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87 साल बाद एक हुई दो भागों में बटी मिथिला, नए कोसी रेलपुल से जुड़े दरभंगा और सहरसा, बरसात के पहले शुरू होगी पैसेंजर ट्रेन सेवा - कोसी रेल पुल पर परिचालन

शनिवार का दिन मिथिला के दोनों भागों के लिए बेहद खास रहा. 87 साल से दो भागों में बटी हुई मिथिला को भारतीय रेल ने एक बार फिर से जोड़ दिया. कोसी पर बने नए रेल पुल पर पहली बार ट्रेन का परिचालन किया गया. पूर्व मध्य रेलवे के जीएम ने सहरसा से दरभंगा तक इसी रेल रूट से सफर तय किया. उन्होंने इस मौके पर कहा अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो बरसात से पहले सहरसा और दरभंगा के बीच इस रूट पर पैसेंजर रेल सेवा बहाल कर दी जाएगी.

दरभंगा
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Published : Mar 14, 2021, 3:33 AM IST

दरभंगा: शनिवार यानि 13 मार्च को 87 साल बाद एक बार फिर भारतीय रेल दो भागों में विभाजित मिथिला को एक कर दिया. सन् 1934 के 15 जनवरी को बिहार में आए विनाशकारी भूकंप ने न सिर्फ हजारों लोगों की जाने ली थी, बल्कि उसने मिथिला क्षेत्र को भी दो भागों में बांट दिया था. जिसके चलते दरभंगा-मधुबनी का सहरसा, सुपौल और पूर्णिया से सीधा संपर्क खत्म हो गया था.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: 87 साल बाद कोसी से मिथिलांचल के लिए दौड़ी ट्रेन, बांग्लादेश से भी सीधे व्यापार का खुला रास्ता

मिथिला के दोनों भागों में हमेशा रहा गहरा संबंध
अब शनिवार को जब पूर्व मध्य रेलवे के जीएम ललित चंद्र सहरसा से कोसी पर बने नव निर्मित पुल से होते हुए दरभंगा पहुंचे तो मानों 87 साल के सफर को भारतीय रेल ने अब जाकर पूरा किया हो. इस मौके पर स्थानीय लोगों ने कहा कि यह मिथिला के लिए बेहद ही खुशी का दिन है. स्थानीय कहते हैं कि मिथिला के दोनों भागों का हमेशा बेटी-रोटी का संबंध रहा है. भूकंप के बाद दरभंगा का पूर्णिया और सहरसा से सीधा संपर्क टूट गया था. रेल सेवा के बहाल हो जाने से न सिर्फ दूरी घटेगी, ब्लकि व्यापार को भी सुगम और सस्ता रास्ता मिलेगा.

सांसद ने जताया पीएम का आभार
इस मौके पर बीजेपी सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा कि 87 साल बाद कोसी पर दोबारा नया रेल पुल बना है और दो भागों में बटी मिथिला एक हो गई है. उन्होंने कहा कि वे इसके लिए भारत सरकार और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिथिला के लोगों की ओर से धन्यवाद देते हैं. वहीं, पूर्व मध्य रेलवे के जीएम ने कहा कि पुल के बन जाने से लोगों को काफी सुविधा होगी. वहीं, दरभंगा और सहरसा के बीच दूरी भी घटेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस रूट पर माल गाड़ियों का परिचालन तुरंत शुरू कर दिया जाएगा. वहीं, सहरसा और दरभंगा के बीच ट्रेनों का परिचालन बरसात से पहले शुरू हो जाएगा.

1934 में भूकंप के बाद से टूटा था संपर्क
87 साल पहले 1934 में आए बिहार में भूकंप के कारण सुपौल में छोटी लाइन की पटरी ध्वस्त हो गई थी. इस कारण निर्मली-सरायगढ़ के बीच ट्रेन सेवा बंद हो गई थी. आमान परिवर्तन के बाद इस रूट पर फिर से रेल सेवा बहाल हो गई है. बता दें कि 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली महाविद्यालय से कोसी नदी पर महासेतु का शिलान्यास किया था.

दरभंगा: शनिवार यानि 13 मार्च को 87 साल बाद एक बार फिर भारतीय रेल दो भागों में विभाजित मिथिला को एक कर दिया. सन् 1934 के 15 जनवरी को बिहार में आए विनाशकारी भूकंप ने न सिर्फ हजारों लोगों की जाने ली थी, बल्कि उसने मिथिला क्षेत्र को भी दो भागों में बांट दिया था. जिसके चलते दरभंगा-मधुबनी का सहरसा, सुपौल और पूर्णिया से सीधा संपर्क खत्म हो गया था.

देखें रिपोर्ट

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मिथिला के दोनों भागों में हमेशा रहा गहरा संबंध
अब शनिवार को जब पूर्व मध्य रेलवे के जीएम ललित चंद्र सहरसा से कोसी पर बने नव निर्मित पुल से होते हुए दरभंगा पहुंचे तो मानों 87 साल के सफर को भारतीय रेल ने अब जाकर पूरा किया हो. इस मौके पर स्थानीय लोगों ने कहा कि यह मिथिला के लिए बेहद ही खुशी का दिन है. स्थानीय कहते हैं कि मिथिला के दोनों भागों का हमेशा बेटी-रोटी का संबंध रहा है. भूकंप के बाद दरभंगा का पूर्णिया और सहरसा से सीधा संपर्क टूट गया था. रेल सेवा के बहाल हो जाने से न सिर्फ दूरी घटेगी, ब्लकि व्यापार को भी सुगम और सस्ता रास्ता मिलेगा.

सांसद ने जताया पीएम का आभार
इस मौके पर बीजेपी सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा कि 87 साल बाद कोसी पर दोबारा नया रेल पुल बना है और दो भागों में बटी मिथिला एक हो गई है. उन्होंने कहा कि वे इसके लिए भारत सरकार और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिथिला के लोगों की ओर से धन्यवाद देते हैं. वहीं, पूर्व मध्य रेलवे के जीएम ने कहा कि पुल के बन जाने से लोगों को काफी सुविधा होगी. वहीं, दरभंगा और सहरसा के बीच दूरी भी घटेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस रूट पर माल गाड़ियों का परिचालन तुरंत शुरू कर दिया जाएगा. वहीं, सहरसा और दरभंगा के बीच ट्रेनों का परिचालन बरसात से पहले शुरू हो जाएगा.

1934 में भूकंप के बाद से टूटा था संपर्क
87 साल पहले 1934 में आए बिहार में भूकंप के कारण सुपौल में छोटी लाइन की पटरी ध्वस्त हो गई थी. इस कारण निर्मली-सरायगढ़ के बीच ट्रेन सेवा बंद हो गई थी. आमान परिवर्तन के बाद इस रूट पर फिर से रेल सेवा बहाल हो गई है. बता दें कि 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली महाविद्यालय से कोसी नदी पर महासेतु का शिलान्यास किया था.

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