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दरभंगा में बढ़ा क्राइम का ग्राफ, लोग बोले- CM नीतीश कर रहे काम, अधिकारी कर रहे आराम - दरभंगा

'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में अपराध का ग्राफ नीचे उतर ही नहीं रहा है. आज हम बात कर रहे हैं दरभंगा की. यहां पिछले कुछ दिनों से अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. जिसके चलते लोगों में खौफ है.

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Published : Oct 19, 2019, 7:53 AM IST

दरभंगा: बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. प्रदेश में बढ़ते अपहरण, लूटपाट, हत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी भारत की टीम आम लोगों से बात कर रही है. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोलती है.

सिर्फ पटना, नालंदा, सुपौल, छपरा ही नहीं, बढ़ते अपराध से दरभंगा भी अछूता नहीं है. हाल ही में यहां हत्या, लूट, डकैती और दुष्कर्म की घटनाएं हुई हैं. लहेरियासराय में सरेआम युवक को गोली मार दी गयी. बिरौल में सीएसपी संचालक से लाखों की लूट की वारदात ने इलाके में दहशत का देखने को मिला. वहीं, मब्बी ओपी क्षेत्र में अपराधियों ने एक बिजली मिस्त्री को दिनदहाड़े घर से बुलाकर गोली मार दी.

4
स्थानीय

आलम यह है कि न्याय नहीं मिलने से परेशान एक शख्स ने एसएसपी ऑफिस के सामने आत्मदाह की कोशिश की. इन घटनाओं के बाद दरभंगा की जनता ने कानून व्यवस्था पर सरकार को खूब कोसा. किसी ने सुशासन बाबू को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया तो किसी ने पुलिस को.

दरभंगा से ईटीवी भारत के लिए विजय श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट

'पुलिस नहीं सुनती'
स्थानीय युवक की माने तो पुलिस किसी की नहीं सुनती. गरीब आदमी का केस नहीं लिया जाता. युवक की माने तो रोजाना खबरों में किसी न किसी की हत्या का जिक्र जरूर देखने को मिलता है. युवक ने कहा कि पुलिस और प्रशासन सभी बिके हुए हैं.

3
स्थानीय युवक

'राजनीतिक दबाव से बढ़ा अपराध'
एक अन्य युवक से जब बात की गई तो उसने कहा कि पहले तो कुछ हद तक नीतीश सरकार में अपराध कम हुआ था. लेकिन अब हालात बदतर हो गए हैं. राजनीतिक दबाव के चलते कहीं न कहीं पुलिस खुलकर काम नहीं कर पा रही है.

1
स्थानीय

भूमि माफियाओं से मिले हैं अधिकारी-स्थानीय
एक स्थानीय नागरिक का मानना है कि सीएम नीतीश कुमार तो अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन अधिकारी भू- माफिया से मिले हुए हैं. आसमाजिक तत्वों के साथ मिले हुए हैं. इसके चलते क्राइम कंट्रोल नहीं हो पा रहा है.

2
मुर्शीद आलम, अधिवक्ता

'क्राइम की वजह बेरोजगारी'
दरभंगा सिविल कोर्ट के वकील की माने तो बढ़ती बेरोजगारी क्राइम को बढ़ावा दे रही है. आज युवाओं को महंगे-महंगे फोन चाहिए. इसके चलते युवक क्राइम की ओर जा रहे हैं. अगर युवाओं के पास काम होगा, तो अपराध नहीं होंगे.

darbhanga crime
छात्रा

पॉवरफुल आदमी पर नहीं होती कार्रवाई-छात्रा
एलएमएनयू की छात्रा की माने तो सत्ताधारी लोग और पॉवरफुल आदमियों पर कार्रवाई नहीं की जाती. बड़ी-बड़ी पोस्ट पर बैठे लोग बड़ा जुर्म करते हैं और इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. वहीं, छात्रा ने कहा कि दुष्कर्म की वारदात के बाद अरोपियों को फांसी की सजा देना भी कम है.

sp darbhanga
एसपी सिटी, दरभंगा

क्या बोले सिटी एसपी...
सिटी एसपी योगेंद्र कुमार की माने तो जिले में अपराधियों की धर-पकड़ की जा रही है. पुलिस अलर्ट मोड पर है. उन्होंने कुछ मामलों के उद्धभेदन की बात भी कही. सिटी एसपी का कहना है कि अपराधियों पर पुलिस तत्काल कार्रवाई करती है.

बिहार का क्राइम रिपोर्ट
बिहार का क्राइम रिपोर्ट

बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?

दरभंगा: बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. प्रदेश में बढ़ते अपहरण, लूटपाट, हत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी भारत की टीम आम लोगों से बात कर रही है. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोलती है.

