दरभंगाः बिहार के दरभंगा में एम्स निर्माण की मांग (Darbhanga AIIMS In Bihar) को लेकर मिथिला स्टूडेंट यूनियन डीएमसीएच परिसर में अनशन पर बैठे. इस दौरान मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. आंदोलनकारियों ने कहा कि दरभंगा के बाद जहां भी एम्स निर्माण की घोषणा की गई, वहां इलाज भी हो रहा है और कक्षाएं भी चल रही है, लेकिन दरभंगा एम्स की घोषणा के 8 साल हो गए, एक ईंट तक नहीं गिरी है.
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कई बार हो चुका है आंदोलनः आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अभिषेक झा ने कहा कि 2015 में दरभंगा एम्स सहित देश के कई राज्यो में एम्स निर्माण की घोषणा होती है. कई राज्यों में पढ़ाई के साथ इलाज शुरू हो गया, लेकिन दरभंगा एम्स के लिए एक ईंट अभी तक नहीं गिर सकी है. इसके पहले भी आंदोलन किया गया था. जिसके बाद निर्माण स्थल पर मिट्टी भराई का काम किया गया, लेकिन फिर से मामला ठंडा पड़ गया है. इस दौरान आंदोलनकारियों ने 'घर घर से ईंट लाएंगे दरभंगा एम्स बनाएंगे' के नारे लगाए.
"2015 में दरभंगा एम्स की घोषणा हुई है. इसके बाद अन्य एम्स की भी घोषणा की गई है. वहां कक्षाएं और इलाज चालू है, लेकिन दरभंगा में अभी तक ईंट भी नहीं गिरी है. केंद्र और राज्य सरकार की मिलीभगत से उत्तर बिहार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है. एक बार और आंदोलन किया गया था, जिसके बाद मिट्टी भराई का काम शुरू हुआ. इसके बाद फिर मामला शांत हो गया. इस बार तब तक नहीं उठेंगे, जब तक निर्माण शुरू नहीं होगा." -अभिषेक कुमार झा, आंदोलनकारी
केंद्र और राज्य सरकार में विवादः दरभंगा एम्स का निर्माण केंद्र और राज्य सरकार के पेंच में फंसा हुआ है. जिस वक्त बिहार में भाजपा और जदयू की सरकार थी, उस वक्त DMCH के 200 एकड़ जमीन पर एम्स का निर्माण होना था. जिसको लेकर केंद्र सरकार ने हरी झंडी दिखा दी. लेकिन DMCH के अस्तित्व पर खतरा बताते हुए बिहार सरकार ने निर्माण स्थल से 7 किमी दूर शोभन बाइपास के पास जमीन दी गई, लेकिन केद्रीय टीम ने इस जमीन को नो मैंस लैंड करार दिया. इसके बाद से दरभंगा एम्स निर्माण ठंडे बस्ते में चला गया है.