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दरभंगा: कालिदास के काव्य की पर्यावरणीय प्रासंगिकता पर वेबिनार का आयोजन

सीएम कॉलेज में 'कालिदास के काव्य की पर्यावरणीय प्रासंगिकता' विषय पर वेबिनार का आयोजन हुआ. संगोष्ठी का संचालन एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. आरएन चौरसिया ने किया.

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Published : Apr 20, 2021, 8:25 PM IST

दरभंगा: सीएम कॉलेज के संस्कृत विभाग में 'कालिदास के काव्य की पर्यावरणीय प्रासंगिकता' विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया. इसमें ऑनलाइन माध्यम से दरभंगा और बिहार के दूसरे जिलों के संस्कृत साहित्य के कई विद्वानों ने व्याख्यान दिए. इस वेवीनार में प्रतिभागी ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से शामिल हुए.

ये भी पढ़ें- कोरोना संक्रमण के मद्देनजर SDM और SDPO ने की बैठक, सार्वजनिक कार्यक्रम पर लगाई रोक

"संस्कृत साहित्य के अमर कवि कालिदास की रचनाएं कालजयी हैं. उन्होंने अपनी सातों कृतियों में पर्यावरणीय संवेदना का वृहत वर्णन किया है. उनके सभी पात्र मूर्तिमान होकर जीवनोपयोगी संदेश प्रदान करते हैं. कालिदास के अनुसार हमारा सतत भौतिक विकास हो जो आने वाली पीढी के लिए भी पर्यावरण को सुरक्षित रख सके. 2000 वर्ष के बाद भी कालिदास की पर्यावरणीय अवधारणा प्रासंगिक है."- डॉ. विकास सिंह, संस्कृत विभागाध्यक्ष

कालिदास की रचनाओं का हुआ उल्लेख
प्रधानाचार्य प्रो. विश्वनाथ झा ने कहा कि कालिदास की रचनाओं में वर्णित पर्यावरण जीवन्त और मनोरम है. स्वच्छ पर्यावरण हमारे लिए अमृत तुल्य है, जिसकी रक्षा और विकास हमारा पुनीत कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि मानवीय सौंदर्य के मूल में प्रकृति है. जिसका कवि ने मानवीकीकरण किया है. कालिदास का साहित्य मानव को आदर्श इंसान बनाने में समर्थ है। उनकी रचनाएं हमारे अंदर पर्यावरणीय उत्तम भाव को जागृत करता है.

दरभंगा: सीएम कॉलेज के संस्कृत विभाग में 'कालिदास के काव्य की पर्यावरणीय प्रासंगिकता' विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया. इसमें ऑनलाइन माध्यम से दरभंगा और बिहार के दूसरे जिलों के संस्कृत साहित्य के कई विद्वानों ने व्याख्यान दिए. इस वेवीनार में प्रतिभागी ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से शामिल हुए.

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"संस्कृत साहित्य के अमर कवि कालिदास की रचनाएं कालजयी हैं. उन्होंने अपनी सातों कृतियों में पर्यावरणीय संवेदना का वृहत वर्णन किया है. उनके सभी पात्र मूर्तिमान होकर जीवनोपयोगी संदेश प्रदान करते हैं. कालिदास के अनुसार हमारा सतत भौतिक विकास हो जो आने वाली पीढी के लिए भी पर्यावरण को सुरक्षित रख सके. 2000 वर्ष के बाद भी कालिदास की पर्यावरणीय अवधारणा प्रासंगिक है."- डॉ. विकास सिंह, संस्कृत विभागाध्यक्ष

कालिदास की रचनाओं का हुआ उल्लेख
प्रधानाचार्य प्रो. विश्वनाथ झा ने कहा कि कालिदास की रचनाओं में वर्णित पर्यावरण जीवन्त और मनोरम है. स्वच्छ पर्यावरण हमारे लिए अमृत तुल्य है, जिसकी रक्षा और विकास हमारा पुनीत कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि मानवीय सौंदर्य के मूल में प्रकृति है. जिसका कवि ने मानवीकीकरण किया है. कालिदास का साहित्य मानव को आदर्श इंसान बनाने में समर्थ है। उनकी रचनाएं हमारे अंदर पर्यावरणीय उत्तम भाव को जागृत करता है.

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