सिर्फ पटना, नालंदा, सुपौल, छपरा ही नहीं, बढ़ते अपराध से दरभंगा भी अछूता नहीं है. हाल ही में यहां हत्या, लूट, डकैती और दुष्कर्म की घटनाएं हुई हैं. लहेरियासराय में सरेआम युवक को गोली मार दी गयी. बिरौल में सीएसपी संचालक से लाखों की लूट की वारदात ने इलाके में दहशत का देखने को मिला. वहीं, मब्बी ओपी क्षेत्र में अपराधियों ने एक बिजली मिस्त्री को दिनदहाड़े घर से बुलाकर गोली मार दी.

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स्थानीय

आलम यह है कि न्याय नहीं मिलने से परेशान एक शख्स ने एसएसपी ऑफिस के सामने आत्मदाह की कोशिश की. इन घटनाओं के बाद दरभंगा की जनता ने कानून व्यवस्था पर सरकार को खूब कोसा. किसी ने सुशासन बाबू को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया तो किसी ने पुलिस को.

दरभंगा से ईटीवी भारत के लिए विजय श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट

'पुलिस नहीं सुनती'
स्थानीय युवक की माने तो पुलिस किसी की नहीं सुनती. गरीब आदमी का केस नहीं लिया जाता. युवक की माने तो रोजाना खबरों में किसी न किसी की हत्या का जिक्र जरूर देखने को मिलता है. युवक ने कहा कि पुलिस और प्रशासन सभी बिके हुए हैं.

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स्थानीय युवक

'राजनीतिक दबाव से बढ़ा अपराध'
एक अन्य युवक से जब बात की गई तो उसने कहा कि पहले तो कुछ हद तक नीतीश सरकार में अपराध कम हुआ था. लेकिन अब हालात बदतर हो गए हैं. राजनीतिक दबाव के चलते कहीं न कहीं पुलिस खुलकर काम नहीं कर पा रही है.

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स्थानीय

भूमि माफियाओं से मिले हैं अधिकारी-स्थानीय
एक स्थानीय नागरिक का मानना है कि सीएम नीतीश कुमार तो अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन अधिकारी भू- माफिया से मिले हुए हैं. आसमाजिक तत्वों के साथ मिले हुए हैं. इसके चलते क्राइम कंट्रोल नहीं हो पा रहा है.

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मुर्शीद आलम, अधिवक्ता

'क्राइम की वजह बेरोजगारी'
दरभंगा सिविल कोर्ट के वकील की माने तो बढ़ती बेरोजगारी क्राइम को बढ़ावा दे रही है. आज युवाओं को महंगे-महंगे फोन चाहिए. इसके चलते युवक क्राइम की ओर जा रहे हैं. अगर युवाओं के पास काम होगा, तो अपराध नहीं होंगे.

darbhanga crime
छात्रा

पॉवरफुल आदमी पर नहीं होती कार्रवाई-छात्रा
एलएमएनयू की छात्रा की माने तो सत्ताधारी लोग और पॉवरफुल आदमियों पर कार्रवाई नहीं की जाती. बड़ी-बड़ी पोस्ट पर बैठे लोग बड़ा जुर्म करते हैं और इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. वहीं, छात्रा ने कहा कि दुष्कर्म की वारदात के बाद अरोपियों को फांसी की सजा देना भी कम है.

sp darbhanga
एसपी सिटी, दरभंगा

क्या बोले सिटी एसपी...
सिटी एसपी योगेंद्र कुमार की माने तो जिले में अपराधियों की धर-पकड़ की जा रही है. पुलिस अलर्ट मोड पर है. उन्होंने कुछ मामलों के उद्धभेदन की बात भी कही. सिटी एसपी का कहना है कि अपराधियों पर पुलिस तत्काल कार्रवाई करती है.

बिहार का क्राइम रिपोर्ट
बिहार का क्राइम रिपोर्ट

बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?

Intro:दरभंगा। दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं की वजह से पूरा देश चिंतित है। सरकार के प्रयास से दुष्कर्म के दोषियों के लिए फांसी तक की सज़ा का कानून तो बना, लेकिन ऐसी घटनाओं में कमी नहीं आयी। आखिर इसकी क्या वजह है कि अपराधियों में फांसी का डर भी समाप्त हो गया और दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, इस मुद्दे पर ई टीवी भारत संवाददाता ने दरभंगा के विभिन्न वर्ग के लोगों से बात की। पेश है ये रिपोर्ट।


