दरभंगा: आजकल कोरोना महामारी का कहर ग्रामीण इलाकों में तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना की पहली लहर में गांव बच गए थे, लेकिन दूसरी लहर में गांव भी अछूते नहीं हैं. गांवों से बुखार-खांसी जैसी समस्याएं ही नहीं, बल्कि मौतों की खबरें भी लगातार आ रही हैं. हालांकि इनमें से ज्यादातर मौतों के आंकड़े दर्ज नहीं हो रहे हैं, क्योंकि अधिकतर जगहों पर या तो टेस्टिंग की सुविधा नहीं है या जागरूकता के अभाव में लोग करा नहीं रहे हैं. ऐसे में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के तमाम दावे और सरकारी सिस्टम गांव में दम तोड़ती नजर आ रही है.
दरभंगा जिले के जाले प्रखंड की राढ़ी पूर्वी पंचायत के कुम्हरौली गांव में सर्दी-बुखार से 40 लोगों की मौतें होने की सूचना है, जबकि इसी तरह के लक्षणों से करीब 200 लोग अभी भी गांव में बीमार हैं. इनमें से 10 लोग ऑक्सीजन पर हैं. जांच नहीं होने की वजह से पता नहीं चल सका है कि ये मौतें कैसे हुई हैं. इस बीच ग्रामीणों ने कुम्हरौली गांव को सील कर दिया है और बांस बल्ले से गांव के रास्तों की बैरिकेडिंग कर दिया है. ग्रामीणों ने पोस्टर लगाकर लिखा है कि कुम्हरौली गांव में कोरोना से 40 लोगों की मौत हो गई है. और इस गांव में आना मना है.
मेडिकल टीम ने की लोगों की जांच
कुम्हरौली गांव के लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने लगातार हो रही मौतों और बीमारी के बावजूद उनकी सुध नहीं ली है और अब तक उनका इलाज शुरू नहीं हुआ है. हालांकि, पत्रकारों की पहल पर जाले रेफरल अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी ने गांव में एक मेडिकल टीम भेजा और लोगों की जांच की गई.
रिश्तेदार के आने पर भी रोक
स्थानीय वसी अहमद ने कहा कि उनके गांव में अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 के आसपास लोग सर्दी-खांसी और बुखार से बीमार पड़े हुए हैं. इनमें से 10 लोग गंभीर अवस्था में हैं, जो गांव में ही ऑक्सीजन पर हैं. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने अपने गांव को चारों तरफ से बैरिकेड कर दिया है और आने-जाने वाले लोगों पर पाबंदी लगा दी गई है. यहां तक कि नातेदार-रिश्तेदार भी गांव में नहीं घुस सकते हैं.
स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप
वहीं, राढ़ी पूर्वी पंचायत के मुखिया वली अहमद ने कहा कि सरकार की तरफ से इस गांव में बांटने के लिए अब तक कुछ नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अब जाकर वे मास्क का वितरण कर रहे हैं. मुखिया ने कहा कि इतनी बड़ी बीमारी और मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने उनकी गांव पर ध्यान नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि पूरी पंचायत के सभी गांवों को मिलाकर महज डेढ़ सौ के आसपास लोगों का अब तक टीकाकरण हुआ है. मुखिया ने कहा कि उन्होंने अस्पताल के प्रभारी से टीकाकरण के संबंध में बात की थी. लेकिन उन्होंने टीका के डोज की कमी की बात कह कर गांव में टीकाकरण से इंकार कर दिया.
क्या कहते हैं चिकित्सा प्रभारी
इस पूरे मामले पर जब जाले रेफरल अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ. गंगेश झा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 40 लोगों की मौत और 200 से ज्यादा लोगों के बीमार होने की सूचना अब तक मुखिया ने उन्हें नहीं दी है. उन्होंने कहा कि कुम्हरौली और आसपास के लोग मेडिकल जांच और टीकाकरण में सहयोग नहीं करते हैं. चिकित्सा प्रभारी ने कहा कि अहिल्या स्थान एपीएचसी में टीकाकरण का काम किया जा रहा है. लेकिन उस इलाके के लोग टीकाकरण कराने में रुचि नहीं लेते हैं और वहां आते ही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक कि जब गांव में मेडिकल टीम भेजी जाती है तो लोग उसे देखते ही भाग खड़े होते हैं और जांच भी नहीं कराते हैं. चिकित्सा प्रभारी ने कहा कि ऐसे में भला डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी क्या कर सकते हैं.
बिहार के इन गांवों में कोरोना का कहर
- बांका के शंभूगंज थाना क्षेत्र के गढ़ी मोहनपुर गांव में एक सप्ताह के अंदर संदेहास्पद स्थिति में पांच लोगों की मौत हो गई है और कई पीड़ित हैं. इसको लेकर क्षेत्र में दहशत का माहौल है.
- कैमूर की लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने ट्वीट किया था कि कोरोना के दूसरे स्ट्रेन में उनके गांव (जंदाहा) में 7 लोगों की मौत हो गई है.
- कोरोना संक्रमण की वजह से मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के सरमस्तपुर पंचायत में पिछले 26 दिनों में 37 लोगों की मौत हो चुकी है.
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