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दरभंगा में शिक्षकों का एक दिवसीय धरना, कहा- मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी शिक्षकों को न सौंपे सरकार

दरभंगा में शिक्षकों ने दो सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना (Darbhanga Teachers Protest) दिया. धरना देने वाले शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूल में मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में कमी हो रही है. पढ़ें पूरी खबर...

Teachers protest in Darbhanga
Teachers protest in Darbhanga
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Published : Dec 29, 2021, 6:28 PM IST

दरभंगा: बिहार के दरभंगा में टीचर क्लब के तत्वाधान में शिक्षकों ने दो सूत्री मांगों को लेकर समाहरणालय स्थित धरनास्थल पर (Teachers Protest In Darbhanga) एक दिवसीय धरना दिया. धरना देने वाले शिक्षकों ने प्रधानाध्यापकों को मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी से दूर करने और शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.

यह भी पढ़ें - छठे चरण में चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को 25 फरवरी को मिलेगा नियुक्ति पत्र

प्रदर्शनकारी शिक्षक मनोज कुमार ने कहा कि मध्याह्न भोजन की सारी जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक के सिर पर थोप दिया जाता है. इसके कारण जिले के सभी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी होती जा रही है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार भी हम शिक्षकों को शोषित करता आ रहा है. शिक्षक को सिर्फ शिक्षण का काम दिया जाए, ताकि शिक्षकों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को दिया जा सके.

देखें वीडियो

शिक्षक मनोज ने कहा कि हम लोगों को शिक्षा से ज्यादा दफ्तरों की भागदौड़ और उसके सवाल जवाब के चक्कर में समय बीत जाता है. इसके चलते शिक्षक हमेशा से पिसते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी सरकार शिक्षकों के हाथ ना सौंपे, तभी शिक्षक अपने शिक्षण संस्थान और शिक्षा पर पूर्ण समय दे पाएंगे.

यह भी पढ़ें - बहाली को लेकर एसटीईटी उतीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन, पुलिस ने खदेड़ा

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दरभंगा: बिहार के दरभंगा में टीचर क्लब के तत्वाधान में शिक्षकों ने दो सूत्री मांगों को लेकर समाहरणालय स्थित धरनास्थल पर (Teachers Protest In Darbhanga) एक दिवसीय धरना दिया. धरना देने वाले शिक्षकों ने प्रधानाध्यापकों को मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी से दूर करने और शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.

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प्रदर्शनकारी शिक्षक मनोज कुमार ने कहा कि मध्याह्न भोजन की सारी जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक के सिर पर थोप दिया जाता है. इसके कारण जिले के सभी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी होती जा रही है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार भी हम शिक्षकों को शोषित करता आ रहा है. शिक्षक को सिर्फ शिक्षण का काम दिया जाए, ताकि शिक्षकों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को दिया जा सके.

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शिक्षक मनोज ने कहा कि हम लोगों को शिक्षा से ज्यादा दफ्तरों की भागदौड़ और उसके सवाल जवाब के चक्कर में समय बीत जाता है. इसके चलते शिक्षक हमेशा से पिसते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी सरकार शिक्षकों के हाथ ना सौंपे, तभी शिक्षक अपने शिक्षण संस्थान और शिक्षा पर पूर्ण समय दे पाएंगे.

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