Body:एलएनएमयू की छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा कि देश में कड़े कानून तो जरूर बने हैं लेकिन हर अपराध की तरह दुष्कर्म के मामलों में भी रसूख वाले लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल कर के बच जाते हैं। कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते हैं। खास तौर पर राजनीतिज्ञ और बड़े पदों पर काबिज लोग दुष्कर्म जैसे अपराध करके भी आराम से घर पर रहते हैं। उन पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। सरकार को चाहिए कि सख्ती और ईमानदारी से कानून का पालन किया जाए। दुष्कर्मी को फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए।

मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़े छात्र नेता अमन सक्सेना ने कहा कि सबसे पहले तो अधिकतर दुष्कर्म की घटनाएं सामने आ ही नहीं पाती हैं। देश मे हर घंटे किसी न किसी बेटी-बहन की अस्मत लूटी जाती है। जो मामले प्रकाश में आते भी हैं उनमें रसूख वाले लोग लीपापोती करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को कानून में और बदलाव करना चाहिए। साथ ही सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के दोषी को 10 दिनों के भीतर फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए।

भाकपा माले नेता अभिषेक कुमार ने कहा कि हमारे समाज में आज भी दुष्कर्मी को कम और दुष्कर्म पीड़िता को ज्यादा दोषी माना जाता है। महिला क्या पहनती है और कैसे चलती है इस पर टिप्पणी होती है। इसी मानसिकता की वजह से दोषियों को बचने का पूरा मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करे कि हर दुष्कर्मी को सज़ा जरूर मिले। उन्होंने कहा कि फांसी का कानून बनने के बाद दुष्कर्म पीड़ित लड़की की हत्या तक कर दी जाती है। दुष्कर्म के आरोपी सांसद-विधायक को बचाने में पूरा तंत्र लग जाता है। उनका स्वागत होता है। उन्होंने दुष्कर्म पीड़िता को सुरक्षा और कानूनी सहायता दिलाने के अलावा दोषी को सज़ा की गारंटी की मांग की।



Conclusion:पत्रकार राकेश कुमार नीरज ने दुष्कर्म के मामले की जांच में ढिलाई और कोर्ट पर मुकदमों के बोझ को भी दुष्कर्मी को सज़ा न मिलने के लिए जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म बेहद संगीन मामला है लेकिन पुलिस दूसरे मामलों की तरह इसे भी लटका कर रखती है। समय पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं होती जिसकी वजह से दुष्कर्मी बच निकलते हैं। दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि कोर्ट में ऐसे मामले स्पीडी ट्रायल के तहत सूचीबद्ध नहीं हो पाते हैं जिसकी वजह से उनकी सुनवाई और फैसला सुनाने में देर होती है। इसकी वजह से पीड़िता को न्याय नहीं मिल पाता है। उन्होंने पुलिस और सरकार से इस रवैये में बदलाव की मांग की।

वहीं, दरभंगा सिविल कोर्ट के अधिवक्ता मुर्शीद आलम ने दुष्कर्म के मामलों में जांच एजेंसी की लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने दुष्कर्म के मामलों की जांच के लिए अलग से एजेंसी बनाने की मांग की जो केवल इन्हीं मामलों की जांच करे। उन्होंने कहा कि इस एजेंसी में केवल महिला अधिकारी ही होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट बनाने और उनमें केवल महिला जज की नियुक्ति का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए जिसमें पीड़िता को उसके अधिकारों की जानकारी हो साथ ही अपराधियों को भी पता चले कि कितनी कड़ी सजा का प्रावधान है। उन्होंने दुष्कर्मी को कड़ी सजा की मांग की।

प्लंबर के सामान का व्यवसाय करने वाले सुनील कुमार सिंह ने कहा कि दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के लिए मोबाइल संस्कृति काफी हद तक जिम्मेवार है। लड़के और लड़कियां दोनों खुली संस्कृति की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। बड़े शहरों की बात कौन करे छोटे कस्बों में भी अपसंस्कृति हावी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि देश मे दुष्कर्म की सज़ा के लिए कड़े कानून तो बने हैं लेकिन उनका कड़ाई से पालन नहीं होता है। सरकार को ऐसे मामलों में कानून के पालन की गारंटी सुनिश्चित करनी चाहिए। इसमें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।


बाइट 1- प्रियंका कुमारी, छात्रा, एलएनएमयू.
बाइट 2- अमन सक्सेना, छात्र नेता, एमएसयू.
बाइट 3- अभिषेक कुमार, भाकपा माले नेता.
बाइट 4- राकेश कुमार नीरज, पत्रकार.
बाइट 5- मुर्शीद आलम, अधिवक्ता, दरभंगा सिविल कोर्ट.
बाइट 6- सुनील कुमार सिंह, व्यवसायी.


विजय कुमार श्रीवास्तव
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