राचार हो रहा है. गौरतलब है कि महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान चंपारण से शिक्षा का अलख जगाया था. कई बुनियादी विद्यालयों की स्थापना की थी, जिससे प्रेरित होकर चंपारण के लोगों ने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की थी. इस क्रम में समाज के लोगों ने रविंद्रनाथ मुखर्जी आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना की, जो आज एक उद्धार का रास्ता देख रहा है, जबकि सरकार ने भी इस महाविद्यालय से अपनी नजरें फेर ली है.
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