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ग्राउंड रिपोर्ट : दरभंगा में बाढ़ पीड़ितों ने सुनाया दर्द- 'सड़क पर कट रही है जिंदगी, कोई पूछने वाला भी नहीं'

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Published : Jul 30, 2020, 9:25 AM IST

एनएच-57 बी पर रह रहे बाढ़ पीड़ितों को काफी परेशानी हो रही है. इन लोगों की हाल-चाल लेने के लिए कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी नहीं पहुंचे हैं. इन लोगों को खाने-पीने के साथ मवेशियों के लिए चारा की भी दिक्कतें हो रही है.

people are in trouble due to flood in darbhnaga
people are in trouble due to flood in darbhnaga

दरभंगा: जिले में इन दिनों बाढ़ आई हुई है. कुल 18 प्रखंड में से 8 प्रखंड काफी प्रभावित है. जिसमें केवटी प्रखंड के लोग सड़क टूट जाने कारण और नाव का सहारा नहीं होने की वजह से गांव में ही फंस गए हैं. वहीं, जो कोई लोग बचकर बाहर निकले, वे सभी भारत-नेपाल सीमा तक जाने वाली सड़क एनएच-57 बी पर शरण लिए हुए हैं.

इन बाढ़ पीड़ितों ने खुद से एनएच-57 पर प्लास्टिक शीट और बांस-बल्ला से जुगाड़ लगा कर आशियाना बनाया हैं. इन लोगों की मदद करने के लिए कोई नहीं पहुंच रहा है. उनलोगों को खाने-पीने की भी काफी दिक्कतें हो रही है. साथ ही पशुओं के लिए चारा लाने में भी काफी परेशानी हो रही है.

people are in trouble due to flood in darbhnaga
एनएच पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित

'कोई पूछने वाला नहीं'
बाढ़ पीड़ित शंकर यादव ने बताया कि उनका घर बाढ़ में डूब गया है. वे लोग पिछले कई दिनों से एनएच पर रह रहे हैं. खाने-पीने की बहुत दिक्कत हो रही है. कोई पूछनेवाला नहीं है. उन तक राहत नहीं पहुंच रही है. उन्होंने सरकार से राहत पहुंचाने की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

'एनएच पर बच्चों के साथ रहने में हो रही दिक्कत'
इसके अलावा बाढ़ पीड़ित महेश पासवान ने कहा कि एनएच पर रहने के कारण उनलोगों को काफी दिक्कत हो रही है. बारिश में प्लास्टिक के इस आशियाने में पानी टपकता है. किसी तरह भींग कर परिवार और माल-मवेशियों के साथ रहते हैं. साथ ही उन्होंने नेताओं पर आरोप लगाते हुए कह कि हर बार चुनाव में लोग वादा करते हैं कि गांव का रास्ता बनवा देंगे, बाढ़ में रास्ता नहीं टूटेगा लेकिन हर बार बाढ़ सब कुछ बहा ले जाती है. उन लोगों को इसी सड़क पर शरण लेनी पड़ती है. वहीं, बाढ़ पीड़ित कुसुमी देवी ने कहा कि बाल-बच्चों को लेकर सड़क पर रहने में काफी दिक्कत है. खाना-पीना नसीब नहीं हो रहा है.

दरभंगा: जिले में इन दिनों बाढ़ आई हुई है. कुल 18 प्रखंड में से 8 प्रखंड काफी प्रभावित है. जिसमें केवटी प्रखंड के लोग सड़क टूट जाने कारण और नाव का सहारा नहीं होने की वजह से गांव में ही फंस गए हैं. वहीं, जो कोई लोग बचकर बाहर निकले, वे सभी भारत-नेपाल सीमा तक जाने वाली सड़क एनएच-57 बी पर शरण लिए हुए हैं.

इन बाढ़ पीड़ितों ने खुद से एनएच-57 पर प्लास्टिक शीट और बांस-बल्ला से जुगाड़ लगा कर आशियाना बनाया हैं. इन लोगों की मदद करने के लिए कोई नहीं पहुंच रहा है. उनलोगों को खाने-पीने की भी काफी दिक्कतें हो रही है. साथ ही पशुओं के लिए चारा लाने में भी काफी परेशानी हो रही है.

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एनएच पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित

'कोई पूछने वाला नहीं'
बाढ़ पीड़ित शंकर यादव ने बताया कि उनका घर बाढ़ में डूब गया है. वे लोग पिछले कई दिनों से एनएच पर रह रहे हैं. खाने-पीने की बहुत दिक्कत हो रही है. कोई पूछनेवाला नहीं है. उन तक राहत नहीं पहुंच रही है. उन्होंने सरकार से राहत पहुंचाने की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

'एनएच पर बच्चों के साथ रहने में हो रही दिक्कत'
इसके अलावा बाढ़ पीड़ित महेश पासवान ने कहा कि एनएच पर रहने के कारण उनलोगों को काफी दिक्कत हो रही है. बारिश में प्लास्टिक के इस आशियाने में पानी टपकता है. किसी तरह भींग कर परिवार और माल-मवेशियों के साथ रहते हैं. साथ ही उन्होंने नेताओं पर आरोप लगाते हुए कह कि हर बार चुनाव में लोग वादा करते हैं कि गांव का रास्ता बनवा देंगे, बाढ़ में रास्ता नहीं टूटेगा लेकिन हर बार बाढ़ सब कुछ बहा ले जाती है. उन लोगों को इसी सड़क पर शरण लेनी पड़ती है. वहीं, बाढ़ पीड़ित कुसुमी देवी ने कहा कि बाल-बच्चों को लेकर सड़क पर रहने में काफी दिक्कत है. खाना-पीना नसीब नहीं हो रहा है.

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