दरभंगा: जिले के मनीगाछी प्रखंड के जगदीशपुर गांव में कुश्ती को बढ़ावा देने की परंपरा पिछले 77 साल से चली आ रही है. यहां 1942 से हर साल कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. जिसमें उत्तर बिहार के कई जिलों के अलावा नेपाल से भी पहलवान भाग लेने आते हैं. इस प्रतियोगिता की सबसे अनोखी बात यह है कि इसमें जीतने वालों के साथ हारने वाले पहलवानों को भी पुरस्कृत किया जाता है.
10 जिलों के गांवों से आते हैं पहलवान
जगदीशपुर पंचायत के मुखिया कैलाश सहनी ने बताया कि इस प्रतियोगिता की शुरूआत देश की आजादी के पहले हुई थी. इसमें तकरीबन 10 जिलों से पहलवान शिरकत करने आते हैं. जहां 10 हजार से ज्यादा दर्शक जुटते हैं. उन्होंने कहा कि यहां आनेवाले हर पहलवान को प्रोत्साहित किया जाता है.
'राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलें पहलवान'
आयोजन समिति के सदस्य महाजन सहनी ने बताया कि पहले दरभंगा में पहलवानी की समृद्ध परंपरा थी. जहां पहलवान बंगाल, गोरखपुर और नेपाल तक पहलवानी करने जाते थे. धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म होती गई. ऐसे में उन लोगों ने जगदीशपुर में पहलवानी को अभी भी जिंदा कर रखा है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि पहलवान यहां से निकलकर राज्य के साथ देश के लिए भी खेलें और ओलंपिक तक पहुंच कर पदक प्राप्त करें.
'सरकार मुहैया कराए सुविधा'
मधुबनी से मुकाबले में भाग लेने आए पहलवान संजीव पासवान ने कहा कि वे बहुत उत्साह से हर साल प्रतियोगिता में भाग लेते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है कि कुश्ती के लिए बिहार में कोई प्रोत्साहन योजना नहीं है. ऐसे में वे चाहते हैं कि उन लोगों को सरकार सुविधाएं दें और उन्हें कोच उपलब्ध कराए. ताकि वे बेहतर प्रदर्शन कर राज्य और देश का नाम रौशन कर सकें.