दरभंगा: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत डीएमसीएच परिसर में संचालित डिस्ट्रिक अरली इंटरवेंशन सेंटर में सुविधाओं की घोर कमी है. इस कारण बीमार नवजातों का इलाज प्रभावित हो रहा है. वर्तमान में यह सेंटर ओपीडी के एक कमरे में चल रहा है. सरकारी उदासीनता के कारण यहां जरूरी उपकरण भी मौजूद नहीं हैं.
फिलहाल यह सेंटर तीन स्टाफ के सहारे चल रहा है जिसमें दो काउंसलर और एक लैब टेक्नीशियन हैं. दरअसल यहां ऐसे बच्चे इलाज के लिए आते हैं जिनके आंखों में दिक्कत होती है, कम सुनते हैं या फिर चलने में परेशानी होती है. इसके अलावा वैसे बच्चे भी आते हैं जो जन्म से ही विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होते हैं. जिन बच्चों को बोलने में परेशानी होती है उन्हें इलाज के लिये पटना रेफर कर दिया जाता है क्योंकि यहां स्पीच थेरेपी की सुविधा नहीं है.
सुविधा के अभाव में नहीं होता इलाज
डीईआईसी में तैनात कर्मी की मानें तो वर्तमान में अभी यहां कोई शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. जिससे काफी परेशानी होती है. सेंटर में इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण डीएमसीएच के विभिन्न विभागों में मरीजों को भेज दिया जाता है. उन्होंने कहा कि स्पीच थैरेपिस्ट नहीं हैं. फिजियोथैरेपिस्ट नहीं हैं. जिस कारण बच्चों का सही ढंग से इलाज नहीं हो पाता है.
स्टाफ की है कमी
डीईआईसी के नोडल अधिकारी सह शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. के एन मिश्रा ने कहा कि डीईआईसी सेंटर सुबह 9 बजे से दिन के 1 बजे तक आउटडोर के एक कमरे में चलता है. 1 बजे से 4 बजे तक वहां कार्यरत कर्मी शिशु वॉर्ड में घूम- घूमकर काउंसलिंग करने का काम करते हैं. बच्चे को जो भी समस्या होती है उसे संबंधित विभाग में भेज दिया जाता है. उन्होंने कहा कि यहां स्टाफ की भारी कमी है. लेकिन जो भी संसाधन मौजूद है उसमें बेहतर सुविधा मुहैया कराने की कोशिश रहती है.