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लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस तालाब का होगा सौंदर्यीकरण, दरभंगा विवि ने बनाई है योजना

139 साल पुराने इस पैलेस को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि ने एक योजना बनाई है. इस योजना के तहत राज किला के बीच में स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण किया जाएगा.

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के तालाब का होगा सौंदर्यीकरण
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Published : Oct 28, 2019, 6:43 AM IST

Updated : Oct 28, 2019, 7:06 AM IST

दरभंगा: प्रदेश में कई मशहूर पर्यटन स्थल है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से खिंचे चले आते है. ये ऐतिहासिक स्थल हमारे पुरूखों का दिया हुआ एक खूबसूरत तोहफा है. इसी विरासत में चार चांद लगाता हुआ जिले का राज लक्ष्मेश्वर पैलेस के दिन अब बहुरने वाले हैं. जल्द ही इस स्थल का सौंदर्यीकरण होने जा रहा है. इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए दरभंगा विवि ने एक योजना बनाई है.

दरभंगा विवि परिसर
दरभंगा विवि परिसर

दरभंगा विवि ने बनाई है योजना
139 साल पुराने इस पैलेस को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि ने एक योजना बनाई है. इस योजना के तहत राज किला के बीच में स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. इस बाबात विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि पैलेस के सौंदर्यीकरण के लिए हर संभव कदम उठाई जाएगी. फिलहाल तलाब के चारों किनारों पर आरसीसी दीवार दी जाएगी. किनारों पर इंटरलॉकिंग ब्रिक्स लगाया जाएगा. सुंदर फुटपाथ का निर्माण किया जाएगा. जिससे लोग वहां मॉर्निंग वॉक कर सकें. उन्होंने बताया कि तलाब के आसपास के इलाके को खूबसूरत फूलों से सजे उद्यान के रूप में विकसित किया जाएगा. तालाब में बहने वाले नालों को रोका जाएगा और तालाब के गंदे पानी की निकासी के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा कि किनारों पर अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा.

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस तालाब
लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस तालाब

पहले भी बन चुकी है योजना
विगत कुछ साल पहले भी बिहार सरकार के पर्यटन विकास विभाग ने इस तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना बनायी थी. इसके लिए विभाग ने एक करोड़ 64 लाख 87 हजार 900 रुपये मंजूर किये थे. हालांकि काम शुरू नहीं हो सका था, जिसके बाद योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के तालाब का होगा सौंदर्यीकरण

कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष उठा चुके हैं नौका विहार का आनंद
बताया जाता है कि कभी अपने सौंदर्य के लिए मशहूर इस तालाब में देश-विदेश के कईराष्ट्राध्यक्ष और राजा-महाराजा नौका विहार का आनंद उठा चुके हैं. फिलहाल तालाब की स्थिति काफी दयनीय है.

तालाब का होगा सौंदर्यीकरण
तालाब का होगा सौंदर्यीकरण

एशिया के सर्वश्रेष्ठ महलों में से एक
बताया जा रहा है कि इस महल को19वीं शताब्‍दी में निर्मित एशिया के सर्वश्रेष्ठ महलों में इसका नाम सबसे ऊपर है. फ्रेंच वास्तुशिल्प से बना लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस आज एक यूनिवर्सिटी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. विगत कुछ साल पहले हुए हुए एक ताजा सर्वे में भी इस महल को भारत का 15 वां सबसे सुदर वास्तुशिल्प वाला महल बताया गया था.

प्रो. सर्व नारायण झा , कुलपति
प्रो. सर्व नारायण झा , कुलपति

41 हजार पेड़ो से था सुसज्जित
इलाके के जानकारों की मानें तो इस पैलेस में किसी जमाने में एशिया का सबसे समृद्ध बोटेनिकल और जुलसॅजिकल गार्डेन माना गया था. इस बागान कभी 41 हजार पेड़ो से सुसज्जित था. इस बागान में सिर्फ आम की ही लगभग 40 प्रजातियां विकसित की गयी थी. जो पूरी दुनिया में और कहीं नहीं थी. हालांकी राज्य सरकार की उदासीनता के कारण वर्तमान में इस जगह पर लगभग 60 फीसदी पेड़ काटे जा चुके हैं.

दरभंगा: प्रदेश में कई मशहूर पर्यटन स्थल है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से खिंचे चले आते है. ये ऐतिहासिक स्थल हमारे पुरूखों का दिया हुआ एक खूबसूरत तोहफा है. इसी विरासत में चार चांद लगाता हुआ जिले का राज लक्ष्मेश्वर पैलेस के दिन अब बहुरने वाले हैं. जल्द ही इस स्थल का सौंदर्यीकरण होने जा रहा है. इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए दरभंगा विवि ने एक योजना बनाई है.

