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DMCH के सर्जिकल बिल्डिंग की हालत जर्जर, खौफ के साये में रहते हैं मरीज

DMCH के जर्जर सर्जिकल भवन को नये जगह शिफ्ट करने का आदेश जिलाधिकारी ने दिया. इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन इसे खाली नहीं करा पाया है. हालांकि अस्पताल अधीक्षक इसके पीछे का कारण जगह की कमी को बता रहे हैं.

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Published : Jul 19, 2019, 11:15 AM IST

DMCH का जर्जर सर्जिकल भवन

दरभंगा: डीएमसीएच का सर्जिकल भवन जर्जर हालत में है. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इसकी हालत देख जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने भवन को तुरंत खाली करने का निर्देश दिया था. इस संदर्भ में डीएमसीएच अधीक्षक ने जून माह में बैठक कर खाली करने का फैसला लिया. लेकिन अबतक जर्जर भवन खाली नहीं कराया जा सका है. अभी भी मरीजों का यहां इलाज किया जा रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

डर के साये में इलाज करा रहे मरीज
अस्पताल प्रशासन ने जुलाई के प्रथम सप्ताह में शिफ्ट करने का प्लान बनाया था. सर्जरी और आर्थो के मरीजों को आईडीएच भवन, कैंसर वॉर्ड, एआरटी सेंटर, मेडिसिन विभाग, आंख विभाग और रैन बसेरा में शिफ्ट करना था. लेकिन जुलाई के तीसरे सप्ताह में भी पहल नहीं हुई. अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन भवन की जर्जर हालत देख दहशत में हैं. बरसात में पानी रिसता है तो दूसरी तरफ छत का चट्टान भी गिरता है. भवन की जर्जर हालत के बीच मरीज डर के साये में अपना इलाज कराने के लिए मजबूर हैं.

darbhanga
परिजन

प्रधान सचिव करेंगे निरीक्षण
अस्पताल अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने बताया कि मरीज को शिफ्ट करने का प्रयास चल रहा है. लेकिन चिन्हित जगहों पर अभी रैन बसेरा चल रहा है. जिसकी वजह से परेशानी आ रही है. मरीजों को इससे राहत दिलाने के लिए दूसरे विकल्प पर भी काम चल रहा है.

darbhanga
डॉ. राज रंजन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

खतरनाक घोषित हो चुका है सर्जिकल भवन
गौरतलब है कि सर्जिकल भवन को कई वर्ष पहले ही खतरनाक घोषित किया जा चुका है. भूकंप के डेंजर जोन में रहने के कारण यहां कभी भी हादसा हो सकता है. पिछली बार भूकंप के समय इलाजरत मरीजों को दूसरे विभागों में शिफ्ट किया गया था. हालांकि जगह की कमी बताकर फिर से यहां मरीजों को शिफ्ट कर दिया गया. अधीक्षक कार्यालय के पीछे नए सर्जिकल भवन के निर्माण के लिए विभाग ने योजना स्वीकृत की है. लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका. जर्जर सर्जिकल भवन में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी भी डर के साये में ड्यूटी कर रहे हैं.

दरभंगा: डीएमसीएच का सर्जिकल भवन जर्जर हालत में है. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इसकी हालत देख जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने भवन को तुरंत खाली करने का निर्देश दिया था. इस संदर्भ में डीएमसीएच अधीक्षक ने जून माह में बैठक कर खाली करने का फैसला लिया. लेकिन अबतक जर्जर भवन खाली नहीं कराया जा सका है. अभी भी मरीजों का यहां इलाज किया जा रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

डर के साये में इलाज करा रहे मरीज
अस्पताल प्रशासन ने जुलाई के प्रथम सप्ताह में शिफ्ट करने का प्लान बनाया था. सर्जरी और आर्थो के मरीजों को आईडीएच भवन, कैंसर वॉर्ड, एआरटी सेंटर, मेडिसिन विभाग, आंख विभाग और रैन बसेरा में शिफ्ट करना था. लेकिन जुलाई के तीसरे सप्ताह में भी पहल नहीं हुई. अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन भवन की जर्जर हालत देख दहशत में हैं. बरसात में पानी रिसता है तो दूसरी तरफ छत का चट्टान भी गिरता है. भवन की जर्जर हालत के बीच मरीज डर के साये में अपना इलाज कराने के लिए मजबूर हैं.

