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बाढ़ के पानी से जलमग्न हुआ श्मशान, रेलवे ट्रैक किनारे दाह संस्कार करने को मजबूर हैं लोग

बाढ़ का पानी होने के कारण पूरी जमीन जलमग्न है. ऐसे में रेलवे ट्रेक के किनारे अपना आशियाना बनाकर रह रहे बाढ़ पीडि़तों के बीच 80 वर्षीय सरस्वती देवी की मौत हो गई. जिसके बाद लोगों ने रेलवे ट्रेक के किनारे ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया.

बाढ़ के पानी से जलमग्न हुआ शमशान
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Published : Aug 3, 2019, 1:31 PM IST

Updated : Aug 3, 2019, 3:29 PM IST

दरभंगा : दरभंगा में बाढ़ पीड़ितों की सबसे दर्दनाक तस्वीरें देखने को मिली है. जहां जिले के हायाघाट प्रखंड के अकराहा गांव के लोग नवनिर्मित रेलवे ट्रैक के किनारे एक शव का दाह संस्कार कर रहे थे. क्योंकि बाढ़ के पानी ने पहले से ही उनके खेत खलियान, गांव, घर सहित श्मशान में भी अपना कब्जा जमा रखा है. ऐसे में शमशान में एक इंच भी जमीन सुखी नहीं है, जहां शव का अंतिम संस्कार किया जा सके. वहीं दूसरी तरफ इस जगह अभी भी सैकड़ों बाढ़ पीड़ित लोग अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं.

रेलवे ट्रैक के किनारे शव का दाह संस्कार करने को मजबूर हैं लोग


रेवले ट्रैक के किनारे ही किया शव का अंतिम संस्कार

दरअसल चारों तरफ बाढ़ का पानी होने के कारण पूरी जमीन जलमग्न है. ऐसे में रेलवे ट्रेक के किनारे अपना आशियाना बनाकर रह रहे बाढ़ पीडि़तों के बीच 80 वर्षीय सरस्वती देवी की मौत हो गई. जिसके बाद लोगों ने रेलवे ट्रेक के किनारे ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया. गौरतलब है कि बाढ़ के पानी के कारण लोग अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थान पर डेरा डाले हुए हैं. बाढ़ पीड़ितों के लिए अब यही उनका घर आंगन है. ऐसे में एक तरफ बाढ़ पीड़ित का आशियाना है, तो दूसरी तरफ लोग लाश जलाने को मजबूर हैं.

flood in darbhanga
चारों तरफ बाढ़ के पानी होने के कारण पूरी जमीन जलमग्न है

सूखी लकड़ियां भी नहीं हो रही नसीब

वहीं दूसरी तरफ इन बाढ़ पीड़ितों की मजबूरी ऐसी है कि जलाने के लिए सूखी लकड़ियां भी नसीब नहीं हो रही है. ऐसे में लोग गाय के गोबर से बने गोइठा से शव का अंतिम दाह संस्कार करने को मजबूर हैं. वहीं मृतिका सरस्वती देवी के परिजनों का कहना है कि श्मशान में 15 से 20 फीट पानी रहने के कारण हम लोग इस रेलवे ट्रैक के किनारे अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अपने अस्थाई घर के ठीक सामने महज कुछ कदमों की दूरी पर शव का संस्कार करना लोगों की दर्द और बाढ़ की विभीषिका की अनेकों कहानी बयां करती है.

दरभंगा : दरभंगा में बाढ़ पीड़ितों की सबसे दर्दनाक तस्वीरें देखने को मिली है. जहां जिले के हायाघाट प्रखंड के अकराहा गांव के लोग नवनिर्मित रेलवे ट्रैक के किनारे एक शव का दाह संस्कार कर रहे थे. क्योंकि बाढ़ के पानी ने पहले से ही उनके खेत खलियान, गांव, घर सहित श्मशान में भी अपना कब्जा जमा रखा है. ऐसे में शमशान में एक इंच भी जमीन सुखी नहीं है, जहां शव का अंतिम संस्कार किया जा सके. वहीं दूसरी तरफ इस जगह अभी भी सैकड़ों बाढ़ पीड़ित लोग अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं.

