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दरभंगा: बाढ़ के कारण लोगों की जिंदगी हुई बेपटरी, सरकारी मदद में देरी से हैं परेशान

बाढ़ का पानी हनुमान नगर, हायाघाट सहित कई इलाकों में घुस गया है. आलम यह है कि हायाघाट प्रखंड के तीन पंचायत नया गांव, नवटोल, सिरनिया, बिलासपुर सहित कई गांव चारों तरफ से घिरे हैं. जिससे इलाका टापू में तब्दील में हो गया है.

बाढ़ से परेशान लोग
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Published : Aug 4, 2019, 1:08 PM IST

दरभंगा: बिहार में बाढ़ से लोगों को राहत अब तक नहीं मिली है. जिले में कमला, कोसी और बागमती नदी के जल स्तर में हो रही बढ़ोतरी के कारण यहां के चार प्रखंडों में पानी भर गया है. हायाघाट प्रखंड के कई गांव में भी पानी भरने से लोग परेशान हैं. ग्रमीणों को घर से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है.

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मीडिया से अपनी व्यथा बताते बाढ़ पीड़ित

इन इलाकों में घुसा बाढ़ का पानी
बाढ़ का पानी हनुमान नगर, हायाघाट सहित कई इलाकों में घुस गया है. आलम यह है कि हायाघाट प्रखंड के तीन पंचायत नया गांव, नवटोल, सिरनिया, बिलासपुर सहित कई गांव ऐसे हैं, जो चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिरे हैं. जिससे इलाका टापू में तब्दील में हो गया. लोगों के आवागमन के लिए सिर्फ एक नाव ही सहारा रह गया है. नाव में जाने के लिए लोगों को 20 रुपया प्रति व्यक्ति चुकाना पड़ रहा है. जो बाढ़ से बेहाल लोगों पर भारी पड़ रहा है.

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बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगह ले जाते हुए

'नहीं मिली सहायता राशि'
स्थानीय निवासी राशिद अली का कहना है कि बाढ़ से जीवन त्रस्त हो चुका है. पानी के कारण बाहर का काम नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि नाव का सहारा लेने के लिए 20 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. यहां सरकारी राहत अब तक नहीं पहुंची है. वहीं, सरकार की तरफ से 6 हजार रुपया सहायता राशि मिलने वाली थी, वो भी नहीं मिली है. प्रशासन सिर्फ आश्वासन देने का ही काम कर रहा है.

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जलमग्न हुआ गांव

प्रशासन से मदद की गुहार
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि पिछले पांच सालों से इतना पानी कभी नहीं आया है. हम लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ रहा है. यहां लोगों की डूबने से मौत हो रही है लेकिन किसी को फर्क नहीं पड़ रहा है. सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं और काम निकलने पर भूल जाते हैं. इतनी गरीबी में भी 20 से 25 हजार लगाकर अपना घर बनावाते हैं और बाढ़ से सब तहस-नहस हो जाता है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

'नहीं शिफ्ट हो रहे ग्रामीण'
इस संबंध में हायाघाट प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित तीन प्रखंड बिलासपुर, रुस्तमपुर और मल्हीपट्टी पंचायत हैं. उन्होंने कहा कि जितने भी प्रभावित लोग हैं उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है. वहीं, कई लोग अभी भी अपने घरों में ही हैं. उन्हें अपने मवेशी और संपत्ति की चिंता सताई जा रही है. इसलिए वे दूसरी जगह जाने से कतरा रहे हैं.

देखिए खास रिपोर्ट

पीड़ितों को मिल रहा मुआवजा
पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को पॉलिथीन सीट, समुदाय किचन और मेडिकल कैंप लगा कर सेवाएं दी जा रही है. वहीं पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी कर दी गई है. साथ ही हर संभव मदद के लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है. सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम मदद के लिए पहुंच जाएगी. पदाधिकारी ने कहा कि कुल 2084 प्रभावितों के खाते में राशि भेजनी है. जिसमें अभी तक 1281 प्रभावितों के खाते में राशि भेजी जा चुकी है. बाकी जो बाढ़ प्रभावित हैं उनके खाते में पैसे डाले जा रहे हैं.

