दरभंगा: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave) ने पूरे देश में कहर बरपाया. बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System) की तस्वीर को पूरे देश और विश्व ने देखा. बद से बदतर हो चुकी स्वास्थ्य व्यस्था की सबसे अधिक पोल राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों ( Primary Health System ) की दशा ने खोली है. कहीं इन अस्पतालों की भवन जर्जर हैं, कहीं दुकानों में पीएचसी चल रहा है, तो कहीं उद्घाटन के बाद से अब तक ताले लटके हुए हैं.
बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की एक और तस्वीर दरभंगा (Darbhanga) से सामने आयी है. दरभंगा शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर भालपट्टी पंचायत में 2 साल पहले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. लेकिन बनने के बाद से अब तक यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू नहीं हो सका. इसकी वजह से इसके परिसर में झाड़ियां उग आई हैं. लोग अब इसका इस्तेमाल खुले में शौच के लिए करने लगे हैं. इस वजह से सरकार ( Government ) के प्रति लोगों में गहरा आक्रोश है.
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अगर पीएचसी खुला रहता तो बच सकती थी जान
स्थानीय वरुण कुमार झा ने कहा कि जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर यह पंचायत है. इसी वजह से यहां यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. जिससे अगल-बगल की कई पंचायतों के लोगों को लाभ मिलता. उन्होंने कहा कि बनने के बाद से अब तक इसे चालू नहीं किया गया. इसकी वजह से आज तक छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को 30 किलोमीटर दूर चलकर दरभंगा जिला मुख्यालय या फिर पड़ोसी जिले मधुबनी (Madhubani) के अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं. कोरोना महामारी के दौरान गांव के 4 लोगों की जान चली गई. अगर यह अस्पताल चालू रहता तो लोगों की जानें बच सकती थीं.
'सवारी करके मरीज को ले जाना पड़ता है. अगर तत्काल इसे चालू कराया जाता तो स्वास्थ्य सुविधा मुहैया होता. मेरी नजर इलाज के अभाव में चार मरीज मर गये'.- वरूण झा, स्थानीय
उद्घाटन के बाद से ही बंद है पीएचसी
वहीं, स्थानीय उदय चौधरी ने कहा कि ग्रामीणों को आज तक यह नहीं पता चला कि इस अस्पताल में डॉक्टरों ( Doctors ) या स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती की गई है या नहीं. उन्होंने कहा कि पीएचसी बनने के बाद से अब तक इसका ताला ही नहीं खुला है. इसके भवन कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं. खिड़कियों के शीशे टूट गये हैं.
पीएचसी परिसर में गंदगियों का अंबार
स्थानीय गंगा यादव कहते हैं केवल ठेकेदारों ( Contractors ) के कमाने के लिए इस भवन को बना दिया गया. न तो यहां अब तक कोई डॉक्टर आया और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से यह भवन और परिसर बेकार पड़ा है. यहां जंगल उग आए हैं. उन्होंने कहा कि यहां गंदगी और बदबू से जीना मुहाल है. लोग इस परिसर का इस्तेमाल खुले में शौच के लिए कर रहे हैं.
'छोटी-छोटी दवाओं के लिये दरभंगा जाना पड़ता है. यहां न डॉक्टर है न कोई और स्वास्थ्य कर्मी. अगर यह स्वास्थ्य केंद्र चालू हो जाए तो पंचायत का भला होगा'.- गंगा यादव, स्थानीय
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