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दरभंगा: शहादत की याद में शिया समुदाय ने निकाला जंजीरी मातमी जुलूस, किया गम का इजहार - इमाम हजरत साहब

जुलूस में मौजूद सभी लोगों ने इमाम हजरत साहब की शहादत में बच्चे और बूढ़ों ने सड़कों पर सीना पीट-पीटकर गम का इजहार किया.

हजरत मोहम्मद
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Published : Sep 10, 2019, 12:58 PM IST

दरभंगा: जिले में मुहर्रम पर्व शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जा रहा है. मंगलवार मुहर्रम पर्व का समाप्ति का दिन है. इस मौके पर दरभंगा के चंदनपट्टी के इमामबाड़ा में शिया समुदाय के मुसलमानों ने हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए पारंपरिक जंजीरी मातमी जुलूस निकाला. जिसमें भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया.

मुहर्रम को लेकर लोगों ने निकाला जुसूस

शहादत की याद में कर रहे गम का इजहार
जुलूस में मौजूद सभी लोगों ने इमाम हजरत साहब के शहादत की याद में गम का इजहार कर रहे हैं. बच्चे और बूढ़े सड़कों पर सीना पीट-पीटकर गम का इजहार किया, तो युवाओं की टोली ने तो जंजीरी मातम मनाते हुए अपने शरीर को लहूलुहान कर लिया. जिसको को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. मातमी जुलूस इमामबाड़े से शुरू होकर पूरे गांव का चक्कर लगाया. मुहर्रम को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.

Darbhanga
मातम मनाते लोग

चर्चित है यहां का मुहर्रम
जिले के चंदन पट्टी का मातमी मोहर्रम काफी चर्चित है. इस्लामी मान्यताओं के अनुसार इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था. यजीद खुद को खलीफा मानता था, लेकिन अल्लाह पर उसका कोई विश्वास नहीं था. वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हो जाये. लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था और उन्होंने यजीद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया. पैगबर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था. जिस महीने हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था. वह मोहर्रम का महीना था. इसलिए मुसलमान समुदाय इस महीना में मातम मनाते हैं.

दरभंगा: जिले में मुहर्रम पर्व शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जा रहा है. मंगलवार मुहर्रम पर्व का समाप्ति का दिन है. इस मौके पर दरभंगा के चंदनपट्टी के इमामबाड़ा में शिया समुदाय के मुसलमानों ने हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए पारंपरिक जंजीरी मातमी जुलूस निकाला. जिसमें भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया.

मुहर्रम को लेकर लोगों ने निकाला जुसूस

शहादत की याद में कर रहे गम का इजहार
जुलूस में मौजूद सभी लोगों ने इमाम हजरत साहब के शहादत की याद में गम का इजहार कर रहे हैं. बच्चे और बूढ़े सड़कों पर सीना पीट-पीटकर गम का इजहार किया, तो युवाओं की टोली ने तो जंजीरी मातम मनाते हुए अपने शरीर को लहूलुहान कर लिया. जिसको को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. मातमी जुलूस इमामबाड़े से शुरू होकर पूरे गांव का चक्कर लगाया. मुहर्रम को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.

Darbhanga
मातम मनाते लोग

चर्चित है यहां का मुहर्रम
जिले के चंदन पट्टी का मातमी मोहर्रम काफी चर्चित है. इस्लामी मान्यताओं के अनुसार इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था. यजीद खुद को खलीफा मानता था, लेकिन अल्लाह पर उसका कोई विश्वास नहीं था. वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हो जाये. लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था और उन्होंने यजीद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया. पैगबर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था. जिस महीने हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था. वह मोहर्रम का महीना था. इसलिए मुसलमान समुदाय इस महीना में मातम मनाते हैं.

Intro:सच्चाई पर चलते हुए और यजीद के जुल्म से नहीं डरने वाले इंसाफ और ईमान पर चलते हुए खुदा की राह में आज ही के दिन शहीद हो जाने वाले हजरत हुसैन की शहादत पर मनाई जाने वाला गमों का पर्व मुहर्रम दरभंगा में शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जा रहा है। वहीं आज के दिन बहुत सारे मुस्लिम समाज के लोग रोजा भी रखते हैं। आज मुहर्रम पर्व का समाप्ति का दिन है, इस गमगीन मौके पर दरभंगा के चंदन पट्टी के इमामबाड़ा में शिया समुदाय के मुसलमानों ने हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए पारंपरिक जंजीरी मातमी जुलूस को निकाला गया।


Body:जिसमें युवा बूढ़े बच्चे सभी इमाम हजरत साहब के शहादत की याद में गम का इजहार कर रहे थे। वही बच्चे और बूढ़े सड़कों पर सीना पीट-पीटकर गम का इजहार कर रहे थे, तो युवाओं की टोली ने तो जंजीरी मातम मनाते हुए अपने शरीर को लहूलुहान कर दिया। सड़कों पर खड़े होकर देख रहे लोगो की युवाओं के शरीर से निकल रहे खनू को देखकर ठहर सी गई थी। मातमी जंजीरी जुलूस इमामबाड़े से शुरू होकर मातम करने वाली जुलूस की शक्ल में पूरे गांव का चक्कर लगाया। इधर मातमी मुहर्रम को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम की व्यवस्था की गई थी।


Conclusion:आपको बताते चलू की चंदन पट्टी का मातमी मोहर्रम पूरे राज्य स्तर पर चर्चित है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था। यजीद खुद को खलीफा मानता था, लेकिन अल्लाह पर उसका कोई विश्वास नहीं था। वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हुआ जाये। लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था और उन्होंने यजीद के विरुद्ध जंग का ऐलान कर दिया। पैग़ंबरे ए इस्लाम हज़रत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था। जिस महीने हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था वह मोहर्रम का महीना था।


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रियाजुल हसन, मातमी जुलूस में शामिल कार्यकर्ता
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