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Darbhanga News: इलाज के लिए नहीं खुले में शौच के लिये PHC पहुंचते हैं ग्रामीण! उद्घाटन के बाद से ही लटका है ताला - posting of doctors

जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर भालपट्टी पंचायत से बदहाल ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर सामने आयी है. भालपट्टी पंचायत स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दो साल पहले उद्घाटन हुआ था. हैरानी की बात तो यह है कि उद्घाटन के बाद से अब तक पीएचसी बंद पड़ा हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

दरभंगा
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Published : Jun 20, 2021, 9:06 AM IST

Updated : Jun 20, 2021, 11:17 AM IST

दरभंगा: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave) ने पूरे देश में कहर बरपाया. बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System) की तस्वीर को पूरे देश और विश्व ने देखा. बद से बदतर हो चुकी स्वास्थ्य व्यस्था की सबसे अधिक पोल राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों ( Primary Health System ) की दशा ने खोली है. कहीं इन अस्पतालों की भवन जर्जर हैं, कहीं दुकानों में पीएचसी चल रहा है, तो कहीं उद्घाटन के बाद से अब तक ताले लटके हुए हैं.

बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की एक और तस्वीर दरभंगा (Darbhanga) से सामने आयी है. दरभंगा शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर भालपट्टी पंचायत में 2 साल पहले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. लेकिन बनने के बाद से अब तक यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू नहीं हो सका. इसकी वजह से इसके परिसर में झाड़ियां उग आई हैं. लोग अब इसका इस्तेमाल खुले में शौच के लिए करने लगे हैं. इस वजह से सरकार ( Government ) के प्रति लोगों में गहरा आक्रोश है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: बोले पंचायती राज मंत्री - 'जिसने कोरोना का टीका नहीं लिया वो नहीं लड़ सकता चुनाव'

अगर पीएचसी खुला रहता तो बच सकती थी जान
स्थानीय वरुण कुमार झा ने कहा कि जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर यह पंचायत है. इसी वजह से यहां यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. जिससे अगल-बगल की कई पंचायतों के लोगों को लाभ मिलता. उन्होंने कहा कि बनने के बाद से अब तक इसे चालू नहीं किया गया. इसकी वजह से आज तक छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को 30 किलोमीटर दूर चलकर दरभंगा जिला मुख्यालय या फिर पड़ोसी जिले मधुबनी (Madhubani) के अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं. कोरोना महामारी के दौरान गांव के 4 लोगों की जान चली गई. अगर यह अस्पताल चालू रहता तो लोगों की जानें बच सकती थीं.

दो साल पहले हुआ था उद्घाटन
दो साल पहले हुआ था उद्घाटन

'सवारी करके मरीज को ले जाना पड़ता है. अगर तत्काल इसे चालू कराया जाता तो स्वास्थ्य सुविधा मुहैया होता. मेरी नजर इलाज के अभाव में चार मरीज मर गये'.- वरूण झा, स्थानीय

उद्घाटन के बाद से ही बंद है पीएचसी
वहीं, स्थानीय उदय चौधरी ने कहा कि ग्रामीणों को आज तक यह नहीं पता चला कि इस अस्पताल में डॉक्टरों ( Doctors ) या स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती की गई है या नहीं. उन्होंने कहा कि पीएचसी बनने के बाद से अब तक इसका ताला ही नहीं खुला है. इसके भवन कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं. खिड़कियों के शीशे टूट गये हैं.

पीएचसी परिसर में गंदगियों का अंबार
स्थानीय गंगा यादव कहते हैं केवल ठेकेदारों ( Contractors ) के कमाने के लिए इस भवन को बना दिया गया. न तो यहां अब तक कोई डॉक्टर आया और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से यह भवन और परिसर बेकार पड़ा है. यहां जंगल उग आए हैं. उन्होंने कहा कि यहां गंदगी और बदबू से जीना मुहाल है. लोग इस परिसर का इस्तेमाल खुले में शौच के लिए कर रहे हैं.

