दरभंगा: जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) बीमार हैं. किडनी स्टोन (Kidney Stone) की बीमारी के चलते उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही है. डॉक्टर यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन (Urinary Tract Infection) की बात कह रहे हैं. इसके चलते पप्पू यादव को बुखार भी हो गया है.
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डीएमसीएच (DMCH) के अधीक्षक डॉ. मणिभूषण शर्मा ने कहा, 'पप्पू यादव के किडनी में स्टोन है. स्टोन के मरीज को कभी-कभी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो जाता है. इसके चलते बुखार लगता है. दवा चल रही है. अभी बुखार 100 डिग्री फारेनहाइट के आसपास है. हमलोग स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. 72 घंटा इंतजार करते हैं. इसके बाद जैसी स्थिति होगी फैसला लिया जाएगा.'
बता दें कि पप्पू यादव किडनी की जिस बीमारी से पीड़ित हैं उसका सीधा संबंध खानपान और लाइफस्टाइल से है. किडनी स्टोन एक कॉमन बीमारी है. किडनी इंसान के शरीर का अहम अंग है. यह फिल्टर की तरह काम करता है और शरीर से उन रसायनों को अलग करता है जिसकी जरूरत नहीं होती या फिर वे नुकसानदायक होते हैं.
किडनी खून से सोडियम, कैल्शियम और अन्य दूसरे मिनरल्स के बारीक कणों को अलग करता है. इन्हें यूरिन के जरिये शरीर से निकाल दिया जाता है. खून में इन मिनरल्स की मात्रा लगातार अधिक रहने और इन्हें बाहर निकालने के लिए जरूरी तरल की मात्रा कम होने पर स्टोन बनने की संभावना होती है. किडनी में मिनरल्स के बारीक कण एक-दूसरे से जुड़ते हैं और पत्थर जैसा आकार ले लेते हैं.
पत्थर बड़ा होने पर किडनी का काम प्रभावित होता है. इसके चलते मरीज को दर्द होता है. किडनी में बने स्टोन कई बार ब्लैडर तक यूरिन पहुंचने में रुकावट पैदा करते हैं. इसके चलते यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन भी हो सकता है. किडनी स्टोन के मरीज को कई बार तेज दर्द होता है.
इस बीमारी का इलाज पत्थर के आकार पर निर्भर करता है. स्टोन का आकार छोटा हो तो डॉक्टर दर्द की दवा देते हैं और मरीज को अधिक पानी पीने को कहते हैं ताकि स्टोन खुद बाहर निकल जाए. स्टोन का आकार बड़ा हो तो अतिरिक्त इलाज की जरूरत होती है. इनमें से एक ट्रिटमेंट शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Shock Wave Lithotripsy) है. इसमें शॉक वेव की मदद से स्टोन को किडनी में ही छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है. इसके बाद स्टोन के टुकड़े यूरिन के जरिये बाहर निकल जाते हैं.
किडनी स्टोन का एक और ट्रिटमेंट यूरेटेरोस्कोपी (Ureteroscopy) है. इसमें डॉक्टर एक ट्यूब जैसे टूल का इस्तेमाल स्टोन निकालने में करते हैं. स्टोन छोटा होने पर उसे ट्यूब की मदद से सीधे निकाल दिया जाता है. स्टोन बड़ा होने पर उसे लेजर की मदद से तोड़ा जाता है. किडनी स्टोन के गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है. इसे पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous Nephrolithotomy) कहते हैं.
किडनी स्टोन होने पर मरीज को यूरिन पास करते समय हल्का दर्द होता है. उसे बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है. पेट दर्द, भूख नहीं लगना और बुखार आना भी इसके लक्षण हैं. किडनी स्टोन के मरीज को बहुत अधिक चाय और कॉफी नहीं पीना चाहिए. कोल्ड डिंक से भी बचना चाहिए. किडनी स्टोन की परेशानी होने पर खाने में प्रोटीन की मात्रा कम करनी होती है. नॉनवेज भोजन में प्रोटीन अधिक होता है. प्रोटीन युक्त भोजन में मौजूद प्यूरीन के कारण यूरिक एसिड बढ़ जाता है. इसके चलते स्टोन का आकार बढ़ता है.
किडनी स्टोन से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है. स्टोन की शिकायत होने पर एक दिन में करीब 12 ग्लास पानी पीना चाहिए. इसके साथ ही खट्टे फल और उसके रस का सेवन करना चाहिए. इससे स्टोन कम करने में मदद मिलती है. किडनी स्टोन के मामले में तुलसी की पत्तियां बहुत लाभकारी हैं. तुलसी की पत्तियों में ऐसे रसायन होते हैं, जिससे शरीर में यूरिक एसिड का लेवल स्थिर होता है. इसके कारण किडनी में स्टोन नहीं बनता. इसके साथ ही तुलसी की पत्तियों में पाया जाने वाला एसिटिक एसिड किडनी स्टोन को गलाने का भी काम करता है.
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