रेलवे ट्रैक के किनारे शव का दाह संस्कार करने को मजबूर हैं लोग


रेवले ट्रैक के किनारे ही किया शव का अंतिम संस्कार

दरअसल चारों तरफ बाढ़ का पानी होने के कारण पूरी जमीन जलमग्न है. ऐसे में रेलवे ट्रेक के किनारे अपना आशियाना बनाकर रह रहे बाढ़ पीडि़तों के बीच 80 वर्षीय सरस्वती देवी की मौत हो गई. जिसके बाद लोगों ने रेलवे ट्रेक के किनारे ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया. गौरतलब है कि बाढ़ के पानी के कारण लोग अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थान पर डेरा डाले हुए हैं. बाढ़ पीड़ितों के लिए अब यही उनका घर आंगन है. ऐसे में एक तरफ बाढ़ पीड़ित का आशियाना है, तो दूसरी तरफ लोग लाश जलाने को मजबूर हैं.

flood in darbhanga
चारों तरफ बाढ़ के पानी होने के कारण पूरी जमीन जलमग्न है

सूखी लकड़ियां भी नहीं हो रही नसीब

वहीं दूसरी तरफ इन बाढ़ पीड़ितों की मजबूरी ऐसी है कि जलाने के लिए सूखी लकड़ियां भी नसीब नहीं हो रही है. ऐसे में लोग गाय के गोबर से बने गोइठा से शव का अंतिम दाह संस्कार करने को मजबूर हैं. वहीं मृतिका सरस्वती देवी के परिजनों का कहना है कि श्मशान में 15 से 20 फीट पानी रहने के कारण हम लोग इस रेलवे ट्रैक के किनारे अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अपने अस्थाई घर के ठीक सामने महज कुछ कदमों की दूरी पर शव का संस्कार करना लोगों की दर्द और बाढ़ की विभीषिका की अनेकों कहानी बयां करती है.

Intro:दरभंगा में बाढ़ पीड़ितों की सबसे दर्दनाक तस्वीरें देखने को मिली है। जब हायाघाट प्रखंड के अकराहा गांव के लोग नवनिर्मित ट्रेक पर आशियाना बनाकर रह रहे लोगों ने, एक शव को रेलवे ट्रैक के किनारे दाह संस्कार कर रहे थे। क्योकि बाढ़ के पानी ने पहले से ही उनके खेत खलियान, गांव घर सहित श्मशान में भी अपना कब्जा जमाए बैठा है। ऐसे में शमशान में एक इंच भी जमीन सुखी नहीं जहां शव का अंतिम संस्कार किया जा सके। वही दूसरी तरफ इस जगह अभी भी सैकड़ों बाढ़ पीड़ित लोग अपना आशियाना बनाकर रह रहे हैं।


Body:दरअसल चारों तरफ बाढ़ के पानी होने के कारण पूरी जमीन जलमग्न है। ऐसे में रेवले ट्रेक के किनारे अपना आशियाना बनकर रह रहे बाढ़ पीडितो के बीच 80 वर्षीय सरस्वती देवी मौत हो गई। जिसके बाद लोगो के सामने शव का अंतिम दाह संस्कार का कोई उपाय नही सुझा, तो लोगो ने रेवले ट्रेक के किनारे ही अंतिम संस्कार कर डाला। मानो यह रेलवे ट्रैक श्मशान में तब्दील हो गया हो। बाढ़ के पानी के कारण लोग अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थान पर डेरा डाले हुए हैं। बाढ़ पीड़ितों के लिए अब यही उनका घर आंगन है। ऐसे में एक तरफ बाढ़ पीड़ित का आशियाना है, तो दूसरी तरफ लोग लाश जलाने को मजबूर है।


Conclusion:वही दूसरी तरफ इन बाढ़ पीड़ितों की मजबूरी ऐसी की जलाने के लिए सूखी लकड़ियों की नसीब नहीं हो रही है। ऐसे में लोग गाय के गोबर से बने गोइठा से शव का अंतिम दाह संस्कार करने को मजबूर है। वहीं मृतिका सरस्वती देवी के परिजनों का कहना है कि श्मशान में 15 से 20 फीट पानी रहने के कारण हम लोग इस रेलवे ट्रैक के किनारे अंतिम संस्कार कर रहे हैं। अपने अस्थाई घर को के ठीक सामने महज कुछ कदमों की दूरी पर शव का संस्कार करना लोगों की दर्द और बाढ़ की विभीषिका की अनेकों कहानी अपने आप जहन में भर जाती है। अगर यूं कहे की बाढ़ की तबाही के कारण घर के आंगन को ही लोग श्मशान बना दिया तो यह गलत नहीं होगा।

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कमल कुमार, ग्रामीण
रामवृक्ष सहनी, मृतिका के परिजनों
Last Updated : Aug 3, 2019, 3:29 PM IST
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