परिसर में उग गये हैं जंगल
परिसर में उग गये हैं जंगल

'छोटी-छोटी दवाओं के लिये दरभंगा जाना पड़ता है. यहां न डॉक्टर है न कोई और स्वास्थ्य कर्मी. अगर यह स्वास्थ्य केंद्र चालू हो जाए तो पंचायत का भला होगा'.- गंगा यादव, स्थानीय

यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री जी, इन बदहाल पीएचसी के भरोसे जीतेंगे कोरोना से जंग ?

यह भी पढ़ें: दरभंगा: वीरान पड़े दरभंगा के 47 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जल्द होंगे चालू

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बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की एक और तस्वीर दरभंगा (Darbhanga) से सामने आयी है. दरभंगा शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर भालपट्टी पंचायत में 2 साल पहले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. लेकिन बनने के बाद से अब तक यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू नहीं हो सका. इसकी वजह से इसके परिसर में झाड़ियां उग आई हैं. लोग अब इसका इस्तेमाल खुले में शौच के लिए करने लगे हैं. इस वजह से सरकार ( Government ) के प्रति लोगों में गहरा आक्रोश है.

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अगर पीएचसी खुला रहता तो बच सकती थी जान
स्थानीय वरुण कुमार झा ने कहा कि जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर यह पंचायत है. इसी वजह से यहां यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. जिससे अगल-बगल की कई पंचायतों के लोगों को लाभ मिलता. उन्होंने कहा कि बनने के बाद से अब तक इसे चालू नहीं किया गया. इसकी वजह से आज तक छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को 30 किलोमीटर दूर चलकर दरभंगा जिला मुख्यालय या फिर पड़ोसी जिले मधुबनी (Madhubani) के अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं. कोरोना महामारी के दौरान गांव के 4 लोगों की जान चली गई. अगर यह अस्पताल चालू रहता तो लोगों की जानें बच सकती थीं.

दो साल पहले हुआ था उद्घाटन
दो साल पहले हुआ था उद्घाटन

'सवारी करके मरीज को ले जाना पड़ता है. अगर तत्काल इसे चालू कराया जाता तो स्वास्थ्य सुविधा मुहैया होता. मेरी नजर इलाज के अभाव में चार मरीज मर गये'.- वरूण झा, स्थानीय

उद्घाटन के बाद से ही बंद है पीएचसी
वहीं, स्थानीय उदय चौधरी ने कहा कि ग्रामीणों को आज तक यह नहीं पता चला कि इस अस्पताल में डॉक्टरों ( Doctors ) या स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती की गई है या नहीं. उन्होंने कहा कि पीएचसी बनने के बाद से अब तक इसका ताला ही नहीं खुला है. इसके भवन कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं. खिड़कियों के शीशे टूट गये हैं.

पीएचसी परिसर में गंदगियों का अंबार
स्थानीय गंगा यादव कहते हैं केवल ठेकेदारों ( Contractors ) के कमाने के लिए इस भवन को बना दिया गया. न तो यहां अब तक कोई डॉक्टर आया और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से यह भवन और परिसर बेकार पड़ा है. यहां जंगल उग आए हैं. उन्होंने कहा कि यहां गंदगी और बदबू से जीना मुहाल है. लोग इस परिसर का इस्तेमाल खुले में शौच के लिए कर रहे हैं.

परिसर में उग गये हैं जंगल
परिसर में उग गये हैं जंगल

'छोटी-छोटी दवाओं के लिये दरभंगा जाना पड़ता है. यहां न डॉक्टर है न कोई और स्वास्थ्य कर्मी. अगर यह स्वास्थ्य केंद्र चालू हो जाए तो पंचायत का भला होगा'.- गंगा यादव, स्थानीय

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Last Updated : Jun 20, 2021, 11:17 AM IST
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