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परिजन

प्रधान सचिव करेंगे निरीक्षण
अस्पताल अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने बताया कि मरीज को शिफ्ट करने का प्रयास चल रहा है. लेकिन चिन्हित जगहों पर अभी रैन बसेरा चल रहा है. जिसकी वजह से परेशानी आ रही है. मरीजों को इससे राहत दिलाने के लिए दूसरे विकल्प पर भी काम चल रहा है.

darbhanga
डॉ. राज रंजन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

खतरनाक घोषित हो चुका है सर्जिकल भवन
गौरतलब है कि सर्जिकल भवन को कई वर्ष पहले ही खतरनाक घोषित किया जा चुका है. भूकंप के डेंजर जोन में रहने के कारण यहां कभी भी हादसा हो सकता है. पिछली बार भूकंप के समय इलाजरत मरीजों को दूसरे विभागों में शिफ्ट किया गया था. हालांकि जगह की कमी बताकर फिर से यहां मरीजों को शिफ्ट कर दिया गया. अधीक्षक कार्यालय के पीछे नए सर्जिकल भवन के निर्माण के लिए विभाग ने योजना स्वीकृत की है. लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका. जर्जर सर्जिकल भवन में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी भी डर के साये में ड्यूटी कर रहे हैं.

Intro:डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन की जर्जरता व हादसा की आशंका को देखते हुए दरभंगा के जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने इस भवन को अविलंब खाली करने का निर्देश दिया था। जिसको लेकर डीएमसीएच के अधीक्षक और प्राचार्य ने सभी विभाग के विभागाध्यक्ष के साथ जून माह में बैठक कर निर्णय लिया था कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में सर्जरी व आर्थो के मरीज को आईडीएच भवन, कैंसर वार्ड, एआरटी सेंटर, मेडिसिन विभाग, आंख विभाग व रैन बसेरा में शिफ्ट किया जाएगा। लेकिन जुलाई माह के तीसरे सप्ताह होने को चला है और अब तक अस्पताल प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार का ठोस पहल नहीं किया जा रहा है। जिसको देखने से यह लगता है कि एक बार फिर जर्जर सर्जिकल भवन के मरीजो को दूसरे भवन में शिफ्ट करने की योजना है टाय टाय फिश हो गई है।


Body:दरअसल भवन निर्माण विभाग की ओर से करीब 5 वर्ष पहले सर्जिकल भवन को खतरनाक घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद अधीक्षक कार्यालय के पीछे नए सर्जिकल भवन के निर्माण के लिए विभाग की ओर से योजना स्वीकृत कर दी गई। लेकिन कई वर्ष बीत बाद भी अभी तक एक ईट नहीं जोरी जा सकी है। इधर सर्जिकल भवन अस्पताल प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है। कब यह भवन गिर जाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि इस भवन से मलबा हमेशा टूट कर गिरता रहता है। जिसको लेकर वहां पर काम करने वाले कर्मियों व मरीज के बीच भय का माहौल बना रहता है।

वहीं अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन संदीप ने कहा कि इस भवन की हालत काफी जर्जर है। आलम यह है कि भवन के ऊपर से हमेशा पानी रिसता रहता है और आए दिन भवन का मलबा गिरता रहता है। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद अधिक्षक ने एक सप्ताह में दूसरे भवन में मरीजों को शिफ्ट करने की बात कही थी। उसके बाद ना तो जिला प्रशासन नहीं ध्यान दिया और ना ही अस्पताल प्रशासन ने ही। स्थिति यह है कि घोषणा के 15 दिनों से अधिक समय हो गए हैं पर इस भवन से मरीजों को खाली नहीं कराया गया है। भवन की हालत ऐसी है कि यहां हमेशा हादसे का आशंका बना रहता है।


Conclusion:वहीं अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद ने कहा कि जहां मरीज को शिफ्ट करना था उसके लिए हम लोग भी काफी प्रयासरत हैं। लेकिन जिन जिन जगहों को चिन्हित किया गया था जैसे मेडिसिन विभाग, आंख विभाग, आईडीएच भवन, कैंसर वार्ड,एआरटी सेंटर व रैन बसेरा में शिफ्ट किया जाना था। लेकिन कुछ तकनीकी कमियों और कुछ जगहों पर आधारभूत संरचना में कमियों के कारण फिलहाल मरीजों को वहां शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। वहीं उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने सभी रहा को खोले हुए हैं, जल्द से जल्द इसकी मरम्मत करा दी जाए, ताकि इस भवन के मरीजों को शिफ्ट कर सके। वहीं उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव आने वाले हैं, उनसे सारी बातें हो गई है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि इस सप्ताह में मैं आऊंगा और मैं देखूंगा ऑन द स्पोर्ट निर्णय लूंगा कि आगे क्या करना है।

गौरतलब है कि सर्जिकल भवन को कई वर्ष पहले खतरनाक भवन घोषित किए जा चुके हैं और भूकंप के हाई रिस्क जोन में रहने की वजह से कभी भी यहां हादसा हो सकता है। पिछली बार भूकंप आने पर जिला प्रशासन की ओर से यहां पर इलाजरत मरीजो को दूसरे विभागों में शिफ्ट कर दिया गया था। हालांकि कुछ दिनों के बाद ही मरीजों को रखने के लिए अन्य विभागों में जगह नहीं रहने का हवाला देते हुए, दोबारा उन लोगों को सर्जिकल भवन में शिफ्ट कर दिया गया था।

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संदीप कुमार चौधरी, परिजन
डॉ राज रंजन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक
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