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मिथिला की संस्कृति को सम्मान: LNMU के दीक्षांत समारोह में मालवीय पगड़ी की जगह पाग पहने दिखेंगे छात्र - Convocation on November 12 at LNMU

एमएसयू के विवि अध्यक्ष अमन सक्सेना ने कहा कि पाग हमारा परिधान ही नहीं बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक की पहचान भी है. विवि में बड़े से बड़े अतिथि आते हैं तो उन्हें पाग-चादर से सम्मानित किया जाता है.

ललित नारायण मिथिला विश्वद्यालय
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Published : Sep 20, 2019, 9:16 PM IST

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का 10वां दीक्षांत समारोह 12 नवंबर को आयोजित होगा. छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि मिथिला के लोगों के लिए भी यह बेहद खास मौका होगा. इस बार उपाधि ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राएं मालवीय पगड़ी के बजाए मिथिला पाग पहने नजर आएंगे.

लंबी लड़ाई के बाद मिली कामयाबी
पाग को दीक्षांत समारोह का परिधान बनाने के लिए मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन ने दो साल की लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद यह कामयाबी उन्हें मिली है. एमएसयू ने इस जीत को मिथिला के लोगों और अपने दिवंगत सदस्यों को समर्पित किया है.

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ललित नारायण मिथिला विश्वद्यालय

पाग मिथिला की सांस्कृतिक की पहचान
एमएसयू के विवि अध्यक्ष अमन सक्सेना ने कहा कि पाग हमारा परिधान ही नहीं बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक की पहचान भी है. विवि में बड़े से बड़े अतिथि आते हैं तो उन्हें पाग-चादर से सम्मानित किया जाता है. लेकिन, अपने ही विवि के दीक्षांत समारोह में इससे छात्रों को वंचित रखा जाता था.

lnmu
एलएनएमयू के छात्र

राजभवन का जताया आभार
विवि अध्यक्ष अमन सक्सेना ने कहा कि एमएसयू की दो साल की लंबी लड़ाई के बाद मिली यह जीत मिथिला के लोगों और एमएसयू के दिवंगत साथी सुधांशु कर्ण और शंकर कुमार को समर्पित है. उन्होंने इसके लिए विवि प्रशासन और राजभवन का भी आभार जताया.

पेश है एक रिपोर्ट

2017 में भारतीय परिधान का शुरू हुआ था चलन
बता दें कि वर्ष 2017 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सभी विवि में दीक्षांत समारोह में अंग्रेजी गाउन की जगह भारतीय परिधान का चलन शुरू किया था. इसके तहत ही सिर पर मालवीय पगड़ी पहनने का नियम बना. तब से मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन एलएनएमयू में मालवीय पगड़ी की जगह मिथिला पाग को दीक्षांत समारोह में शामिल किये जाने के लिए आंदोलन चला रहा था.

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का 10वां दीक्षांत समारोह 12 नवंबर को आयोजित होगा. छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि मिथिला के लोगों के लिए भी यह बेहद खास मौका होगा. इस बार उपाधि ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राएं मालवीय पगड़ी के बजाए मिथिला पाग पहने नजर आएंगे.

लंबी लड़ाई के बाद मिली कामयाबी
पाग को दीक्षांत समारोह का परिधान बनाने के लिए मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन ने दो साल की लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद यह कामयाबी उन्हें मिली है. एमएसयू ने इस जीत को मिथिला के लोगों और अपने दिवंगत सदस्यों को समर्पित किया है.

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ललित नारायण मिथिला विश्वद्यालय

पाग मिथिला की सांस्कृतिक की पहचान
एमएसयू के विवि अध्यक्ष अमन सक्सेना ने कहा कि पाग हमारा परिधान ही नहीं बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक की पहचान भी है. विवि में बड़े से बड़े अतिथि आते हैं तो उन्हें पाग-चादर से सम्मानित किया जाता है. लेकिन, अपने ही विवि के दीक्षांत समारोह में इससे छात्रों को वंचित रखा जाता था.

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एलएनएमयू के छात्र

राजभवन का जताया आभार
विवि अध्यक्ष अमन सक्सेना ने कहा कि एमएसयू की दो साल की लंबी लड़ाई के बाद मिली यह जीत मिथिला के लोगों और एमएसयू के दिवंगत साथी सुधांशु कर्ण और शंकर कुमार को समर्पित है. उन्होंने इसके लिए विवि प्रशासन और राजभवन का भी आभार जताया.

पेश है एक रिपोर्ट

2017 में भारतीय परिधान का शुरू हुआ था चलन
बता दें कि वर्ष 2017 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सभी विवि में दीक्षांत समारोह में अंग्रेजी गाउन की जगह भारतीय परिधान का चलन शुरू किया था. इसके तहत ही सिर पर मालवीय पगड़ी पहनने का नियम बना. तब से मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन एलएनएमयू में मालवीय पगड़ी की जगह मिथिला पाग को दीक्षांत समारोह में शामिल किये जाने के लिए आंदोलन चला रहा था.

Intro:दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विवि का 10वां दीक्षांत समारोह 12 नवंबर को आयोजित होगा। छात्र-छात्राओं के लिए ही नहीं बल्कि मिथिला के लोगों के लिए भी यह बेहद खास मौका होगा। इस बार उपाधि ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राएं मालवीय पगड़ी के बजाए मिथिला पाग पहने नजर आएंगे। पाग को दीक्षांत समारोह का परिधान बनाने के लिए मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन की दो साल लंबी लड़ाई के बाद ये कामयाबी मिली है। एमएसयू ने इस जीत को मिथिला के लोगों और अपने दिवंगत सदस्यों को समर्पित किया है।


Body:एमएसयू के विवि अध्यक्ष अमन सक्सेना ने कहा कि पाग हमारा परिधान ही नहीं बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान भी है। विवि में बड़े से बड़े अतिथि आते हैं तो उन्हें पाग-चादर से सम्मानित किया जाता है। लेकिन अपने ही विवि के दीक्षांत समारोह में इससे छात्रों को वंचित रखा जाता था। उन्होंने कहा कि एमएसयू की दो साल लंबी लड़ाई के बाद मिली यह जीत मिथिला के लोगों और एमएसयू के दिवंगत साथियों सुधांशु कर्ण व शंकर कुमार को समर्पित है। उन्होंने इसके लिए विवि प्रशासन और राजभवन का भी आभार जताया।


Conclusion:बता दें कि वर्ष 2017 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सभी विवि में दीक्षांत समारोह में अंग्रेज़ी गाउन की जगह भारतीय परिधान का चलन शुरू किया। इसके तहत सिर पर मालवीय पगड़ी पहनने का नियम बना। तब से मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन एलएनएमयू में मालवीय पगड़ी की जगह मिथिला पाग को दीक्षांत समारोह में शामिल किये जाने के लिए आंदोलन चला रहा था।

बाइट 1- अमन सक्सेना, विवि अध्यक्ष, एमएसयू
बाइट 2- प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह, कुलपति, एलएनएमयू

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
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