दरभंगा: बिहार में बाढ़ से लोगों को राहत अब तक नहीं मिली है. जिले में कमला, कोसी और बागमती नदी के जल स्तर में हो रही बढ़ोतरी के कारण यहां के चार प्रखंडों में पानी भर गया है. हायाघाट प्रखंड के कई गांव में भी पानी भरने से लोग परेशान हैं. ग्रमीणों को घर से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है.

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मीडिया से अपनी व्यथा बताते बाढ़ पीड़ित

इन इलाकों में घुसा बाढ़ का पानी
बाढ़ का पानी हनुमान नगर, हायाघाट सहित कई इलाकों में घुस गया है. आलम यह है कि हायाघाट प्रखंड के तीन पंचायत नया गांव, नवटोल, सिरनिया, बिलासपुर सहित कई गांव ऐसे हैं, जो चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिरे हैं. जिससे इलाका टापू में तब्दील में हो गया. लोगों के आवागमन के लिए सिर्फ एक नाव ही सहारा रह गया है. नाव में जाने के लिए लोगों को 20 रुपया प्रति व्यक्ति चुकाना पड़ रहा है. जो बाढ़ से बेहाल लोगों पर भारी पड़ रहा है.

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बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगह ले जाते हुए

'नहीं मिली सहायता राशि'
स्थानीय निवासी राशिद अली का कहना है कि बाढ़ से जीवन त्रस्त हो चुका है. पानी के कारण बाहर का काम नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि नाव का सहारा लेने के लिए 20 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. यहां सरकारी राहत अब तक नहीं पहुंची है. वहीं, सरकार की तरफ से 6 हजार रुपया सहायता राशि मिलने वाली थी, वो भी नहीं मिली है. प्रशासन सिर्फ आश्वासन देने का ही काम कर रहा है.

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जलमग्न हुआ गांव

प्रशासन से मदद की गुहार
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि पिछले पांच सालों से इतना पानी कभी नहीं आया है. हम लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ रहा है. यहां लोगों की डूबने से मौत हो रही है लेकिन किसी को फर्क नहीं पड़ रहा है. सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं और काम निकलने पर भूल जाते हैं. इतनी गरीबी में भी 20 से 25 हजार लगाकर अपना घर बनावाते हैं और बाढ़ से सब तहस-नहस हो जाता है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

'नहीं शिफ्ट हो रहे ग्रामीण'
इस संबंध में हायाघाट प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित तीन प्रखंड बिलासपुर, रुस्तमपुर और मल्हीपट्टी पंचायत हैं. उन्होंने कहा कि जितने भी प्रभावित लोग हैं उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है. वहीं, कई लोग अभी भी अपने घरों में ही हैं. उन्हें अपने मवेशी और संपत्ति की चिंता सताई जा रही है. इसलिए वे दूसरी जगह जाने से कतरा रहे हैं.

देखिए खास रिपोर्ट

पीड़ितों को मिल रहा मुआवजा
पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को पॉलिथीन सीट, समुदाय किचन और मेडिकल कैंप लगा कर सेवाएं दी जा रही है. वहीं पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी कर दी गई है. साथ ही हर संभव मदद के लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है. सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम मदद के लिए पहुंच जाएगी. पदाधिकारी ने कहा कि कुल 2084 प्रभावितों के खाते में राशि भेजनी है. जिसमें अभी तक 1281 प्रभावितों के खाते में राशि भेजी जा चुकी है. बाकी जो बाढ़ प्रभावित हैं उनके खाते में पैसे डाले जा रहे हैं.

Intro:दरभंगा जिला में कमला कोसी बागमती नदी के जल स्तर में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण अभी भी जिला के चार प्रखंड हनुमाननगर हायाघाट और कुशेश्वरस्थान पूर्वी व पश्चिमी प्रखंडों में बाढ़ अपना कहर बरपा रही है। जिसके चलते यहां के लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रही है। आलम यह है कि हायाघाट प्रखंड के तीन पंचायतों के नयागांव, नवटोल, सिरनिया, बिलासपुर सहित कई गांव ऐसे हैं, जो चारों तरफ से बाढ़ के पानी से गिर जाने से टापू में तब्दील हो गया है और आने जाने का एक मात्र सहारा नाव ही रह गया है।