दरभंगा विवि परिसर
दरभंगा विवि परिसर

दरभंगा विवि ने बनाई है योजना
139 साल पुराने इस पैलेस को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि ने एक योजना बनाई है. इस योजना के तहत राज किला के बीच में स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण किया जाएगा. इस बाबात विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि पैलेस के सौंदर्यीकरण के लिए हर संभव कदम उठाई जाएगी. फिलहाल तलाब के चारों किनारों पर आरसीसी दीवार दी जाएगी. किनारों पर इंटरलॉकिंग ब्रिक्स लगाया जाएगा. सुंदर फुटपाथ का निर्माण किया जाएगा. जिससे लोग वहां मॉर्निंग वॉक कर सकें. उन्होंने बताया कि तलाब के आसपास के इलाके को खूबसूरत फूलों से सजे उद्यान के रूप में विकसित किया जाएगा. तालाब में बहने वाले नालों को रोका जाएगा और तालाब के गंदे पानी की निकासी के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा कि किनारों पर अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा.

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस तालाब
लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस तालाब

पहले भी बन चुकी है योजना
विगत कुछ साल पहले भी बिहार सरकार के पर्यटन विकास विभाग ने इस तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना बनायी थी. इसके लिए विभाग ने एक करोड़ 64 लाख 87 हजार 900 रुपये मंजूर किये थे. हालांकि काम शुरू नहीं हो सका था, जिसके बाद योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के तालाब का होगा सौंदर्यीकरण

कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष उठा चुके हैं नौका विहार का आनंद
बताया जाता है कि कभी अपने सौंदर्य के लिए मशहूर इस तालाब में देश-विदेश के कईराष्ट्राध्यक्ष और राजा-महाराजा नौका विहार का आनंद उठा चुके हैं. फिलहाल तालाब की स्थिति काफी दयनीय है.

तालाब का होगा सौंदर्यीकरण
तालाब का होगा सौंदर्यीकरण

एशिया के सर्वश्रेष्ठ महलों में से एक
बताया जा रहा है कि इस महल को19वीं शताब्‍दी में निर्मित एशिया के सर्वश्रेष्ठ महलों में इसका नाम सबसे ऊपर है. फ्रेंच वास्तुशिल्प से बना लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस आज एक यूनिवर्सिटी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. विगत कुछ साल पहले हुए हुए एक ताजा सर्वे में भी इस महल को भारत का 15 वां सबसे सुदर वास्तुशिल्प वाला महल बताया गया था.

प्रो. सर्व नारायण झा , कुलपति
प्रो. सर्व नारायण झा , कुलपति

41 हजार पेड़ो से था सुसज्जित
इलाके के जानकारों की मानें तो इस पैलेस में किसी जमाने में एशिया का सबसे समृद्ध बोटेनिकल और जुलसॅजिकल गार्डेन माना गया था. इस बागान कभी 41 हजार पेड़ो से सुसज्जित था. इस बागान में सिर्फ आम की ही लगभग 40 प्रजातियां विकसित की गयी थी. जो पूरी दुनिया में और कहीं नहीं थी. हालांकी राज्य सरकार की उदासीनता के कारण वर्तमान में इस जगह पर लगभग 60 फीसदी पेड़ काटे जा चुके हैं.

Intro:दरभंगा। राज दरभंगा के भव्य लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस और राज किला के बीचोबीच स्थित ऐतिहासिक तालाब का सौंदर्यीकरण कर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि ने इसकी योजना बनाई है।


Body:संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि तालाब के चारों किनारों पर आरसीसी दीवार दी जाएगी। किनारों पर इंटरलॉकिंग ब्रिक्स लगायी जाएंगी। उसे सुंदर फुटपाथ का रूप दिया जाएगा ताकि लोग वहां मॉर्निंग वॉक कर सकें। आसपास के इलाके को खूबसूरत फूलों से सजे उद्यान के रूप में विकसित किया जाएगा। तालाब में बहने वाले नालों को रोका जाएगा और तालाब के गंदे पानी की निकासी के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि किनारों पर अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा।


Conclusion:बता दें कि यह तालाब किसी ज़माने में देसी-विदेशी मेहमानों के लिए नौका विहार का बड़ा केंद्र हुआ करता था। वर्ष 1880 में बने इस भव्य महल लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस में कई रियासतों के राजे-महाराजे, भारत की बड़ी हस्तियां और अंग्रेज अधिकारी ठहरा करते थे। उनके लिए बोटिंग की व्यवस्था इसी तालाब में हुआ करती थी। वर्ष 1961 में आखिरी महाराजा कामेश्वर सिंह ने महल को संस्कृत विवि बनाने के लिए दान दे दिया। उसके बाद यह तालाब भी विवि के अधिकार में आ गया। लेकिन रखरखाव के अभाव में इसकी स्थिति खराब होती गयी। इसके किनारों पर अतिक्रमणकारियों ने पक्के मकान तक बना लिए हैं। तालाब की हालत खस्ता है।

बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, के एस डीएसयू.

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा
Last Updated : Oct 28, 2019, 7:06 AM IST
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