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दरभंगा: NH और तटबंध बना बाढ़ पीड़ितों का आशियाना, राहत सामग्री का अभाव - administration

बाढ़ का पानी फैलने से लोगों का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. बाढ़ पीड़ित ऊंचे स्थानों पर शरण लिये हुए हैं. पीड़ित ने किसी तरह का कोई मदद नहीं मिलने का आरोप लगाया है. वहीं, एसडीओ ने बताया कि राहत और बचाव का कार्य किया जा रहा है.

एनएच पर अशियाना बनाये बाढ़ पीड़ित
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Published : Jul 18, 2019, 11:57 AM IST

दरभंगा: नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण अधवारा समूह की नदियों में उफान आ गया. इससे जिले में जगह-जगह पर तटबंध टूट गया. वहीं, जिले के 8 प्रखंडों में बाढ़ का पानी फैल जाने से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. लोग ऊंचे स्थान, तटबंध या फिर एनएच 57 पर अपने परिवार और मवेशियों के साथ पर शरण लिये हुए हैं. पीड़ित परिवारों ने जिला प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की मदद नहीं मिलने का आरोप लगाया है.

बाढ़ के बाद एनएच पर अशियाना बनाये बाढ़ पीड़ित

'सर छिपाने के लिए प्लास्टिक या तंबू नहीं'
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि तटबंध टूटने के बाद जल प्रलय के बीच किसी तरह जान बचाकर हमलोग बांध और ऊंचे स्थान पर आ गए. लेकिन सर छिपाने के लिए प्लास्टिक या तंबू नहीं है. साथ ही किसी तरह की कोई सुविधा भी नहीं है. प्रशासन की ओर से अब तक कोई मदद भी नहीं मिली है. ना हमारे खाने के लिए कुछ है ना ही पशुओं के लिए चारे का कोई इंतजाम.

etv bharat
गांव में भरा बाढ़ का पानी

बाढ़ पीड़ितों के बीच बांटा गया प्लास्टिक
मौके पर पहुंचे बिरौल के एसडीओ ब्रजकिशोर लाल ने कहा कि जो लोग विस्थापित होकर एनएच पर शरण लिये हुए हैं. बारिश का मौसम देखते हुए, उन लोगों के बीच प्लास्टिक शीट बांटे गये हैं. इसके अलावा इन लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही जो लोग अब भी बाढ़ में फंसे हुए हैं उसको बचाने के लिए रेस्क्यू किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से राहत शिविर चलाया जा रहा है. जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए रहने के साथ-साथ खाने और पीने की समुचित व्यवस्था की गई है. गौरतलब है कि राज्य के 12 जिलों के बाढ़ की चपेट में आने से 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. वहीं, 73 लोगों की डूबने से मौत हो गई है.

दरभंगा: नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण अधवारा समूह की नदियों में उफान आ गया. इससे जिले में जगह-जगह पर तटबंध टूट गया. वहीं, जिले के 8 प्रखंडों में बाढ़ का पानी फैल जाने से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. लोग ऊंचे स्थान, तटबंध या फिर एनएच 57 पर अपने परिवार और मवेशियों के साथ पर शरण लिये हुए हैं. पीड़ित परिवारों ने जिला प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की मदद नहीं मिलने का आरोप लगाया है.

बाढ़ के बाद एनएच पर अशियाना बनाये बाढ़ पीड़ित

'सर छिपाने के लिए प्लास्टिक या तंबू नहीं'
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि तटबंध टूटने के बाद जल प्रलय के बीच किसी तरह जान बचाकर हमलोग बांध और ऊंचे स्थान पर आ गए. लेकिन सर छिपाने के लिए प्लास्टिक या तंबू नहीं है. साथ ही किसी तरह की कोई सुविधा भी नहीं है. प्रशासन की ओर से अब तक कोई मदद भी नहीं मिली है. ना हमारे खाने के लिए कुछ है ना ही पशुओं के लिए चारे का कोई इंतजाम.

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गांव में भरा बाढ़ का पानी

बाढ़ पीड़ितों के बीच बांटा गया प्लास्टिक
मौके पर पहुंचे बिरौल के एसडीओ ब्रजकिशोर लाल ने कहा कि जो लोग विस्थापित होकर एनएच पर शरण लिये हुए हैं. बारिश का मौसम देखते हुए, उन लोगों के बीच प्लास्टिक शीट बांटे गये हैं. इसके अलावा इन लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही जो लोग अब भी बाढ़ में फंसे हुए हैं उसको बचाने के लिए रेस्क्यू किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से राहत शिविर चलाया जा रहा है. जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए रहने के साथ-साथ खाने और पीने की समुचित व्यवस्था की गई है. गौरतलब है कि राज्य के 12 जिलों के बाढ़ की चपेट में आने से 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. वहीं, 73 लोगों की डूबने से मौत हो गई है.

Intro:नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण अधवारा समूह के नदियों में आए उफान और जगह-जगह तटबंध टूटने से दरभंगा जिला के अबतक आठ प्रखंड में बाढ़ का पानी फैल जाने से हजारों की संख्या में लोगों का जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। लोग खुद के भरोसे खुले आसमान के नीचे ऊंचे स्थान, तटबंध या फिर एनएच 57 पर अपने परिवार व मवेशियों के साथ अपना आशियाना बना कर रहने को मजबूर हैं। वहीं पीड़ित परिवारों का आरोप है कि अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से उन लोगों को किसी प्रकार का मदद नहीं मिला है।


Body:दरअसल कमला नदी में आए उफान के चलते तारडीह, घनश्यामपुर, गौरा बौराम, सिंघवारा और जाले प्रखंड में 6 जगहों से तटबंध टूट जाने से 4 दर्जन से अधिक पंचायत बाढ़ के पानी से घिर गया है। जिसके बाद किसी प्रकार लोग अपनी जान जोखिम में डालकर एनएच व अन्य ऊंचे स्थानों पर पहुंचकर अपना डेरा डाल लिया है। वहीं बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि तटबंध टूटने के बाद जल प्रलय के बीच किसी तरह जान बचाकर हम लोग बांध पर आ गए। ना घर है ना सर छिपाने के लिए प्लास्टिक, प्रशासन की ओर से अब तक कोई मदद नहीं मिला है। हम लोग जैसे तैसे कर के चुरा या फिर अन्य चीजों को खाकर अपनी जान बचा रहे हैं। लेकिन पशु के सामने चारा आदि की समस्या मुंह बाए खड़ी है।


Conclusion:वही मौके पर पहुंचे बिरौल के एसडीओ ब्रजकिशोर लाल ने कहा कि जो लोग विस्थापित होकर आए हैं। तत्काल उनको हमलोग बारिश का मौसम देखते हुए, उन लोगों को पॉलीथिन शीट की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा जो खाने की व्यवस्था है, वह हम लोग कर रहे हैं। सबसे पहले जो लोग अब तक फंसे हुए हैं, उनको निकालने का काम किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से राहत शिविर चलाया जा रहा है। जहां उनके लिए रहने के साथ साथ खाने और पीने की समुचित व्यवस्था की गई है।
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