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फिर टला संस्कृत विवि प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला, 26 मार्च को होगा निर्णय

दरभंगा के कामेश्व सिंह संस्कृत विवि में प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला एक बार फिर टल गया है. सिंडिकेट की बैठक के बाद होगा पैसला. 26 मार्च को होगी बैठक.

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि
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Published : Mar 20, 2019, 2:59 PM IST

दरभंगा: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के 23 कॉलेजों और पीजी विभागों के प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला एक बार फिर टल गया है. मंगलवार को सिंडिकेट की बैठक में इस पर फैसला होना था. लेकिन सिंडिकेट ने सभी प्राचार्यों से कार्रवाई के पहले स्पष्टीकरण का फैसला किया है. 26 मार्च को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा. पटना हाई कोर्ट ने विवि को इन सभी प्राचार्यों पर कार्रवाई के लिये 9 अप्रैल की डेडलाइन तय की है।


सामान्य जस्टिस का मांगा स्प्ष्टीकरण

विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि प्राचार्यों की नियुक्ति सिंडिकेट ने की थी. सिंडिकेट ने सामान्य जस्टिस के तहत इनसे स्पष्टीकरण मांगने का फैसला किया है. हालांकि पिछले 9 सालों में जांच के दौरान इनकी स्पष्टीकरण की मांग नहीं होने परकुलपति कोई स्पष्ट जवाब देने से कतरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट ने 9 अप्रैल तक कार्रवाई करने का आदेश दिया है. वहीं विवि तय समय सेपहले कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट को सौंप देगा.

दरभंगा संस्कृत विवि एवं प्रो. सर्व नारायण झा मीडिया से बातचीक करते हुए

राजभवन मेंकी थी शिकायत

बता दें कि सभी23 प्राचार्यों की नियुक्ति में धांधली की शिकायत एसएफआई के तत्कालीन जिलाध्यक्ष समरेंद्र कुमार सुधांशु ने की थी. उन्होंने विवि और राजभवन को लिखित शिकायत के साथ कई प्रमाण भी उपलब्ध कराए थे. इनमें फर्जीप्रमाण पत्र, बिना सही प्रक्रिया के नियुक्ति और नियुक्ति में पैसों का खेल की शिकायत की थी.बाद में राजभवन ने मामले की जांच के लिये एक समिति बनायी थी. जांच समिति ने भी आरोपों को सही पाया है.

पटना हाईकोर्ट में मामला

हालांकि बाद में मामला हाई कोर्ट में गया. हाई कोर्ट ने भी नियुक्ति में फर्जीवाड़ा के आरोपों को सही ठहराया है. कोर्ट ने विवि को 9 अप्रैल तक कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.

दरभंगा: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के 23 कॉलेजों और पीजी विभागों के प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला एक बार फिर टल गया है. मंगलवार को सिंडिकेट की बैठक में इस पर फैसला होना था. लेकिन सिंडिकेट ने सभी प्राचार्यों से कार्रवाई के पहले स्पष्टीकरण का फैसला किया है. 26 मार्च को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा. पटना हाई कोर्ट ने विवि को इन सभी प्राचार्यों पर कार्रवाई के लिये 9 अप्रैल की डेडलाइन तय की है।


सामान्य जस्टिस का मांगा स्प्ष्टीकरण

विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि प्राचार्यों की नियुक्ति सिंडिकेट ने की थी. सिंडिकेट ने सामान्य जस्टिस के तहत इनसे स्पष्टीकरण मांगने का फैसला किया है. हालांकि पिछले 9 सालों में जांच के दौरान इनकी स्पष्टीकरण की मांग नहीं होने परकुलपति कोई स्पष्ट जवाब देने से कतरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट ने 9 अप्रैल तक कार्रवाई करने का आदेश दिया है. वहीं विवि तय समय सेपहले कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट को सौंप देगा.

दरभंगा संस्कृत विवि एवं प्रो. सर्व नारायण झा मीडिया से बातचीक करते हुए

राजभवन मेंकी थी शिकायत

बता दें कि सभी23 प्राचार्यों की नियुक्ति में धांधली की शिकायत एसएफआई के तत्कालीन जिलाध्यक्ष समरेंद्र कुमार सुधांशु ने की थी. उन्होंने विवि और राजभवन को लिखित शिकायत के साथ कई प्रमाण भी उपलब्ध कराए थे. इनमें फर्जीप्रमाण पत्र, बिना सही प्रक्रिया के नियुक्ति और नियुक्ति में पैसों का खेल की शिकायत की थी.बाद में राजभवन ने मामले की जांच के लिये एक समिति बनायी थी. जांच समिति ने भी आरोपों को सही पाया है.

पटना हाईकोर्ट में मामला

हालांकि बाद में मामला हाई कोर्ट में गया. हाई कोर्ट ने भी नियुक्ति में फर्जीवाड़ा के आरोपों को सही ठहराया है. कोर्ट ने विवि को 9 अप्रैल तक कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.

Intro:दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के 23 कॉलेजों और पीजी विभागों के प्राचार्यों की बर्खास्तगी का मामला एक बार फिर टल गया है। मंगलवार को सिंडिकेट की बैठक में इस पर फ़ैसला होना था, लेकिन सिंडिकेट ने सभी प्राचार्यों से कार्रवाई के पहले स्पष्टीकरण मांगने का फैसला किया। अब 26 मार्च को होने वाली सिंडिकेट की बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा। पटना हाई कोर्ट ने विवि को इन सभी प्राचार्यों पर कार्रवाई के लिये 9 अप्रैल की डेडलाइन तय की है।





Body:विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि प्राचार्यों की नियुक्ति सिंडिकेट ने की थी। सिंडिकेट ने नेचुरल जस्टिस के तहत इनसे स्पष्टीकरण मांगने का फैसला किया है। यह पूछने पर कि पिछले 9 साल में जांच के दौरान क्या इनसे स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया था, कुलपति कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाये। उन्होंने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट ने 9 अप्रैल तक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। विवि तय समय के पहले कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट को सौंप देगा।


Conclusion:बता दें कि इन सभी 23 प्राचार्यों की नियुक्ति में धांधली की शिकायत एसएफआई के तत्कालीन जिलाध्यक्ष समरेंद्र कुमार सुधांशु ने की थी। उन्होंने विवि और राजभवन को लिखित शिकायत के साथ कई प्रमाण भी उपलब्ध कराए थे। इनमे फ़र्ज़ी प्रमाण पत्र, बिना सही प्रक्रिया के नियुक्ति और नियुक्ति में पैसों का खेल की शिकायत की थी। बाद में राजभवन ने मामले की जांच के लिये एक समिति बनायी थी। जांच समिति ने भी आरोपों को सही पाया। उसके बाद मामला हाई कोर्ट में गया। हाई कोर्ट ने भी नियुक्ति में फर्जीवाड़ा के आरोप को सही पाया। कोर्ट ने विवि को 9 अप्रैल तक कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।


बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएसडीएसयू


विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
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