दरभंगा: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की सीनेट की वार्षिक बैठक में जमकर हंगामा हुआ. दरअसल, कुछ सदस्यों ने मंच पर लोगों के बैठने की व्यवस्था को दोषपूर्ण बताते हुए सवाल खड़ा किए. जिसके बाद जब इस मुद्दे पर कुलपति बोलने के लिए खड़े हुए तो सदस्य आपस में ही उलझ गए.
घंटों बाधित रही कार्यवाही
हंगामे के दौरान सदन की कार्यवाही काफी देर तक बाधित रही. वहीं, हंगामा शांत होने के बाद विवि के साल 2020-21 का घाटे का बजट पेश किया गया. जिसको सभी सदस्यों ने अपनी मंजूरी दी.
'5 अरब 91 करोड़ का घाटा'
विवि के बजट के बारे में कुलानुशासक प्रो. श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि सीनेट की बैठक में साल 2020-21 के लिए जो बजट पेश किया गया. जिसमें 5 अरब 94 करोड़ 5 लाख 56 हज़ार 676 रुपये का व्यय है. जबकि विवि को 2 करोड़ 61 लाख 23 हजार 1 सौ रुपये की आय का अनुमान है. इस बजट में कुल 5 अरब 91 करोड़ 44 लाख 33 हजार रुपये का घाटा दिखाया गया है. घाटे की पूर्ति राज्य अनुदान और आंतरिक स्रोत से की जाएगी.
संस्कृत में पीएचडी स्तर तक होती है पढ़ाई
गौरतलब है कि संस्कृत विवि बिहार में प्राच्य विद्या अध्ययन का एकमात्र उच्च शिक्षा केंद्र है. इसकी स्थापना 26 जनवरी 1961 को दरभंगा महाराज सर कामेश्वर सिंह ने की थी. यहां संस्कृत के 6 संकायों में पीएचडी स्तर तक की पढ़ाई होती है. पूरे प्रदेशभर में 37 अंगीभूत संस्कृत कॉलेज इसके क्षेत्राधिकार में आते हैं.