दरभंगा: विख्यात लोक गायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा को पिछले 4 महीनों से पेंशन नहीं दे पाने पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (Lalit Narayan Mithila University) ने शर्मिंदगी व्यक्त की है. विश्वविद्यालय ने पेंशन बकाए के मामले से खुद का पल्ला झाड़ते हुए इसका ठीकरा बिहार सरकार पर फोड़ दिया है. विश्वविद्यालय के कई ऐसे रिटायर्ड कर्मी हैं, जिन्हें कई महिनों से पेंशन नहीं मिली है.
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बीते तीन दिन पहले शारदा सिन्हा ने बकाए पेंशन की राशि की वजह से बेहतर इलाज के अभाव में अपनी एक सहेली और मिथिला विश्वविद्यालय से रिटायर्ड शिक्षिका डॉ. ईशा सिन्हा की मौत की चर्चा फेसबुक पर की थी, जिसके वायरल होने पर यह मामला राज्य में भर में सुर्खियों में आ गया. उन्होंने अपनी खुद की पेंशन भी बकाया होने की बात कही थी. इसके बाद ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने कहा है कि राज्य सरकार से पैसे का एलॉटमेंट नहीं मिला है. इसलिए विवि के करीब 4 हजार पेंशनरों की 3 महीने की पेंशन बकाया है.
कई महीनों से पेंशन बकाया रहने की वजह से विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मियों के घर भुखमरी जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त कर्मी देव शंकर झा ने कहा कि वे बहुत बुरी स्थिति में जी रहे हैं. विश्वविद्यालय में 4-5 महीने पर पेंशन का भुगतान होता है. ऐसी स्थिति में एक रिटायर्ड बुजुर्ग आदमी और उसके परिवार की दुर्दशा होती है. समय पर दवाएं और राशन का इंतजाम नहीं हो पाता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी पेंशनर का बेटा घर का खर्च चलाने वाला न हो तो वह भूखों मर जाएगा.
एक अन्य रिटायर्ड कर्मी मोहम्मद मुजीब ने कहा कि पिछले चार-पांच महीनों से उन्हें पेंशन नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से भोजन को कौन कहे बीमार पड़ने पर दवा तक खरीदने के लिए पैसे नहीं है. पैसा नहीं होने के कारण राशन की दुकान वाले ने उधारी देना बंद कर दिया है और अब भुखमरी जैसी स्थिति हो गई है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों और सरकार को बेबस लाचार पेंशनरों पर दया तक नहीं आती है. कोई कैसे जिएगा यह समझ में नहीं आता है.
मोहम्मद मुजीब की पत्नी आसमा खातून ने कहा कि उनका परिवार बेहद बुरी स्थिति में जी रहा है. उन्होंने कहा कि पति की पेंशन से ही बेटे-बहू और पोते-पोतियों तक का खर्चा चलता था. पेंशन का पैसा नहीं मिलने की वजह से पिछले दिनों उनके एक पोते की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई. उन्होंने कहा कि पेंशन का बकाया पैसा मांगने के लिए वे विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के पास गई थीं लेकिन रजिस्ट्रार ने उनसे मुलाकात नहीं की. विश्वविद्यालय कहता है कि सरकार से पैसे नहीं मिले हैं इसलिए पेंशन नहीं दी जा रही है.
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पेंशन पदाधिकारी डॉ. सुरेश पासवान ने कहा कि वे लज्जित हैं कि शारदा सिन्हा को पेंशन 3 महीने से नहीं मिली है. उन्होंने ये भी कहा कि विवि के करीब 4 हजार पेंशनरों की पेंशन पिछले 3 महीने से बकाया है. सरकार की ओर से अलॉटमेंट नहीं आया है, इसलिए पेंशनरों की पेंशन नहीं दी गई है. पेंशन पदाधिकारी ने बताया कि प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा ने अपनी बकाया पेंशन का मामला उठाया है. इससे उम्मीद जगी है कि सरकार इस दिशा में पहल करेगी और पेंशनरों के बकाए पेंशन का भुगतान हो जाएगा.
बता दें कि प्रसिद्ध लोक गायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा ललित नारायण मिथिला विवि की शिक्षिका रही थीं. वे कुछ साल पहले यहां से सेवानिवृत्त हुई हैं. उन्होंने फेसबुक पर पिछले 4 महीने से उनकी पेंशन बकाया होने का मामला उठाते हुए राज्य सरकार और विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े किए थे.
शारदा सिन्हा ने फेसबुक पर लिखा था कि पेंशन के पैसे का इंतजार करते-करते बेहतर इलाज नहीं होने पर उनकी सखी डॉ. ईशा सिन्हा की मौत हो गई. डॉ. ईशा सिन्हा भी उनके साथ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में पीजी हेड से रिटायर हुई थीं. शारदा सिन्हा ने इस दुखद स्थिति पर राज्य का प्रतिनिधित्व करने और विश्वविद्यालय की शिक्षिका होने पर शर्मिंदगी जताई थी. उनका यह फेसबुक पोस्ट तेजी से वायरल हुआ और राज्य भर में सुर्खियों में आया था.
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