दरभंगा: दरभंगा की सड़कों पर दौड़ रही 500 से ज्यादा प्राइवेट एंबुलेस का लेखा-जोखा किसी के पास नहीं है. वहीं परिवाहन विभाग पल्ला झाड़ते हुए साफ लहजे में कहा की हमारे पास मात्र मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना के अंतर्गत आने वाले एंबुलेंस का डाटा है. यह किसके आदेश पर चलाया जा रहा है इसकी आधिकारिक जानकारी किसी के पास नहीं है. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर किसके इशारे पर प्राइवेट एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है.
दरभंगा में एबुलेंस का डाटा नहीं: सिविल सर्जन अनिल कुमार ने कहा कि सरकारी एम्बुलेंस से सफर करना सुरक्षित है. 102 पर कॉल करने पर तो एम्बुलेंस मिल जाता है. फिलहाल जिले में 102 एम्बुलेंस की 66 एम्बुलेंस का परिचालन हो रहा है. उसके बावजूद लोग निजी एम्बुलेंस का सहारा लेते है. निजी एम्बुलेंस से सफर करना जानलेवा साबित हो सकता है. क्योंकि उसमे किसी प्रकार की सुविधा नहीं होती. सरकार के द्वारा उन्हें किसी भी प्रकार का गाइडलाइन नहीं मिला है.
"एंबुलेंस गैर कानूनी तौर पर चल रही है. जिसे चलाने की अनुमति हम लोगों ने नहीं दी है. एंबुलेंस चलाने की मानक तो सरकार निर्धारित करेगी. अगर मानक की बात करे तो एम्बुलेंस में मरीजो के लिए बेड के साथ ऑक्सीजन, आईवी फुलुड चलाने के साथ एक्सपर्ट टेक्नीशियन होना चाहिए." -अनिल कुमार, सिविल सर्जन, दरभंगा
'किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं मिला' : मामले को लेकर एंबुलेंस संचालक सदरे आलम खान से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार की ओर से ना तो किसी प्रकार का मापदंड तय किया गया है और ना ही इसका दर किया गया है. जिसको जीतना में भाड़ा मिलता है. वह लेकर पहुंचा देता है. हम लोग डीटीओ कार्यालय से निबंधित हैं. हम लोग वहीं से एंबुलेंस के लिए परमिट, फिटनेस और प्रदूषण बनाते हैं. हम लोगों को डीटीओ विभाग से मतलब है ना की सिविल सर्जन ऑफिस से. पिछले 10 साल से एम्बुलेंस चला रहे हैं, लेकिन अभी तक सिविल सर्जन कार्यालय से किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं मिला है.
"निजी एंबुलेंस का डाटा तो स्वास्थ विभाग के रेगुलर आथॉरिटी सिविल सर्जन कार्यालय के पास होना चाहिए. जिले में कितने निजी एम्बुलेंस हैं, कितने निजी अस्पताल के पास एंबुलेंस सेवा उपलब्ध हैं. निजी एंबुलेंस का डाटा हम लोगों के पास नहीं है. सरकारी व गैर सरकारी एंबुलेंस का डाटा को सिविल सर्जन ही देंगे. हमारे पास तो कोई डाटा नहीं है. परिवहन विभाग के पास तो मात्र मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना के अंतर्गत आने वाले एंबुलेंस का डाटा है." -राजेश कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी
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