टापू बने गांव में रह रहे लोगो का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से हम लोग बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं और किसी प्रकार का सरकारी सहायता हम लोगों को नहीं मिला है। सिर्फ हमलोग घोषणा ही सुन रहे है। पहली बार आपलोग है, जो हमलोगों का हाल समाचार पूछने आये है। अगर बाढ़ का पानी आता है तो नाव की व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि हम लोगों को आने जाने में 20 रुपया प्रति व्यक्ति लग रहा है। अगर यह रुपया बचेगा तो, एक मजदूर व गरीब आदमी अपने घर का सब्जी लाकर खाना खा सकता है। वहीं उन्होंने सरकार से अपील की अगर उनको मदद करना है तो हम लोगों की मदद नाव से मदद कीजिए।


Body:वही नया गांव निवासी राशिद अली ने कहा कि आप लोग गांव घूम ही रहे हैं। सारे हालात को देख रहे हैं क्या हालात है। अभी तक बाढ़ से संबंधित किसी प्रकार का फंड हम लोगों को नहीं मिला है। अभी तक हमलोगों को सरकारी स्तर से मिलने वाला 6 हजार की सहायता राशि भी नही मिली है। सबसे बड़ी समस्या तो यहां पर नाव की है, क्योंकि सरकारी नाव नहीं चलने के कारण 20 रुपया प्रति आदमी देकर आना जाना पड़ता है। जिसको लेकर एक बार सुबह में हम लोगों से निकलते हैं तो शाम में ही लौटते हैं।

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि पिछले पांच सालों से इतना पानी नहीं आ रहा था कि हम लोग अपना घर छोड़कर कहीं दूसरी जगह जाना पड़े। हम लोग डूब रहे हैं कि मर रहे हैं कोई फर्क नहीं पड़ता सिर्फ वोट लेने के समय में नेता आएंगे और कहेंगे कि सारी चीजों को हम ठीक कर देंगे। लाइट के बिना हमलोग काफी परेशान हो रहे है। कुछ चार्ज करने की भी जरूरत होती है तो हम लोगों को बाजार जाना पड़ता है। वही उन्होंने कहा कि लोग 20 से 25 लाख रुपया लगाकर अपना घर बनाते हैं और इतना रुपया लगाकर लोग पानी में रहे। हमलोगों का सरकार से यही अपील है कि इसका समाधान किया जाए। ताकि लोगो को अपना घर छोड़कर कहीं दूसरी जगह ना जाना पड़े।




Conclusion:वही इस संबंध में जब हमने हायाघाट प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी राकेश कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके प्रखंड के तीन पंचायत पूर्णतः प्रभावित हैं। जिसमें बिलासपुर, रुस्तमपुर और मल्हीपट्टी पंचायत हैं। जो लोग प्रभावित हैं उन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दी गई है। कुछ लोग अभी भी अपने घरों में बने हुए हैं, क्योंकि वहां उनके मवेशी और काफी संपत्ति है जिस वजह से वह लोग यहां आना नहीं चाहते हैं। जो लोगों से बाहर आ गए हैं उनको पॉलिथीन सीट, समुदाय किचन तथा मेडिकल कैंप लगा कर सेवाएं दी जा रही है। वहीं पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था भी कर दी गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमलोगों को अगर किसी प्रकार की सूचना मिलती है तो तुरंत समाधान के लिए कार्रवाई की जाती है।

वहीं सहायता के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक 1281 लोगों के खातों में राशि भेज देंगे गई है और हमारे यहां 2084 लोगों को के खातों में राशि जानी है। शेष बचे हुए लोगों के खाते भेज दी जायेगी। वहीं नाव के सवाल पर बीडीओ ने कहा कि हमारे पास नाव की पर्याप्त संख्या नहीं है। हमारे पास 30 नाव ही है, जो सरकारी स्तर पर चलाई जा रही है। क्षेत्र काफी बड़ा है, जहां लोगों को आवागमन की जरूरत होती है। तो हो सकता है किसी समय कुछ लोगों को जाने की आवश्यकता पड़ी होगी उस वक्त सरकारी ना हो। तो लोग प्राइवेट के स्तर पर भी किसी तरह जा सकते हैं। हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि जितने भी नाव यहां हैं, उन्हें परवाना देकर सरकारी करण कर दिया जाए, जिससे किसी को कोई दिक्कत ना हो।

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मो इरफान, बाढ़ पीड़ित
राशिद अली, बाढ़ पीड़ित
राकेश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी हायाघाट



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