दरभंगा: समस्तीपुर (Samastipur) और दरभंगा (Darbhanga) जिले के तीन प्रखंडों की सीमा को जोड़ने वाली बागमती नदी (Bagmati River) पर नेयाम गांव के पास करोड़ों रुपए की लागत से बना हाईलेवल आरसीसी पुल (RCC Bridge) एप्रोच रोड के बिना करीब 6 सालों से हाथी का सफेद दांत साबित हो रहा है. एप्रोच पथ नहीं बनने के कारण आवाजाही के लिए नाव ही एकमात्र सहारा होता है.
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करीब 23 करोड़ की लागत से बने इस पुल के चालू हो जाने से इलाके के दो लाख से ज्यादा की आबादी लाभान्वित होगी. ग्रामीणों की माने तो एप्रोच रोड के लिए बिना भूमि अधिग्रहण किए ही संवेदक ने जमीन मालिक को सरकारी स्तर से मुआवजा दिलाने का आश्वासन देकर मिट्टी भराई का काम शुरु कर दिया था. लेकिन, मुआवजा मिलने में देरी होती देख ग्रामीणों के विरोध पर एप्रोच रोड में मिट्टी भराई का काम अवरुद्ध हो गया. जो आज तक अधूरा है.
ऐसी बात नहीं है कि इस बात की जानकारी इस क्षेत्र के सांसद, विधान परिषद और विधायक को नहीं है. लेकिन इसके बाद भी एप्रोच पथ का कार्य अटका हुआ है. यदि इस पुल का एप्रोच पथ बन गया होता तो बाढ़ प्रभावित हनुमाननगर प्रखंड के नेयाम छतौना पंचायत, हायाघाट प्रखंड के पश्चिमी विलासपुर पंचायत और कल्याणपुर प्रखंड के खरसंड पूर्वी के लोगों के साथ-साथ करीब ढाई लाख की आबादी को राहत मिलती.
बीते वर्ष बाढ़ के दौरान मौजूदा डीएम ने पुल के एप्रोच रोड को जल्द बनवाने का भरोसा दिया था. बावजूद इसके पुल से होकर आवागमन सुचारू रुप से चालू नहीं होने से क्षेत्र के लोगों में सरकार के प्रति असंतोष की भावना पनपने लगी है. पुल के प्रति लचर रवैया के चलती ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी जताई.
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आक्रोशित लोगों का कहना है कि यदि एप्रोच रोड बना रहता तो साल 2017, 2019 और 2020 के भीषण बाढ़ में यह पुल बाढ़ से विस्थापित लोगों के लिए संजीवनी का काम करता. सरकारी लापरवाही और राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण अभी तक एप्रोच रोड का काम शुरु नहीं हो पाया है.